स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। भारत में अभी तक ई-नाम मंडियों के निर्माण में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। पिछले महीने केंद्रीय कृषि मंत्री ने यूपी और मध्य प्रदेश में मंडियों में संचालित ई-नाम सुविधा को सराहा था और अन्य राज्यों को यूपी का ई-नाम मंडी मॉडल अपनाने की सलाह दी थी। ऐसे में देश की इस मंडी व्यवस्था में सर्वश्रेष्ठ बने रहने के लिए मंडी परिषद, उत्तर प्रदेश पर बड़ी ज़िम्मेदारी है।
यूपी में ई-नाम मंडियों की सफलता के बारे में मंडी परिषद के निदेशक धीरज कुमार बताते हैं, ‘’प्रदेश में ई-नाम व्यवस्था से 100 मंडियों को जोड़ा जा चुका है। इस सुविधा में अधिक से अधिक किसानों और व्यापारियों को जोड़ा जा सके, इसके लिए हम हर जिले में स्थापित की गई ई-नाम मंडी में हर महीने सबसे अच्छी खरीद करने वाले व्यापारी और कृषि उत्पाद बेचने वाले किसानों को सम्मानित भी कर रहे हैं।’’
अप्रैल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर की मंडियों में ई-नाम सुविधा की शुरुआत की, जिसके बाद देशभर के राज्यों में स्थापित बड़ी मंडियों में ई-नाम लैब बनवाने का फैसला किया गया। यह सुविधा आठ राज्यों में लागू हो चुकी है, सरकार ने मार्च 2018 तक इस सुविधा को देश की 585 मंडियों तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। मौजूदा समय में यह सुविधा देशभर की 455 मंडियों में उप्लब्ध है।
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मंडियों में ई-नाम सुविधा का सबसे अच्छा संचालन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में हुआ है। उत्तर प्रदेश में 100 ई-नाम मंडियां हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 57 ई-नाम मंडियां बनाई जा चुकी हैं। देश भर की प्रमुख मंडियों में संचालित हो रही इस व्यवस्था के अंतर्गत किसानों की आवक को जांच कर उसका लॉट नंबर जारी कर दिया जाता है।यह लॉट नंबर मंडी में लगी डिजीटल स्क्रीन पर डिस्पले किया जाता है। इससे मंडी में मौजूद व्यापारी और खरीददार किसानों का माल खरीदते हैं। किसानों की आवक का मूल्य उसके ग्रेड ( ए,बी या सी ग्रेडिंग) के आधार पर तय होता है, यानी की जितना अच्छा ग्रेट उतनी अच्छी बोली।
आने वाले समय में ई-नाम सुविधा में कुछ बदलाव की मांग करते हुए नवीन गल्ला मंडी लखनऊ के सचिव डी के वर्मा कहते हैं, “ मंडी में ई-नाम सुविधा का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इस सुविधा का उपयोग कर रहे किसानों को समय से भुगतान मिलने में समस्या आ रही है।क्योंकि भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जाता है। इसलिए कभी कबार किसानों को उपज का दाम मिलने में देरी हो जाती है।’’
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वो आगे बताते हैं कि कई बार किसान नगद धनराशि की मांग करते हैं पर ऑनलाइन भुगतान होने की वजह से उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पाती है।इस क्षेत्र में सरकार को कुछ सोचना चाहिए। उत्तरप्रदेश में मौजूदा समय में 100 कृषि मंडियों में ई-नाम लैब सुविधा शुरू हो चुकी है। लखनऊ जिले में सीतापुर रोड स्थित नवीन गल्ला मंडी में ई-नाम सुविधा के अंतर्गत किसानों व्दारा लाए गए उत्पादों की खरीद अक्टूबर 2016 से हो रही है। इस सुविधा के अंतर्गत मंडी में 200 से अधिक किसानों को लाभ मिल चुका है।
मंडी में यह देखा गया है कि ई-नाम सुविधा का उपयोग करने वाले किसानों का काफी समय ई-नाम पंजीकरण और मंडी रसीद बनवाने में निकल जाता है। किसानों का समय बचाने और बार-बार मंडी रसीद न कटवाने के लिए परिषद ई-नाम का प्रयोग करने वाले किसानों का आधार लिंक नंबर जारी करने की योजना बना रहा है।