क्या है SSC CGL 2019 का पूरा मामला, जिसके कारण सोशल मीडिया पर हो रहा ‘पीएम रोजगार दो’ ट्रेंड?

एसएससी सीजीएल 2019 की टियर टू के परीक्षा परिणाम के आने के बाद एसएससी अभ्यर्थियों में खासा नाराजगी है। उनका कहना है कि परिणाम घोषित करने में मार्क्स नॉर्मलाइजेशन के नियमों का ठीक ढंग से पालन नहीं हुआ, इसकी वजह से कई योग्य अभ्यर्थी भी अगले दौर के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाएं।
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राजस्थान के कोटा के रहने वाले अशोक कुमार (27 वर्ष) ने बीते 18 नवंबर, 2020 को स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली परीक्षा कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) के 2019 सत्र के टायर टू की परीक्षा दी थी। उनका यह पेपर अच्छा हुआ था और एसएससी द्वारा जारी आंसर की के मुताबिक वह 400 में से 334 नंबर स्कोर कर रहे थे। एससी समुदाय से आने वाले अशोक को पूरी उम्मीद थी कि उन्हें अपने कैटेगरी के लिए निर्धारित कट ऑफ से अधिक नंबर मिलेंगे, ताकि वे परीक्षा के अगले चरण के लिए क्वालीफाई कर जाएं।

लेकिन जब बीते सप्ताह 19 फरवरी, 2021 को परिणाम आया तो उनका नाम कटऑफ लिस्ट में नहीं था। बाद में उन्होंने अपने साथ तैयारी कर रहे छात्रों और अन्य कोचिंग संस्थाओं से पता किया तो उन्हें पता चला कि जिसने भी 18 नवंबर की परीक्षा दी थी, उनके नंबर आंसर की के अनुमानित नंबरों से काफी कम आए थे। खुद अशोक ने टायर वन में 156 का स्कोर किया था और टायर टू के आंसर की के 334 नंबरों को मिला दें तो उनका कुल नंबर 490 होता है। जबकि उनके कैटेगरी का कटऑफ 434 गया है। फिर भी वह आगे की परीक्षा के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए।

अशोक और उनके जैसे तैयारी करने वाले छात्रों का कहना है कि ऐसा एसएससी के अस्पष्ट और बेहद जटिल नॉर्मलाइजेशन नियमों के कारण हो रहा है। दरअसल जब कोई परीक्षा बड़ी होने के कारण अलग-अलग तारीखों में कराई जाती है, तो ऐसा होता है कि एक दिन का पेपर कुछ आसान आए और अगले दिन का पेपर उससे कठिन। ऐसे में अलग-अलग दिनों में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के साथ अन्याय ना हो, इसलिए एसएससी ‘नॉर्मलाइजेशन’ की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के तहत आसान पेपर देने वाले परीक्षार्थियों के नंबर एक निश्चित फॉर्मूले के अनुसार कुछ कम जबकि कठिन पेपर देने वालों के नंबर कुछ अधिक किए जाते है।

अशोक कहते हैं यही कारण है कि 490 से अधिक स्कोर करने के बावजूद, वह 434 नंबरों पर भी क्वालीफाई नहीं कर पाए। हालांकि उनका कहना है कि यह अंतर बहुत अधिक है। अगर नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया के तहत किसी का नंबर अधिक या कम होता है, तो यह अंतर सामान्यतया 10 से 20 अंकों का होता है। लेकिन अशोक के नंबर में ही पा रहे हैं कि उनका कम से कम 56 नंबर कम हुआ है। गांव कनेक्शन ने ऐसे कई लड़कों से बात की, जिन्होंने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उनका भी नंबर कटऑफ से कम आया है, जबकि आंसर की के मुताबिक वे अगले चरण के लिए क्वालीफाई कर रहे हैं।

इन तैयारी करने वाले छात्रों की नाराजगी इस बात पर भी है कि एसएससी ने सिर्फ कटऑफ नंबर और क्वालीफाई करने वाले छात्रों की सूची जारी की है, जबकि किस छात्रों को कितना नंबर मिला है, वह नहीं पता चल रहा है।

यही कारण है कि सोशल मीडिया खासकर ट्वीटर पर पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए ये अभ्यर्थी #मोदी_रोजगार_दो और #मोदी_जॉब_दो हैशटैग के साथ-साथ #DeclareCGLResult भी ट्रेंड चला रहे हैं। अब तक इन हैश टैग्स पर कुल 50 लाख से अधिक ट्वीट हो चुके हैं। ये ट्वीट्स पिछले साल सितंबर में हुए ट्वीटर स्टॉर्म की याद दिला रहे हैं, जब तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों और युवाओं ने पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर ‘बेरोजगार दिवस’ मनाया था। तब यह ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में नंबर वन ट्रेंड हुआ था। 

हालांकि यहएसएससी अभ्यर्थियों की नाराजगी का तात्कालिक कारण है। इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं, जिसकी वजह से एसएससी अभ्यर्थी तैयारी करने के साथ-साथ लगभग साल भर आंदोलनरत रहते हैं। इसमें एक प्रमुख मांग है कि एसएससी अपना एक निश्चित कैलेंडर घोषित करे और उसी कैलेंडर के मुताबिक किसी भी परीक्षा का एक साल के भीतर परिणाम घोषित होकर नियुक्ति हो। हम जिस परीक्षा CGL 2019 की बात कर रहे हैं, दो साल पूरा होने के बाद उसके अभी सिर्फ दो ही चरण के परिणाम आए हैं, तीसरा चरण हो चुका है लेकिन परिणाम आना और इसके बाद एक और चरण बाकी है। हालांकि पिछला एक साल कोरोना की भेंट चढ़ गया, यह भी हमें ध्यान रखना चाहिए।

वहीं अभ्यर्थियों का कहना है कि ऐसा सिर्फ एक परीक्षा के साथ नहीं है। एसएससी सीजीएल 2018 के लिए मई, 2018 में अधिसूचना आई थी। इसके चार चरणों की परीक्षा होते-होते फरवरी, 2021 आ गया है, लेकिन अंतिम परिणाम नहीं आया है। यहां पर यह भी जिक्र करना जरूरी है कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद भी लगभग 6 महीने से एक साल के बीच में ही ज्वाइनिंग प्रक्रिया पूरी हो पाती है। जैसे एसएससी सीजीएल 2017 में सफल कुछ अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग अभी तक नहीं हो पाई है।

इससे पता चलता है कि एक परीक्षा को देने में एक अभ्यर्थी को तीन से चार साल तक लग जाते हैं। यही कारण है कि अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रियाओं को एक साल के भीतर पूरा करने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में कई बार अपनी टिप्पणी कर चुका है। इसके अलावा अभ्यर्थी इन परीक्षाओं के लिए वेटिंग लिस्ट की भी मांग कर रहे हैं, ताकि बची हुई सीटों पर ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हो सके जो कठिन प्रतिस्पर्धा के इस दौर में बेहद कम अंकों से अंतिम परिणाम में जगह बनाने से चूक गए हैं।

फिलहाल इन अभ्यर्थियों की तात्कालिक मांग यह है कि एसएससी सीजीएल 2019 टायर 2 के मार्क्स 3 दिन के अंदर जारी किए जाएं ताकि पारदर्शिता रहे। हमेशा सें SSC रिजल्ट आने के 5 दिन बाद मार्क्स जारी कर देती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। ये अभ्यर्थी 18 नवंबर के गणित के पेपर को दुबारा करवाने की भी मांग कर रहे हैं ताकि नॉर्मलाइजेशन के नियम को ठीक ढंग से लागू किया जा सके।

अभ्यर्थियों द्वारा ट्वीटर पर की जा रही अपील

अभ्यर्थियों द्वारा ट्वीटर पर की जा रही अपील

ये अभ्यर्थी एसएससी से एक ग्रिवांस सेल भी बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें अपनी मुद्दों को रखने के लिए सोशल मीडिया या मीडिया का सहारा नहीं लेना पड़े और छात्र अपने मुद्दे सीधे SSC तक पहुंचा सके। हमने इस संबंध में एसएससी के अधिकारियों (चेयरमैन और संयुक्त सचिव) से उनके दूरभाष नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन बार-बार फोन करने के बावजूद किसी का भी फोन नहीं उठा। एसएससी का वर्जन आ जाने पर खबर को अपडेट किया जाएगा।  

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