आज सारा देश हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यान चंद सिंह जन्मदिन मना रहा है। आज ही के दिन साल 1905 में इलाहाबाद में ध्यान चंद सिंह का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को देशभर में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हर वर्ष आज ही के दिन खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (पहले इसे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के रूप में जाना जाता था) के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं।
पढ़िए हॉकी के जादूगर से जुड़ी दस प्रमुख बातें…
1. ध्यान चंद ने 16 साल की उम्र में ही इंडियन आर्मी ज्वाइन कर ली थी, आर्मी में भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यान चंद घंटों प्रैक्टिस किया करते थे। यहां तक की देर रात तक वो प्रैक्टिस किया करते थे, रात में प्रैक्टिस करने के कारण ही उनके साथियों ने उनका नाम चांद रख दिया था।
2. 1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलिंपिक खेलों में वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस टूर्नामेंट में ध्यान चंद ने 14 गोल किए थे। एम्सटर्डम के एक स्थानीय समाचार पत्र में लिखा था, ‘यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था। और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’
3. 1932 के ओलिंपिक फाइनल में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 24-1 से हराया था। उस मैच में ध्यानचंद ने 8 गोल किए थे। उनके भाई रूप सिंह ने 10 गोल किए थे। उस टूर्नामेंट में भारत की ओर से किए गए 35 गोलों में से 25 गोल दो भाइयों की जोड़ी ने किए थे। ये थे रूप सिंह (15 गोल) और मेजर ध्यान चंद (10 गोल)। (एक मैच में 24 गोल दागने का 86 साल पुराना यह रिकॉर्ड भारतीय हॉकी टीम ने इंडोनेशिया में जारी एशियाई खेलों में हाल ही में तोड़ा है। हाल ही में भारत ने हॉन्ग कॉन्ग को 26-0 से मात देकर यह रिकॉर्ड तोड़ा।)
4. ध्यान चंद को 1933 में कलकत्ता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच खेला गया बिगटन क्लब फाइनल खेल सबसे ज्यादा पसंद आया था।
5. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट दिग्गज सर डॉन ब्रैडमैन ने 1935 में एडिलेड में ध्यानचंद से मुलाकात की। ध्यान चंद को खेलते देख, ब्रैडमैन ने कहा कि ध्यान चंद ऐसे गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं।
6. ध्यान चंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। तीनों ही बार भारत ने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता।
7. दुनिया के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक मेजर ध्यान चंद ने अतंरराष्ट्रीय हॉकी में 400 गोल दागे। 22 साल के हॉकी करियर में उन्होंने अपने खेल से पूरी दुनिया को हैरान किया।
8. बर्लिन ओलिंपिक में ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें डिनर के लिए आमंत्रित किया था। जर्मन तानाशाह ने उन्हें जर्मनी की फौज में बड़े पद का लालच दिया और जर्मनी की ओर से हॉकी खेलने को कहा। लेकिन ध्यानचंद ने उसे ठुकराते हुए हिटलर को दो टूक अंदाज में जवाब दिया, “हिंदुस्तान ही मेरा वतन है और मैं उसी के लिए आजीवन हॉकी खेलता रहूंगा।”
9. ध्यानचंद की महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दूसरे खिलाड़ियों की अपेक्षा इतने गोल कैसे कर लेते हैं। इसके लिए उनकी हॉकी स्टिक को ही तोड़ कर जांचा गया। नीदरलैंड्स में ध्यानचंद की हॉकी स्टिक तोड़कर यह चेक किया गया था कि कहीं इसमें चुंबक तो नहीं लगी।
10. विएना के एक स्पोर्ट्स क्लब में ध्यानचंद के चार हाथों वाली मूर्ति लगी है, उनके हाथों में हॉकी स्टिक हैं। यह मूर्ति यह दिखाने का परिचायक है कि उनकी हॉकी में कितना जादू था।