कश्मीर में हर साल अनोखे जलस्रोत को साफ़ करने के लिए क्यों इकट्ठा होते हैं लोग
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By Mudassir Kuloo

दक्षिण कश्मीर में हर कोई दूसरे कामों से फुर्सत निकाल कर पंजथ नाग से कीचड़ और खरपतवार निकालने के लिए इकट्ठा होता है। ये रस्म सदियों से चली आ रही है। माना जाता है पंजथ गाँव से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 500 झरने हैं जहाँ यह सालाना उत्सव मनाया जाता है।

दक्षिण कश्मीर में हर कोई दूसरे कामों से फुर्सत निकाल कर पंजथ नाग से कीचड़ और खरपतवार निकालने के लिए इकट्ठा होता है। ये रस्म सदियों से चली आ रही है। माना जाता है पंजथ गाँव से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 500 झरने हैं जहाँ यह सालाना उत्सव मनाया जाता है।

वर्तमान सरकार अगर कश्मीर समस्या हल न कर पाई तो ज़्यादा विकल्प नहीं बचेंगे (भाग- 3)
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By Dr SB Misra

खोजना ही होगा कश्मीर समस्या का समाधान (भाग- 1)
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By Dr SB Misra

बातचीत से कश्मीर का मसला कभी नहीं हल होगा... (भाग- 2)
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By Dr SB Misra

जम्मू-कश्मीर: 'बैंगनी क्रांति' के केंद्र डोडा जिले में हो रहा लैवेंडर फेस्टिवल
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By India Science Wire

सीएसआईआर-आईआईआईएम ने भारत को लैवेंडर तेल का एक प्रमुख निर्यातक बनाने का लक्ष्य रखा है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का अरोमा मिशन इस दिशा में कार्य कर रहा है, और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी मदद कर रहा है।

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शहर में रहते हैं? बिना मिट्टी के छत या बालकनी में उगाइए सब्ज़ियाँ
शहर में रहते हैं? बिना मिट्टी के छत या बालकनी में उगाइए सब्ज़ियाँ

By Mudassir Kuloo

श्रीनगर में अपने आंगन में आशिक हुसैन पालक, धनिया, पुदीना और दूसरी सब्जियाँ उगाते हैं, जिनमें से अधिकांश 45 दिनों में तैयार हो जाती हैं। कश्मीर घाटी में हाइड्रोपोनिक्स या मिट्टी रहित खेती की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

श्रीनगर में अपने आंगन में आशिक हुसैन पालक, धनिया, पुदीना और दूसरी सब्जियाँ उगाते हैं, जिनमें से अधिकांश 45 दिनों में तैयार हो जाती हैं। कश्मीर घाटी में हाइड्रोपोनिक्स या मिट्टी रहित खेती की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

शहर में रहते हैं? बिना मिट्टी के छत या बालकनी में उगाइए सब्ज़ियाँ
शहर में रहते हैं? बिना मिट्टी के छत या बालकनी में उगाइए सब्ज़ियाँ

By Gaon Connection

श्रीनगर में अपने आंगन में आशिक हुसैन पालक, धनिया, पुदीना और दूसरी सब्जियाँ उगाते हैं, जिनमें से अधिकांश 45 दिनों में तैयार हो जाती हैं। कश्मीर घाटी में हाइड्रोपोनिक्स या मिट्टी रहित खेती की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

श्रीनगर में अपने आंगन में आशिक हुसैन पालक, धनिया, पुदीना और दूसरी सब्जियाँ उगाते हैं, जिनमें से अधिकांश 45 दिनों में तैयार हो जाती हैं। कश्मीर घाटी में हाइड्रोपोनिक्स या मिट्टी रहित खेती की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

लेबर पेन: जम्मू-कश्मीर में गुर्जर और बकरवाल समुदाय को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करना पड़ रहा संघर्ष
लेबर पेन: जम्मू-कश्मीर में गुर्जर और बकरवाल समुदाय को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करना पड़ रहा संघर्ष

By Bisma Bhat

जम्मू और कश्मीर में रहने वाले बकरवाल और गुर्जर समुदाय की गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। कुछ महिलाएं स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने से पहले ही रास्ते में बच्चे को जन्म दे देती हैं।

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उज्जवला योजनाः कश्मीर में ग्रामीण महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है फायदा, विपक्ष ने लगाया घोटाले का आरोप
उज्जवला योजनाः कश्मीर में ग्रामीण महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है फायदा, विपक्ष ने लगाया घोटाले का आरोप

By Raja Muzaffar Bhat

जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि उनसे उज्ज्वला योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले मुफ्त एलपीजी सिलेंडर के लिए पैसों की मांग की जा रही है और ऐसा न करने पर उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिया जाता है। हालांकि उनके नाम लाभार्थियों की सूची में दर्ज हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि 'गैस माफिया' इस घोटाले को अंजाम दे रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि उनसे उज्ज्वला योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले मुफ्त एलपीजी सिलेंडर के लिए पैसों की मांग की जा रही है और ऐसा न करने पर उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिया जाता है। हालांकि उनके नाम लाभार्थियों की सूची में दर्ज हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि 'गैस माफिया' इस घोटाले को अंजाम दे रहे हैं।

मुनाफे का नया ज़रिया बनने से खेती की तरफ रुख कर रहे हैं कश्मीर के युवा
मुनाफे का नया ज़रिया बनने से खेती की तरफ रुख कर रहे हैं कश्मीर के युवा

By दिति बाजपेई

कश्मीर के युवा इन दिनों दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन गए हैं। पोस्ट ग्रेजुएट यानि एमए या एमएससी डिग्री वाले यहाँ के कई युवाओं ने, बागवानी, मधुमक्खी पालन और मसालों की खेती में कमाल कर दिखाया है। वे न सिर्फ इससे खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।

कश्मीर के युवा इन दिनों दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन गए हैं। पोस्ट ग्रेजुएट यानि एमए या एमएससी डिग्री वाले यहाँ के कई युवाओं ने, बागवानी, मधुमक्खी पालन और मसालों की खेती में कमाल कर दिखाया है। वे न सिर्फ इससे खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।

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