महज तीन अक्षरों और दो मात्राओं से बना छोटा सा शब्द है भरोसा …
यह अपने कंधे पर कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी उठाए फिरता है उसे बस महसूस किया जा सकता है।
हुआ यह कि किसी बच्चे की पढ़ाई पैसों की तंगी के चलते रुकने वाली थी तो मैंने अपने उन कुछ मित्रों को एक मैसेज किया जिनके स्वभाव और उदारता को मैं जानती थी लेकिन संकोच भी था। एक बारगी मुझे लगा कि शायद दस में एक या दो या अधिक से अधिक तीन लोग ही इसे गंभीरता से नोटिस करेंगे और सहायता करेंगे पर हैरानी, खुशी और तसल्ली हुई जब दो तीन को छोड़कर सभी मित्रों ने न केवल पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया बल्कि आगे बढ़कर सहायता की या सहायता करने का वादा किया।
यह मेरे लिए व्यक्तिगत खुशी की बात है कि मेरे मित्रों ने मेरे कहने पर भरोसा किया, दुनिया कितनी सुंदर, कितनी प्रेमिल और कितनी भरोसे से भरी है यह सोचकर मेरे चेहरे पर चौड़ी वाली मुस्कुराहट चिपकी हुई है।
अमूमन हम जाने कितने पैसे ख़ुद पर, अपने परिवार पर, अपने शौक़ पर, दिखावे पर खर्च कर देते हैं लेकिन पैसों की कमी के चलते पढ़ाई और दवाई न कर पाने वालों की मदद करने में हिचक जाते हैं।
पढ़ने में होशियार, मेहनती लेकिन आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चे हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी हैं, हो सकता है हमारी मदद उनका भविष्य बदलने में मील का पत्थर साबित हो।
हो सकता है जो मददगार हैं और जिसे मदद मिली वह कभी एक दूसरे से न मिल सकें, एक दूसरे को न जान पहचान सकें पर अच्छाइयों की, नेकियों की खुशबू उन्हें एक डोर में बाँधे रहेगी जिससे दुनिया में अच्छाइयों का सिलसिला कभी बंद नहीं होगा।
सभी सहयोगियों को सादर अभिवादन और हार्दिक धन्यवाद, आपका होना सुख है, उम्मीद है, भरोसा है कि दुनिया भले लोगों से कभी खाली नहीं होगी।
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