ये हैं असली हीरो जिनकी वजह से जंगल और जानवर दोनों सुरक्षित रहते हैं

शनिवार-रविवार को जब आप अपने घरों में वीकेंड मना रहे होते हैं, तब जंगलों में तैनात फॉरेस्ट गार्ड और फॉरेस्ट ऑफिसर वहाँ के जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की सुरक्षा में लगे होते हैं।
#forest

आप कभी जंगलों में या किसी रिजर्व फॉरेस्ट में घूमने जाते हैं तो आपको भी लगता होगा कि आखिर इतने बड़े जंगल की सुरक्षा कैसे होती है। इनके पीछे फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर और उनकी टीम का हाथ होता है, चलिए आज लिए चलते हैं राजाजी टाइगर रिजर्व जहाँ जंगल और जानवरों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इन्हीं लोगों पर होती है।

उत्तराखंड में राजाजी टाइगर रिजर्व के फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर शैलेश घिल्डियाल और उनकी टीम दिन हो या रात हर समय चौकन्ना रहती है, कि कब उन्हें जंगल में जाना पड़ जाए।

शैलेश घिल्डियाल गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “हर जॉब में शनिवार और रविवार की छुट्टी तो मिल ही जाती है, लेकिन हमारी जॉब में ऐसा नहीं है, क्योंकि सैटरडे -संडे जानवरों की छुट्टियाँ तो नहीं होंगी न, रात के 11 बजे फोन आ जाता है तो कभी 12 बजे। इसलिए हमारा फोन कभी बंद नहीं होता, रात में भी चार्जिंग में लगाकर ही सोते हैं।”

वो आगे कहते हैं, “हर दिन हमें जंगल में रहना होता है, यहाँ बाहर के लोगों का इन्वाल्मेंट (दखल) नहीं होता है। इसलिए यहाँ की पूरी ज़िम्मेदारी हमारी होती है, दिन में हम कई चक्कर लगाते हैं कि सब सही चल रहा है न, कई बार जानवर आपस में लड़कर ही घायल हो जाते हैं, उनको भी देखना होता है। लेकिन रात में अवैध शिकारियों का डर रहता है, वो रात में एक्टिव होते हैं।”

राजाजी टाइगर रिजर्व उत्तराखंड के तीन बड़े शहरों देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश से जुड़ा हुआ है। इसलिए इनकी टीम यहाँ पर रात में बॉर्डर वाले एरिया का ज़रूर चक्कर लगाती है। रात में कई तरह की चुनौतियाँ भी आती हैं, खुद के साथ ही अपने स्टाफ की सुरक्षा का ध्यान रखना होता है, क्योंकि रात में जंगल में कुछ भी हो सकता है।

वो आगे कहते हैं, “इसलिए जब हम निकलते हैं तो हमें पूरी सावधानी बरतनी होती है, क्योंकि रात में पैदल गस्त भी करते हैं उस समय हाथियों के साथ ही टाईगर्स का भी मूवमेंट ज़्यादा होता है। उससे भी हमें बचना होता है।”

यही नहीं फॉरेस्ट रेंज के आसपास के गाँवों की वजह से भी कई बार परेशानी भी होती है। शैलेश बताते हैं, “उदाहरण के तौर पर किसी गाँव में लेपर्ड ने किसी को घायल कर दिया तो जब आप गाँव में जाएँगे तो आपको वहाँ के लोग गुस्से में मिलेंगे, आप न उनके विरोध में बोल सकते हैं और न ही ऐसा कोई फैसला ले सकते हैं जो फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के खिलाफ हो, तो वहाँ पर आपको सही फैसला लेना सबसे ज़रूरी होता है, क्योंकि भीड़ गुस्से में होती है। आपको अपने दायरे में रहकर सब देखना है।”

इसलिए अब आप कभी किसी रिजर्व फॉरेस्ट में जाते हैं तो वहाँ इन वन रक्षकों को याद ज़रूर करिएगा।

Recent Posts



More Posts

popular Posts