स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। मशीन मिल्किंग द्वारा समय कम लगने के साथ-साथ मजदूरी पर भी कम खर्च के लिए ज्यादातर बड़े एवं “ज्यादातर डेयरी फार्मर दूध निकालने की मशीन का प्रयोग करते है यह अच्छा भी है क्योंकि ऐसा दूध हाइजीनिक होता है हाथ से दूध दुहने में दूध में काफी गंदगी भी आ जाती है। मशीनों से कोई दिक्कत भी नहीं होती है”, ऐसा बताते हैं, पशुचिकित्सक शाहजहांपुर सिंधौली ब्लाक डॉ. आनंद रुहेला। आधुनिक मशीन मिल्किंग प्रणाली का उपयोग सबसे पहले नीदरलैंड में हुआ था। इस मशीन की शुरुआती कीमत 35000 से लेकर पांच लाख तक है।
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मशीन मिल्किंग का एक छोटा मॉडल भी है जिसे 10 से भी कम पशुओं के लिए आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है। मशीन मिल्किंग से पशुओं की थन कोशिकाओं को कोई कष्ट नहीं होता जिससे दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।
सरकार भी डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है। डेयरी में ऑटोमेशन के लिए सरकार दो लाख की सब्सिडी भी दे रही है। इसलिए किसानों को रुझान भी बढ़ रहा है। मशीन मिल्किंग की सहायता से निर्वात (वेक्यूम) द्वारा स्ट्रीक नलिकाओं को खोलती है, जिससे दूध थन में आ जाता है जहां से यह निकास नाली में पहुंच जाता है।
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यह मशीन थन मांसपेशियों की अच्छी तरह मालिश भी करती है, जिससे थनों में रक्त प्रवाह सामान्य बना रहता है। दूध निकालते हुए गाय को वैसा ही अनुभव होता है, जैसा की बछड़े को दूध पिलाते समय होता है।
इसमें न केवल समय व ऊर्जा की बचत होती है बल्कि स्वच्छ दुग्ध दोहन द्वारा उच्च गुणवत्ता का दूध मिलता है। इस प्रक्रिया में पशुपालक केखांसने व छींकने से फैलने वाले प्रदुषण की संभावना भी नहीं रहती।
बाजारों में मिल्किंग मशीनें कई मॉडलों में उपलब्ध है जैसे एक-दो बाल्टी वाले साधारण अथवा बड़े डेयरी फार्म के लिए अचल मशीनें जिसे केवल मिल्किंग बायर में ही लगाया जा सकता है।
क्या कहते हैं डेयरी संचालक
डेयरी उद्योग में प्रयोग होने वाले उपकरणों को बनाने वाली डेयरी फार्म सोल्यूशन कंपनी के एमडी आशीष पांडेय ने बताते हैं, “वर्ष 2011 के बाद से मशीनों को प्रयोग डेयरी क्षेत्रों में ज्यादा होने लगा है। जिनके पास 10 से ज्यादा पशु है वो मशीनों का इस्तमाल कर रहे है। पहले हमारी कंपनी यूपी में सिर्फ 20 मिल्किंग मशीन बना रही थी लेकिन अब हर साल 300 से ज्यादा मशीनें बना रही है जो अच्छे दामों पर बिकती हैं।”
मशीनों से होने वाले फायदे
- गाय दुहने के लिए ज्यादा व्यक्तियों की जरुरत नहीं पड़ती है।
- दूध दुहने के लिए इस मशीन को खरीदना आसान है और इसको उपयोग करना भी सरल है।
- बिना किसी परेशानी के इससे गायों दूध निकालना जा सकता है।
- इस मशीन को संचालित करने लिए बिजली की आवश्यकता नही होती तथा इसकी सफाई करना भी आसान होता है।
- यह निर्वात(वेक्यूम) के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसमें वॉल्व के साथ पम्प, प्लास्टिक की ट्यूब और रबर का अस्तर (बुश) लगा होता है। पम्प का एक सिरा गाय के थन में तथा दूसरा सिरा दूध बोतल से जोड़ दिया जाता है, उसके बाद दूध निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
- मशीन द्वारा लगभग 1.5 से 2.0 लीटर तक दूध प्रति मिनट दुहा जा सकता है। इसमें न केवल समय व ऊर्जा की बचत होती है बल्कि स्वच्छ दुग्ध दोहन द्वारा उच्च गुणवत्ता का दूध मिलता है। यदि दिन दो बार की अपेक्षा तीन बार दूध निकला जाए तो 20 प्रतिशत तक अधिक दूध प्राप्त हो सकता है।
- दूध में किसी प्रकार की बाहरी अशुद्धि जैसे धूल, तिनके, बाल, गोबर अथवा मूत्र मिलने की कोई संभावना नहीं रहती।
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