टीबी : लक्षण से लेकर उपाय तक की पूरी जानकारी

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लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन 2030 तक दुनिया से टीबी को जड़ से खत्म करने के प्रयास में है, वहीं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि हम भारत में 2025 तक टीबी मुक्त होना चाहते हैं। ऐसे में टीबी की बीमारी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. सूर्यकांत।

वो बताते हैं, “टीबी एक बहुत पुरानी बीमारी है। टीबी एक बैक्टीरिया से उत्पन्न होने वाली बीमारी है। हम लोग ये जानते हैं कि कई बीमारियां ऐसी होती हैं जो बिना संक्रमण के फैलने वाली होती है जैसे डायबीटीज, ब्लडप्रेशर, हार्टअटैक और कुछ बीमारियां संक्रमण वाली होती हैं जैसे कि निमोनिया और टीबी। टीबी एक संक्रमण की बीमारी है। हमारे देश में 80 प्रतिशत टीबी फेफड़े की होती है। कोई भी अंग टीबी से अछूता नहीं है ब्रेन से लेकर बोन तक किसी भी हिस्से में यह बीमारी हो सकती है।”

डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस की वर्ष 2018 की रिपोर्ट में कहा गया कि विश्व में वर्ष 2017 में एक करोड़ लोगों को टीबी हुई, इनमें से 58 लाख पुरूष, 32 लाख महिलाएं और दस लाख बच्चे हैं। दुनियाभर में टीबी के कुल मरीजों में दो तिहाई आठ देशों में हैं। इनमें से भारत में 27 फीसदी मरीज हैं, चीन में नौ फीसदी, इंडोनेशिया में आठ फीसदी, फिलीपीन में छह फीसदी, पाकिस्तान में पांच फीसदी, नाइजीरिया में चार फीसदी, बांग्लादेश में चार फीसदी तथा दक्षिण अफ्रीका में तीन फीसदी हैं। टीबी के कारण प्रतिदिन करीब चार हजार लोगों की जान चली जाती है। इसमें कहा गया है कि दुनियाभर में रोगों से होने वाली मौत की दसवीं सबसे बड़ी वजह टीबी है।

डॉ. सूर्यकान्त डॉ. सूर्यकान्त 

लक्षण 

भूख कम लगना, वजन कम होने लगना, बुखार आना, शाम को बुखार बढ़ जाना, पसीना आना, छोटे बच्चे की ग्रोथ रुक जाना, बच्चे का चिड़चिड़ा हो जाना। ये लक्षण तो हर टीबी में होंगे ही इसके अलावा हर अंग की टीबी के कुछ अलग लक्षण होते हैं। दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही है. खांसी में खून आ जा रहा है और इसके साथ भूख कम लग रही है वजन कम हो रहा है तो यह फेफड़े की टीबी हो सकती है। हड्डी की टीबी है तो उस हड्डी में या उसके पास दर्द होगा। गिल्टी की टीबी है तो वहां ग्लैंड बढ़ जाती है।

महिलाओं में टीबी

महिलाओं में टीबी की बात करें तो जो बच्चेदानी की टीबी, फैलोपियन ट्यूब्स की टीबी, ओवरीन ट्यूब्स की टीबी ये सब हो जाती हैं तो इससे महिलाओं में बच्चा पैदा करने की क्षमता खत्म हो जाती है। कई बार महिला रोग विशेषज्ञ परेशान रहते हैं कि बच्चा क्यों नहीं हो रहा है तो कई हद तक प्राइमरी प्राइमरी इनफर्टिलिटी, सेकंडरी इनफर्टिलिटी का कारण टीबी होती है। हमारे गाँव की महिलाएं या लड़कियां लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाती हैं। हमारे देश में महिलाएं छह से सात घंटे रसोईघर को देती हैं। चूल्हे पर खाना बनाते वक्त छह से सात घंटे का धुंआ 100 बीड़ी-सिगरेट के बराबर होता है।

सूर्य का प्रकाश महत्वपूर्ण 

पांच मिनट सूर्य का प्रकाश टीबी को समाप्त कर सकता है। गाँव में अभी भी पर्दा प्रथा है, जिसकी वजह से सूरज का प्रकाश महिलाओं को नहीं मिल पाता है। एक डाटा के अनुसार देश में 50 प्रतिशत महिलाओं को एनीमिया (खून की कमी) है। ऐसी महिलायें या लडकियाँ जिनको एनीमिया है उन्हें टीबी होने का खतरा रहता है। वो महिलायें जिनकी शादी हो गयी है और कम समय में ज्यादा बच्चे हो रहे हैं। उन्हें बच्चों में गैप कम है उन महिलाओं को टीबी होने की सम्भावना ज्यादा होती है। शहर की वो लड़कियां जो डाइटिंग करती हैं उनको टीबी होने की सम्भावना ज्यादा होती है।

बच्चे जो फ़ास्टफूड का सेवन ज्यादा करते हैं। नशा ज्यादा करते हैं, बहुत जल्द ही पान-मसाला, बीड़ी-सिगरेट के लत में पड़ जाते हैं।ऐसे बच्चों को भी टीबी ज्यादा होती है।

मुफ्त है टीबी का इलाज 

केंद्र सरकार के एक प्रोग्राम रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत चाहे गाँव का सरकारी अस्पताल हो या शहर का सरकारी अस्पताल हो, छोटे से लेकर कोई भी बड़ा सरकारी अस्पताल हो सभी जगहों पर टीबी की जांच निःशुल्क है। टीबी की एक और नई जांच आ गयी है जिसका नाम है जीन एक्सपर्ट मशीन के द्वारा टीबी के मरीज की जांच की जा सकती है। भारत देश में लगभग 650 जिले हैं और हर जिले में मशीन सरकार ने उपलब्ध कराई हैं। सरकार ने लगभग 1100 मशीने खरीदी हैं, जिसके टीबी की पहचान जल्दी हो सके। इसके अलावा एक्स-रे के द्वारा टीबी की पहचान की जाती है। इन सभी जांचों का खर्चा करीब 6000-7000 रूपये होता है लेकिन भारत सरकार द्वारा सभी जांचे मुफ्त की गई हैं।

नोटिफिकेशन से होगा हर एक मरीज का इलाज

टीबी की बीमारी के लिए नोटिफिकेशन भी शुरू किया गया है। यह पहले वर्ष 2012 में शुरू भी किया गया था लेकिन सही रूप से चल नहीं पाया था। 2018 प्रधानमंत्री ने बताया कि सभी डॉक्टर को टीबी का नोटिफिकेशन करना जरुरी है। अगर ये पाया गया कि आपने टीबी के मरीज का इलाज किया है और उसकी सूचना उस नोटिफिकेशन फॉर्मेट में नहीं दी है तो डॉक्टर पर जुर्माना हो सकता है। डॉक्टर का लाइसेंस कैंसल हो सकता है और इसके साथ-साथ उस एदो साल की सजा भी हो सकती है। ये इसलिए किया गया क्योंकि पहले पता चला था कि करीब एक तिहाई टीबी के मरीज की कोई जानकारी किसी को नहीं है। एक टीबी का मरीज एक वर्ष में 15 नए टीबी के मरीज तैयार कर देता है। पैथालाजी चलाने वाले डॉक्टर को भी नोटिफिकेशन करना होगा और इसके अलावा मेडिकल स्टोर वाले को भी फॉर्म भरना पड़ेगा। नोटिफिकेशन न करने वाले को जुर्माने के साथ-साथ सजा हो सकती है।

बीच में नहीं छोड़ पायेंगे इलाज 

लगभग 10-15 प्रतिशत लोग टीबी का इलाज बीच में ही छोड़ देते थे इसलिए सरकार ने प्रोग्राम के तहत अपना इलाज करवाने वाले टीबी के मरीज को 500 पोषण भत्ते के रूप में देने का निर्णय लिया। सरकार की तरफ से जो दवाई दी जाती है उसपर एक टोल-फ्री नम्बर लिखा हुआ है वह इसलिए है जब कभी भी आप दवाई खाएं तो उस पर एक मिस कॉल छोड़ दें। इसे निक्षय योजना कहते हैं। अगर कोई दवा नहीं खाता है तो हमारा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता घर पहुँच जाता है और दवाई न खाने की वजह पूछता है।

टीबी के मरीज को अलग रखने की आवश्यकता नहीं 

कई बार टीबी हो जाती है लोग तलाक दे देते हैं, छोड़ देते हैं, अलग कर देते हैं, बर्तन अलग, खाना अलग, कपड़े अलग, कमरा अलग और कई बार तो घर से भी निकाल दिया जाता है। यह एक सामाजिक समस्या है और इससे सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं को होता है। किसी भी मरीज को अलग रखने की जरुरत नहीं है, कपड़े, बर्तन, खाना, कमरा अलग करने की कोई जरुरत नहीं है। किसी भी टीबी के मरीज का जूठा खाने से या पानी पीने से टीबी नहीं फैलती है। टीबी सिर्फ और सिर्फ खांसने और चीकने से फैलती है। टीबी वाले मरीज को मास्क पहना दीजिये अगर आपको ज्यादा दिक्कत है तो आप भी एक मास्क ले लीजिये लेकिन उसे अलग मत करिए। 

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लखनऊ स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के अधीक्षक डॉ आशुतोष दुबे बताते हैं, “टीबी पर भारत सरकार तेजी से काम कर रही है और वर्ष 2025 तक इसे खत्म करने का प्लान भी बनाया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर मेडिकल कॉलेज तक टीबी का इलाज हो रहा है तो मैं कैसे मान लूँ कि भारत में डॉक्टर टीबी को पहचान नहीं पाते हैं। कोई भी व्यक्ति जिसे दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आती है तो वह प्राथमिक स्वास्थ्य से लेकर मेडिकल कॉलेज तक किसी भी राजकीय अस्पताल में जाता है तो उसके बलगम की जांच निःशुल्क की जाती है।

डॉ. आशुतोष दूबे डॉ. आशुतोष दूबे 

भारत में 40 प्रतिशत लोग टीबी से संक्रमित हैं लेकिन संक्रमण और बीमारी दोनों में काफी अंतर होता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता जिसमें कम होती है उसमें टीबी का बैक्टीरिया एक्टिव हो जाता है। टीबी का बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है और धीरे-धीरे फेफड़े में चला जाता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण टीबी के बैक्टीरिया तेजी से मल्टीप्लाई होने लगते हैं और धीरे-धीरे दिमाग तक पहुंच जाते हैं। इसके बाद हालत गंभीर होने लगती है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक महीने का समय होता है। टीबी से बचने का सबसे सही उपाय है कि लगातार दो हफ्ते की खांसी पर नजदीकी राजकीय अस्पताल में बलगम की जांच करवाएं।

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