कोई न्यूज़ चैनल नहीं, ये सरकारी स्कूल के बच्चे हैं

उत्तर प्रदेश के बदायूँ ज़िले के इस उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चे अपने गाँव में किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं समझे जाते हैं, अब ऐसा क्यों है ये तो आपको ख़बर पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।
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स्क्रीन पर ब्रेकिंग न्यूज़ फ्लैश होता है और स्टूडियो में बैठे दो बच्चे लेकर आते हैं उस दिन की कुछ ख़ास ख़बरें।

आपको यही लग रहा होगा न कि किसी न्यूज़ चैनल के स्टूडियो का ज़िक्र किया जा रहा है, लेकिन अगर आपसे ये कहें कि ये किसी प्राथमिक स्कूल के बच्चे हैं तो शायद यक़ीन करना मुश्किल हो।

ये है उत्तर प्रदेश के बदायूँ ज़िले का उच्च प्राथमिक विद्यालय, अफजलपुर बुधेती और यहाँ के बच्चे। न्यूज़ बुलेटिन के साथ ही यहाँ के बच्चे जागरूकता के लिए कई तरह के वीडियो भी बनाते हैं। इन सबके पीछे हाथ है यहाँ के अध्यापक राजीव भटनागर का।

अपने इस प्रयास के बारे में राजीव भटनागर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “एक बार मैं लखनऊ एक मीटिंग में गया हुआ था, वहाँ मैंने एक स्पीच सुनी, जिसमें बोला गया कि जँगल में मोर नाचा किसने देखा, मतलब आप जो भी काम कर रहे हैं। उन्हें दिखाना भी होता है, ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी। सरकारी स्कूलों को लोग हल्के में लेते हैं, उन्हें यही लगता है कि यहाँ पढ़ाई नहीं होती।”

वो आगे कहते हैं, “उसके बाद मैंने अपने स्कूल के लिए यूट्यूब चैनल बनाया और उसमें 15 अगस्त, 26 जनवरी , 2 अक्टूबर जैसे इवेंट की वीडियो अपलोड करने लगा और बच्चों से भी चैनल सब्सक्राइब करने को बोला फिर धीरे धीरे करके चैनल को अपडेट करने लगा।”

साल 2015 में जब राजीव की इस स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति हुई, तब वहाँ पर सिर्फ एक प्रधानाध्यापक और 109 बच्चे थे, प्रधानाध्यापक के रिटायर होने के बाद अब यहाँ पर अब राजीव अकेले अध्यापक हैं और 126 बच्चे हैं।

राजीव अपनी इस यात्रा के बारे में बताते हैं, “2015 में जब यहाँ तैनाती हुई तो मुझे पता चला कि विद्यालय में सुविधाओं की और बच्चों स्थिति कुछ खास नहीं है, बच्चों कि रीडिंग स्किल कमजोर थी।”

वो आगे कहते हैं, “फिर लगा कि बच्चों से न्यूज़ एंकरिंग कराई जाए, फिर क्या था स्कूल में सेटअप लगवाया और बच्चों से एंकरिंग कराई। शुरुआत में तो बच्चों को समझाने में थोड़ी समस्या हुई फिर धीरे धीरे बच्चे अच्छा करने लगे। और फिर लोग बच्चों की एंकरिंग देखकर इस वीडियो की तारीफ करने लगें। बच्चों की एंकरिंग की वीडियो देखकर मीडिया में भी खबरें छपी जिससे बच्चों के माता पिता बहुत खुश हुए साथ ही मुझे भी ये बहुत अच्छा लगता हैं।”

लेकिन राजीव के लिए ये सब इतना आसान नहीं था, एक बार 15 अगस्त के कार्यक्रम में बच्चे डांस करना चाहते थे, तैयारी शुरू हुई और बच्चों ने अपने घर में जाकर बताया तो अभिभावक गुस्सा होने लगे। राजीव बताते हैँ, “अभिभावक स्कूल आ गए, हमने बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन कार्यक्रम कैंसिल करना पड़ा।”

“बच्चों के अभिभावक का कहना था कि हमारे घर की बच्चियाँ स्कूल में कैसे डांस कर सकती हैं, मैंने उन्हें समझाया लेकिन उन लोगों ने मेरी बात नहीं मानी और इस प्रोग्राम को कैंसिल करना पड़ा, जिसके बाद मुझे लगा कि अब काम करना है, उनकी सोच बदलनी हैं और तब से हर दिन कुछ अलग करने की कोशिश करता हूँ,” राजीव ने आगे कहा।

स्कूल में बच्चों की रीडिंग स्किल सुधारने के लिए बच्चों की किताबों को कॉमिक्स में बदल दिया है। अब तो बच्चे हिंदी, इंग्लिश सारे विषय मन लगाकर पढ़ते हैं। इसके लिए राजीव को राज्य स्तरीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

राष्ट्रीय आय एवं योग्यता छात्रवृत्ति परीक्षा में भी स्कूल के दो बच्चे पास हुए हैं। पूरे ज़िले में नाज़िम को 17वाँ और विवेक को 24वाँ स्थान मिला। नाज़िम के पिता दिल्ली के एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करते हैं। दोनों बच्चों को 9वीं से लेकर 12वीं तक हर महीने 1000 रुपए मिलते रहेंगे।

नाज़िम के पिता काफी खुश हैं, वो गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “ये स्कूल हमारी एरिया का सबसे अच्छा स्कूल हैं हम तो पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन सर ने हमारे बच्चे को बहुत अच्छे से पढ़ाया, परीक्षा की तैयारी के समय जब नाजिम को कुछ समझ नहीं आता तो उनसे फोन करके पूछता।”

वहीं 14 साल के नाज़िम भी परीक्षा पास करने से काफी खुश हैं। उनकी बातों में खुशी झलक रही थी, वो गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “सर ने हमें बहुत अच्छे से पढ़ाया था और वही परीक्षा में आया था। अब तो मैं स्कूल के दूसरे बच्चों को भी पढ़ाता हूँ, जो इस बार क्लास आठ में हैं और आगे ये परीक्षा देना चाहते हैं।

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