इस समय एंटीबायोटिक्स के प्रयोग के मामले में लोगों में काफी कन्फ्यूजन है। कहा जा रहा है कि एंटीबायोटिक्स का प्रयोग सीधे लीवर और किडनी को प्रभावित करता है। वहीं दूसरी तरफ आमधारणा यह भी है कि कोई भी बीमारी बिना एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से ठीक भी नहीं हो सकती। इसी संबंध में गांव कनेक्शन के सीनियर कंसल्टिंग एडीटर हृदयेश जोशी ने पीएसआरआई हॉस्पिटल, दिल्ली के वरिष्ठ डाक्टर डा. जी. सी. खिलनानी से बात की।
इस बात-चीत में डा. खिलनानी ने एंटीबायोटिक का इतिहास बताते हुए कहा कि 1942 से पहले कोई एंटीबयोटिक नहीं होती थी। एंटीबायोटिक के प्रयोग से बीमारियां जल्दी से तो ठीक होती हैं लेकिन कई बार एंटीबायोटिक के अधिक प्रयोग से शरीर की बैक्टिरियाज की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
डा. खिलनानी ने बिना डाक्टर के परामर्श से एंटीबायोटिक के प्रयोग से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ये दवाएं बाजार में आसानी से उपलब्ध भी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने डाक्टरों को भी हिदायत दी कि वे बिना ठोस कारण के मरीजों को एंटीबायोटिक ना दें।