ये कीट आपकी गन्ने की फसल को कर सकते हैं बर्बाद, रहें सावधान

vineet bajpai | Feb 10, 2018, 15:56 IST
Sugarcane
बसन्तकालीन गन्ने की बुवाई का समय शुरू होने वाला है और शरदकालीन गन्ने की फसल खेतों में लगी हुई है। गन्ने की फसल में कई तरह के कीट लगने का खतरा रहता है जो पूरी की पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए किसानों को सबसे पहले तो बुवाई के समय ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे कीट न लगें, लेकिन फिर भी अगर कीट लग जाते हैं तो उसके लिए किसानों को उचित कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए।

गन्ना विकास विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ की तरफ से सुझाव दिये गये है कि गन्ने की फसल में कौन से कीट किस समय लगने की आशंका रहती है, उसके क्या लक्षण होते हैं और उनसे निबटने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए।

1- दीमक

यह कीट बुवाई से कटाई तक फसल की किसी भी अवस्था में लग सकता है। दीमक पैड़ों के कटे सिरों, पैड़ों की आंखों, किल्लों को जड़ से तना तक गन्ने को भी जड़ से काट देता है और कटे स्थान पर मिट्टी भर देता है।

रोकथाम

गन्ने की बुवाई करते समय पैड़ों के ऊपर निम्न कीटनाशकों में से किसी भी एक का प्रयोग कर ढक देना चाहिए-

1- फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर।

2- इमिडाक्लोप्रिड- 200 एसएल, 400 मिली प्रति हेक्टेयर1875 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए। इसके अलावा जिस खेत में दीमक का प्रकोप हो उसमें समुचित सिंचाई करके भी दीमक को कम किया जा सकता है।

2- अंकुर बेधक

यह गन्ने के किल्लों को प्रभावित करने वाला कीट है और इस कीट का प्रकोप गर्मी के महीनों (मार्च से जून तक) में अधिक होता है।

पौधों की पहचान

1- सूखी गोफ का पाया जाना।

2- सूखी गोफ को खीचने पर आसीनी से निकल आना।

3- प्रभावित गोफ में सिरके जैसी बदबू आना।

रोकथाम

1- सिंचाई की समुचित व्यवस्था।

2- बुवाई के समय इन कीटनाशकों में से किसी एक का प्रयोग किया जाना चाहिए-

क- क्लोरपायरीफास 20: घोल 5 लीटल प्रति हेक्टेयर को 1875 लीटर पानी में घोल बनाकर हज़ारे द्वारा पैड़ों के ऊपर छिड़काव करना चाहिए।

ख- फोरेट 10 प्रतिशत रवा 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत रवा 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय कूंड़ों में पैड़ों के ऊपर डालकर ढकाई कर देना।

ग- जमाव के पश्चात गन्ने की दो पंक्तियों के बीच 100 कुंतल सूखी पत्ती प्रति हेक्टेयर की दर से बिछाना।

नोट- उपरोक्त कीटनाशकों का प्रयोग बुवाई के समय करने से दीमक भी नियंत्रित होता है। इस लिए दीमक नियंत्रण के लिए अलग से कीटनाशक के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती है।

3- चोटी बेधक

यह कीट मार्च से सितंबर तक लगता है और गन्ने में लगने वाले सभी कीटों में प्रमुख है। उत्तरी भारत में इस कीट द्वारा सबसे अधिक नुकसान होता है।

प्रभावित पौधे की पहचान

1- मृतसार का पाया जाना।

2- ऊपर से दूसरी या तीसरी पत्ती के मध्य सिरा पर लालधारी का पाया जाना।

3- गोफा के किनारे के पत्तियों पर गोल-गोल छेद का पाया जाना।

4- झाड़ीनुमा सिरा का पाया जाना।

रोकथाम

1- मार्च से मई तक अण्डो्ं को इक्ट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।

2- मार्च से मई तक प्रभावित पौधों के पतली खुरपी से लारवा/प्यूपा सहित काटकर निकालना तथा चारे में प्रयोग करना या उसे नष्ट करना।

3- जुलाई से सितंबर तक 15 दिन के अन्तराल पर ट्राइको कार्ड (दर 50000 अण्ड अरजीवी प्रति हेक्टेयर) का प्रत्यारोपण करना।

4- जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत रवा 30 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पौधों की जड़ों के पास समुचित नमी की दशा में प्रयोग करना चाहिए।

4- तना बेधक

यह कीट गन्ने के तनों में छेद करक इसके अन्दर प्रवेश कर जाता है तथा पोरी के अन्दर गूदा खा जाता है, जिसके कारण उपज और चीनी के परतें में कमी आ जाती है। गन्ना फाड़ने पर लाल दिखाई देता है तथा उसमें कीट द्वारा उत्सर्जित पदार्थ भी दिखाई देते हैं। जगह-जगह पोरियों में छिद्र भी दिखाई देते हैं।

रोकथाम

1- सूखी पत्तियों को गन्ने से निकालना एवं जला देना चाहिए।

2- जुलाई-अक्टूबर तक 15 दिन के अन्तराल पर ट्राइको कार्ड का प्रत्यारोपण करना चाहिए।

3- मध्य अगस्त से मध्य सितंबर तक 15 दिन के अन्तर पर मोनोक्रोटोफास 2.1 लीटीर प्रति हेक्टेयर की दर से दो छिड़काव 1250 लीटर पानी में घोल बनाकर करने से उक्त कीट नियंत्रित होता है।

5- गुरदासपुर बेधक

इस कीट का प्रकोप जुलाई से अक्टूबर तक होता है। सूंडी ऊपर से दूसरी या तीसरी पोरी में प्रवेश कर अन्दर ही अन्दर स्प्रिंग की तरह घुमावदार काटना शुरू कर देती है। गन्ने अन्दर से खोखले हो जाते हैं तथा तेज़ हवा के झटके से टूटकर अलग हो जाते हैं।

रोकथाम

1- ग्रसित पौधों को जुलाई से अक्टूबर तक कीट की ग्रीगेरियस अवस्था में काटकर नष्ट कर देना चाहिए।

2- कटाई के बाद ठूठों को खेत से निकालकर जला देना चाहिए।

3- ट्राइको ग्रामा काइलोनिस परजीवी 50000 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रत्यारोपण करने से कीट के आपतन में कमी पायी जाती है।

6- काला चिकटा

वयस्क कीट कालो रंग के होते हैं तथा यह कीट गर्मी के मौसम (अप्रैल से जून तक) में गन्ने की पेड़ी पर अधिक सक्रिय रहता है। प्रकोपित फसल दूर से पीली दिखाई पड़ती है।

रोकथाम

गर्मियों में प्रकोपित फसल पर निम्न कीटनाशकों में से किसी एक को 625 लीटर पानी में घोलकर एक या दो छिड़काव करना चाहिए, छिड़काव करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कीटनाशक का घोल गोफ में पड़े।

1- डाइमेथोएट 30 प्रतिशत घोल 0.825 लीटर प्रति हेक्टेयर।

2- क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर।

3- क्वीनालफास 25 ईसी 0.80 लीटर प्रति हेक्टेयर।

7- पायरिला

यह कीट हल्के से भूरे रंग का 10-12 मीमी लम्बा होता है। इसका सिर लम्बा व चोंचनुमा होता है। इसके बच्चे बच्चे तथा वयस्क गन्ने की पत्ती से रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। इसका प्रकोप माह अप्रैल से अक्टूबर तक पाया जाता है।

रोकथाम

1- अण्डों को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए।

2- निम्न कीटनाशकों में से किसी एक को 625 लीटर पानी में घोलकर छिड़़काव करना चाहिए-

क- क्वीनालफास 25 प्रतिशत घोल 0.80 लीटर प्रति हेक्टेयर।

ख- डाइक्लोरवास 76 प्रतिशत घोल 0.315 लीटर प्रति हेक्टेयर।

ग- क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत घोल 0.80 लीटर प्रति हेक्टोयर।

नोट- इसके परजीवी इपिरिकेनिया मिलेनोल्यूका तथा अण्ड परजीवी टेट्रास्टीकस पायरिली यदि पाइरिला प्रभावित खेत में दिखाई दे तो किसी भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में परजीवीकरण को बढ़ाने के लिए सिंचाई का समुचित प्रबंध एवं गन्ने में हो रही क्षति को रोकने के लिए यूरिया कीट टॉपड्रेसिंग करना चाहिए तथा इपिरिकेनिया मिलैनोल्यूका के ककून को भी प्रत्यारोपित करना चाहिए।

8- शल्क कीट

यह कीट गन्ने की पोरियों से रस चूसने वाला एक हानिकारक कीट है। इसके बच्चे हल्के पीले रंग के होते हैं जो थोड़े समय में गन्ने की पोरियों पर चिपक जाते हैं। गतिहीन सदस्यों का रंग पहले राख की तरह भूरा होता है जो धीरे-धीरे काला हो जाता है। मछली के शल्क की तरह ये कीट गन्ने की पोरियों पर चिपके रहते हैं।

रोकथाम

1- गन्ने की कटाई के बाद खेत में सूखी पत्तियों को बिछाकर जला देना चाहिए।

2- प्रभावित छेत्रों से अप्रभावित क्षोत्रों में बीज किसी दशा में वितरित नहीं करना चाहिए।

3- जहां तक सम्भव हो, ग्रसित खेतों की पेड़ी न ली जाए।

4- अत्यधिक ग्रसित फसल का अगोला काटकर सभी गन्नों को जला देना चाहिए तथा 24 घंटे के अंदर मिल को भेज देना चाहिए।

9- ग्रासहॉपर

इसके निम्फ तथा वयस्क गन्ने की पत्तियों को जून से सितम्बर तक काटकर हानि करते हैं।

रोकथाम

1- मई के महीने में मेड़ों की छंटाई तथा घास-फूस की सफाई।

2- फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल दर 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर का धूसरण करना चाहिए।

10- सैनिक कीट

इस कीट कीट का प्रकोप गन्ने की पेड़ी में अधिक बाया जाता है। इस कीट के लार्वा गन्ने की पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। यह कीट रात के समय सक्रिय रहता है।

रोकथाम

1- शाम के समय फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर का धूसरण।

2- प्रभावित खेत में गन्ने की कटाई के बाद सूखी पत्तियों को फैलाकर आग लगा देना चाहिए।

3- जिस क्षेत्र में सैनिक कीट के आक्रमण की संभावना हो वहां जमाव के बाद सूखी पत्ती नहीं बिछानी चाहिए।

ये भी देखें-



Tags:
  • sugarcane

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.