बरेली के इस किसान का गन्ना देखने पंजाब तक से आते हैं किसान

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उत्तर प्रदेश में बरेली के किसान जबर पाल सिंह ने ट्रंच जिग जैग विधि में गन्ने की बुआई की थी, जिसका असर अब उनके खेतों में नजर आ रहा है। इस बार उनके खेतों में लगा गन्ना उनकी लंबाई से दोगुना है। वो अपने खेतों से 900-1000 कुंटल प्रति एकड़ गन्ना उगाने के साथ ही सहफसली खेती कर अपनी आमदनी को बढ़ाते हैं।

बरेली जिले से 45 किलोमीटर दूर मीरगंज तहसील से पश्चिम दिशा में करनपुर गाँव हैं। 1200 की आबादी वाले इस गाँव में सैकड़ों हेक्टेयर में गन्ना की खेती की जा रही हैं। गेहूं और गन्ना यहां की मुख्य फसल हैं। साथ ही कई किसान उड़द, मूंग, प्याज, आलू, मक्का, सरसों, आलू और मूंगफली को सहफसली के रुप में गन्ने के साथ उगाते हैं।

जबसे ट्रंच जिग जैग विधी से गन्ना की खेती करना शुरू किया है पैदावार बढ़ गई है। मेरे ही खेतों में करीब 150 कुंटल बीघा की ज्यादा पैदावार हुई है।’

जबरपाल सिंह (43 वर्ष), किसान

वो अपने खेतों में 15 फीट का गन्ना उगा रहे हैं, जिसे देखने के लिए यूपी के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों से लोग आते हैं। जबरपाल को जिले के गन्ना विभाग और क्षेत्रीय गन्ना मिल का भी पूरा साथ मिला है। जबरपाल का लक्ष्य है इस बार 1200-1500 एकड़ प्रति कुंतल गन्ने का लक्ष्य रखा है।इसी गाँव के जीतेंद्र सिंह (40 वर्ष) बताते हैं, “हम लोगों को थोड़ी सी सहूलियतें मिल जाएं किसानों की दशा सुधर सकती है। गाँव में बिजली नहीं है। इंजन (पंपिंग सेट) से सिंचाई में काफी लागत आती है। बिजली हो तो कई और काम भी हो सकते हैं।”

जबर पाल सिंह, किसान

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पैदावार

जिले में गन्ना किसानों को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे गन्ना अधिकारी शैलेश कुमार मौर्य बताते हैं, “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत प्रति किसान को गन्ना की बेहतर पैदावार के लिए 7500 रुपए की सहयोग राशि दी जा रही है, जिससे किसानों का उत्साहवर्धन हो। बरेली ज़िले में अनुमानित 7900 हेक्टेयर गन्ने की खेती की जा रही है। मई 2016 से अब तक किसानों के बीच में सैकड़ों मीटिंग कर चुके हैं। उन्हें लगातार नई विधियों और तकनीकि के बारे में जानकारी देते हैं।”

इस तरह करें गन्ने की बेहतर पैदावर

एक एकड़ खेत में 60 कुंतल गोबर की खाद और 50 किलो NPK खाद डालकर खेत की जुताई के बाद,पूरे खेत में नालियां बना लेंगे जो एक फीट चौड़ी और एक फीट गहरी होंगी। साढ़े चार फीट की दूरियों पर ये नालियां बनी होंगी। गन्ने का एक आँख वाला बीज दो हांथ की लम्बाई में काटकर उसका ट्रीटमेंट करते हैं।

एक एकड़ गन्ने की फसल में 50 ग्राम वाव्सटीन,क्लोरो पाइरीपास दो एमएल 100-125 लीटर पानी में 20 से 30 मिनट तक पानी में गन्ने के टुकड़ों को दाल देते हैं। जब ये बीज शोधित हो जाता है इसके बाद इसे खेत में बनी नाली में छह इंच से आठ इंच की दूरी पर सीढ़ीनुमा लगाते हैं। एक फिट गन्ने को मिट्टी में ढककर एक से दो इंच तक मिट्टी डाल देते हैं। गन्ना बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई देनी होती है। गन्ना की फसल वर्ष में दो बार बोई जाती है। पहला फरवरी-मार्च दूसरा सितम्बर-अक्टूबर माह में। पहली साल किसान इनमें सह फसल भी ले सकते हैं, जैसे आलू, मूंग आदि।

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