पिछले महीने कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस और इटली सहित 23 देशों में मंकीपॉक्स के 350 से अधिक मामले सामने आए हैं। लेकिन भारत में अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है, फिर भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य दिशानिर्देश जारी किए हैं।
31 मई को जारी किए गए दिशा-निर्देश में मंकी पॉक्स की रोकथाम, निगरानी और नए मामलों की तेजी से पहचान पर जोर दिया गया है। दिशानिर्देश में संक्रमण को रोकने और नियंत्रित करने के उपायों पर जोर दिया गया है। दिशा निर्देश में आइसोलेशन, आइसोलेशन की अवधि और इसके अलावा और भी सावधानियों का ध्यान रखने की आवश्यकता के बारे में बताया गया है।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जिसमें चेचक की तरह लक्षण होते हैं, जिसमें कम क्लिनिकल गंभीरता होती है। इस बीमारी का पहला मामला 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में सामने आया था।
मंकीपॉक्स आमतौर पर एक स्व-सीमित बीमारी है जिसके लक्षण आम तौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं। इस बीमारी के गंभीर मामले बच्चों में अधिक पाए जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सामान्य आबादी में मंकीपॉक्स का मामला और मृत्यु अनुपात ऐतिहासिक रूप से 0-11 प्रतिशत के बीच रहा है और छोटे बच्चों में यह अधिक पाया गया है। हाल के दिनों में मामला और मृत्यु अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है।
दिशानिर्देश में बताया गया है कि जो कोई भी संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी के संपर्क में आता है, उसे अंतिम संपर्क से 21 दिनों की अवधि के लिए संकेतों/लक्षणों की शुरुआत के लिए दैनिक निगरानी की जानी चाहिए।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स बीमार व्यक्ति की सांस, पसीने और घाव से सीधे संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या घाव सामग्री के इन-डायरेक्ट संपर्क में आने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
इसके अलावा, संक्रमण जानवरों से इंसानों में फैलता है, संक्रमित जानवरों जैसे चूहों, गिलहरियों और बंदरों के काटने या खरोंच से या जंगली जानवरों का मांस खाने से फैलता है।
लक्षण
लिम्फ नोड्स में सूजन
बुखार
सिरदर्द
शरीर में दर्द
कमजोरी में ज्यादती
ठंड लगना और/या पसीना आना
गले में खराश और खांसी
क्या करें और क्या नहीं करें
संक्रमित व्यक्ति की किसी भी चीज जैसे बिस्तर, बर्तन, कपड़े, तौलिये के संपर्क में आने से बचें।
संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करें।
संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद हाथ को अच्छी तरह से धोएं। साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें।
रोगियों की देखभाल करते समय उपयुक्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) जैसे कवर ऑल/गाउन, एन-95 मास्क, फेस शील्ड/सुरक्षा चश्मे और दस्ताने का प्रयोग करें।
पालतू और घरेलू जानवरों को संक्रमित व्यक्ति के वातावरण से दूर रखें।
संक्रमित को अस्पताल/घर के आइसोलेशन रूम में आइसोलेट करें।
रोगी को ट्रिपल लेयर मास्क पहनाएं।
दूसरों के साथ संपर्क के जोखिम को कम करने के लिए त्वचा के घावों को जहां तक मुमकिन हो लंबी आस्तीन, लंबी पैंट जैसे सर्वोत्तम सीमा तक कवर करें।
उस वक्त तक आइसोलेट रहें जब तक कि सभी घाव दूर न हो जाएं और पपड़ी पूरी तरह से गिर न जाए।
दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी क्लीनिकल नमूनों को संबंधित जिले/राज्य के इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) नेटवर्क के माध्यम से आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) की शीर्ष प्रयोगशाला में ले जाया जाना चाहिए।