कौड़ियों के भाव यूपी में धान बेचने को मजबूर किसान, हर कुंटल पर 300-400 का नुकसान
गाँव कनेक्शन | Dec 07, 2016, 14:21 IST
स्वयं डेस्क
कम्यूनिटी जर्नलिस्टः लखनऊ से अश्वनी निगम के साथ कन्नौज से अजय मिश्रा, बहराइच से प्रशांत श्रीवास्तव, सिद्धार्थनगर से दीनानाथ
लखनऊ। दो साल के सूखे के बाद इस साल मानसून औसत रहा, जिससे खरीफ की मुख्य फसल धान की राज्य में अच्छी पैदावार हुई है। किसान खेत से धान की फसल काटकर धान को तैयार करके किसान क्रय केन्द्र ले जा रहे हैं लेकिन धान क्रय केन्द्रों पर धान खरीद न होने से किसान निराश हैं और मंडियों का रुख कर रहे हैं। वहां उन्हें कम दामों में धान बेचना पड़ रहा है।
धान बेचने के लिए किसान अब आढ़तियों के यहां जाकर सरकार की तरफ से घोषित धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1470 रुपए प्रति कुंतल की जगह 1000 रुपए से लेकर 1100 रुपए प्रति कुंतल बेचने पर मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी अधिकारी और ट्रेडर्स की मिलीभगत के चलते ऐसा हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2016-17 के लिए धान के समर्थन मूल्य का पिछले दिनों ऐलान करते हुए कहा था कि राज्य में एक अक्टूबर, 2016 से 28 फरवरी, 2017 तक राज्य एवं केन्द्र सरकार की एजेंसियों के माध्यम से धान खरीदा जाएगा। सामान्य धान का समर्थन मूल्य 1470 रुपए प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 1510 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था।
कई जिलों में खरीद शुरू हो गई है, लेकिन ज्यादातर जिलों में एक नबवंर से होगी। जहां धान क्रय केन्द्र शुरू हुए हैं वहां भी अभी नाममात्र की धान की खरीद हो रही है लेकिन मंडियों में भी धान नहीं खरीदने के लिए ऐसे में किसानों की फसल न खरीदने के लिए ट्रेडर तमाम तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। सहारनपुर के रतनपुर गाँव निवासी विरेश कुमार ने बताया, "हरियाणा में एजेंसियों ने फसल में 22 फीसदी नमी का मापदंड तय किया हुआ है। इस तरह किसानों को यह कहकर लौटाया जा रहा है कि उनकी फसल में नमी अत्याधिक है।"
सरकार ने इस साल धान खरीद का लक्ष्य 50 लाख टन तय किया गया है। इसके बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही किसान अपना धान बेचने के लिए किसान क्रय केन्द्रों का चक्कर लगा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बुलंदशहर और बिजनौर आदि जनपदों में धान महज 1000 रुपए से 1100 तक ही बिक रहा है। ऐसे में जब अपने यहां दाम नहीं मिला तो किसान अपनी फसल को लेकर हरियाणा की मंडियों का रुख कर रहे हैं। कमोबेश यही हाल लखनऊ के आसपास भी है।
रमेश रावत, मोहनलालगंज, लखनऊ
लखनऊ जिले के मोहनलालगंज के धनुवासां लड गांव के किसान रमेश रावत ने बताया, "इस साल वह दस बीघे में धान की फसल लगाए थे। धान की उपज भी अच्छी हुई है लेकिन सरकारी एजेंसियों की तरफ से अभी तक धान की खरीद शुरू ही नहीं हो पाई है, जिससे मजबूरी में हमें मंडी जाकर आढ़तियों पास धान बेचना पड़ रहा है।"
पश्चिमी यूपी के किसान बेहतर मूल्य के लिए धान हरियाणा की मंडियों में बेच रहे हैं। मथुरा के बालकिसन सिंह ने बताया, "मैं पिछले छह दिनों से अपनी फसल को लेकर हरियाणा की जींद जिले की मुख्य मंडी में हूं। मेरी 20 कुंतल धान में सिर्फ नमी बताकर ही नहीं खरीदा जा रहा है। ऐसे में अगर बारिश हो जाती है तो मेरी यह फसल भी बेकार हो जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।"
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिलों में धान खरीद केंद्र ही पर्याप्त मात्रा में नहीं बनाए गए हैं। सहारनपुर के कासमपुर निवासी रामकुमार सिंह ने बताया कि जिले में दो-चार जगहों पर धान खरीद केंद्र हैं। ऐसे में वहां पर सिर्फ 1100 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल के दाम ही मिल रहे हैं। इसलिए हरियाणा की मंडियों में फसल को ले जाने को मजबूर हैं, लेकिन यहां उनके धान में पहले नमी बताकर तीन-चार दिन रोका जाता है और फिर 1200 से 1300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाता है।
राकेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन
लखनऊ। कुम्हरावां के एक कारोबारी ने बताया कि धान खरीद में सरकारी एसेंजियां हमेशा पीछा छुटाती रहती हैं क्योंकि सरकारी केंद्र से धान खरीद के बाद भी उसे धान मिल ही भेजना होता है। लेकिन अपने यहां ज्यादातर किसानों के धान की क्वालिटी बेहतर नहीं होती है, वो टूटता ज्यादा ऐसे में मिल लेने से इनकार कर देते हैं। इसका घाटा सहकारी खरीद केंद्र के सचिव को उठाना पड़ता है। इसलिए वो कोशिश करते हैं कि कम से कम धान लेना पड़े। फिर किसान की मजबूरी होती है कि वो निजी दुकानों पर बिक्री करे। यहां पैसा कम लेकिन तुरंत मिल जाता है। कई किसानों को खरीफ की फसल काटकर रबी की बोना है इसलिए भी वो इंतजार नहीं करते हैं।
कन्नौज। कन्नौज जिले में सरकारी केंद्रों पर धान की खरीद अभी शुरू नहीं हुई है। यहां पर दो नवम्बर से धान की खरीद शुरू होगी। इस बार यहां धान क्रय केन्द्रों की संख्या भी कम कर दी गई। क्रय केन्द्र नहीं खुलने का फायदा उठाते हुए आढ़तियों ने धान के रेट भी कम कर दिए हैं। जिससे किसान चाहकर भी अभी धान बिक्री करने कम ही निकल रहे हैं। इस बार जिले में विभिन्न कंपनियों के 24 खरीद केंद्र घोषित किये गए हैं। यहां दो नवम्बर से 28 फ़रवरी तक धान की खरीद होगी। डिप्टी आरएमओ संतोष पटेल ने बताया कि 40 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य है। पिछली बार 18 आढतों समेत कुल 50 केंद थे। उन्होंने बताया कि अभी धान कम ही तैयार हुई है। जो बाजार में है उसमें नमी है। तिर्वा तहसील के पट्टी गांव निवासी मिथलेश ने बताया कि आढ़त पर धान 1100 में ले रहे हैं। रेट कम हैं। इसी गांव के अखिलेश कुमार ने बताया कि दिवाली के बाद ही मैं धान बिक्री करूँगा। रेट बढ़ने की सम्भावना है। साथ ही सरकारी खरीद भी शुरू हो जायेगी। बनियनपुरवा निवासी केसराम का कहना है कि त्यौहार पर रुपए की जरुरत थी इसलिए कम रेट में धान बिक्री करना पड़ा। सरकारी खरीद इस बार देर से शुरू हो रही है।
केसराम, बनियनपुरवा, कन्नौज
लखनऊ में एक धान मिल के बाहर खड़ी धान से लदी ट्रालियां। फोटो- विनय गुप्ताबहराइच। त्यौहारों के मौसम मे सरकारी फरमान किसानों पर भारी पड़ रहा है। दिवाली सर पर है और किसानों को धान बेचने के लिये त्यौहार खत्म होने का इन्तजार करना पड़ेगा, जिससे किसानों की दिवाली फीकी होती नजर आ रही है।
जिले14 विकास खंडों मे धान खरीद के लिए पीसीएफ, खाद्य विभाग,एफसीआई, यूपी एग्रो और एनसीसीएफ को क्रय एजेंसी नामित किया गया है, जिन्हे 69 क्रय केंद्र स्थापित किए जाने को जिलाधिकारी ने अनुमति प्रदान कर दी है। इन क्रय केंद्रों के माध्यम से 80 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जहां एक नवंबर से धान खरीद शुरू की जाएगी। बलहा ब्लाक के भवनियापुर गांव के सुमई ने बताया कि त्यौहार के कारण हम सरकारी खरीद का इन्तजार नहीं कर सकते हम खर्चे के लिये अपना धान बाजार मे बेच लेंगे। इस संबंध मे गल्ला मन्डी समिति सहायक फैसल कबीर खान ने बताया हमे एक नवंबर से खरीद करने के आदेश मिले है और सभी एजेंसियों को भी यही आदेश दिया गया है, जिससे खरीदारी एक नवंबर से ही शुरू होगी।
सिद्धार्थनगर। जनपद में 1 नवम्बर से धान खरीद शुरू होगी। यहाँ कुल 43 क्रय केंद्र बनाये गए हैं। 16000 मी0 टन खरीद का लछय तय किया गया है। खाद्य विभाग के 9, पीसीफ के 24, यू पीएग्रो के 2, कर्मचारी कल्याण निगम के 2 व सहकारी समिति के 6 केंद्र तय किये गए हैं। अभी निजी आड़त पर बेच रहे हैं। सेमरा गांव निवासी किसान अवधेश शुक्ला ने बताया कि 1100 से 1170 तक में आढ़तिये ले रहे हैं। ऐसे में किसानों को धान की बिक्री पर नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सहकारिता मंत्री के तौर पर शिवपाल यादव को बर्खास्त किया जा चुका है, जिसके बाद में यहां की दिक्कतों को लेकर अफसर तक बोलने को राजी नहीं हैं।
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
कम्यूनिटी जर्नलिस्टः लखनऊ से अश्वनी निगम के साथ कन्नौज से अजय मिश्रा, बहराइच से प्रशांत श्रीवास्तव, सिद्धार्थनगर से दीनानाथ
लखनऊ। दो साल के सूखे के बाद इस साल मानसून औसत रहा, जिससे खरीफ की मुख्य फसल धान की राज्य में अच्छी पैदावार हुई है। किसान खेत से धान की फसल काटकर धान को तैयार करके किसान क्रय केन्द्र ले जा रहे हैं लेकिन धान क्रय केन्द्रों पर धान खरीद न होने से किसान निराश हैं और मंडियों का रुख कर रहे हैं। वहां उन्हें कम दामों में धान बेचना पड़ रहा है।
धान बेचने के लिए किसान अब आढ़तियों के यहां जाकर सरकार की तरफ से घोषित धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1470 रुपए प्रति कुंतल की जगह 1000 रुपए से लेकर 1100 रुपए प्रति कुंतल बेचने पर मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी अधिकारी और ट्रेडर्स की मिलीभगत के चलते ऐसा हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2016-17 के लिए धान के समर्थन मूल्य का पिछले दिनों ऐलान करते हुए कहा था कि राज्य में एक अक्टूबर, 2016 से 28 फरवरी, 2017 तक राज्य एवं केन्द्र सरकार की एजेंसियों के माध्यम से धान खरीदा जाएगा। सामान्य धान का समर्थन मूल्य 1470 रुपए प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 1510 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था।
कई जिलों में खरीद शुरू हो गई है, लेकिन ज्यादातर जिलों में एक नबवंर से होगी। जहां धान क्रय केन्द्र शुरू हुए हैं वहां भी अभी नाममात्र की धान की खरीद हो रही है लेकिन मंडियों में भी धान नहीं खरीदने के लिए ऐसे में किसानों की फसल न खरीदने के लिए ट्रेडर तमाम तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। सहारनपुर के रतनपुर गाँव निवासी विरेश कुमार ने बताया, "हरियाणा में एजेंसियों ने फसल में 22 फीसदी नमी का मापदंड तय किया हुआ है। इस तरह किसानों को यह कहकर लौटाया जा रहा है कि उनकी फसल में नमी अत्याधिक है।"
सरकार ने इस साल धान खरीद का लक्ष्य 50 लाख टन तय किया गया है। इसके बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही किसान अपना धान बेचने के लिए किसान क्रय केन्द्रों का चक्कर लगा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बुलंदशहर और बिजनौर आदि जनपदों में धान महज 1000 रुपए से 1100 तक ही बिक रहा है। ऐसे में जब अपने यहां दाम नहीं मिला तो किसान अपनी फसल को लेकर हरियाणा की मंडियों का रुख कर रहे हैं। कमोबेश यही हाल लखनऊ के आसपास भी है।
धान की उपज अच्छी हुई है लेकिन सरकारी खरीद शुरू ही नहीं हो पाई है, जिससे मजबूरी में हमें मंडी जाकर आढ़तियों पास धान बेचना पड़ रहा है, जो 1000-1100 का रेट दे रहे हैं।
लखनऊ जिले के मोहनलालगंज के धनुवासां लड गांव के किसान रमेश रावत ने बताया, "इस साल वह दस बीघे में धान की फसल लगाए थे। धान की उपज भी अच्छी हुई है लेकिन सरकारी एजेंसियों की तरफ से अभी तक धान की खरीद शुरू ही नहीं हो पाई है, जिससे मजबूरी में हमें मंडी जाकर आढ़तियों पास धान बेचना पड़ रहा है।"
पश्चिमी यूपी के किसान बेहतर मूल्य के लिए धान हरियाणा की मंडियों में बेच रहे हैं। मथुरा के बालकिसन सिंह ने बताया, "मैं पिछले छह दिनों से अपनी फसल को लेकर हरियाणा की जींद जिले की मुख्य मंडी में हूं। मेरी 20 कुंतल धान में सिर्फ नमी बताकर ही नहीं खरीदा जा रहा है। ऐसे में अगर बारिश हो जाती है तो मेरी यह फसल भी बेकार हो जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।"
नहीं बनाए खरीद केंद्र
हमने तमाम जगहों की समस्या को उठाने के लिए आंदोलन की रणनीति बनाई है। जल्द ही किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन किया जाएगा। सरकार को नींद से जगाया जाएगा।
खराब क्वालिटी का धान बताकर मिल लेने से कर देते हैं इनकार
कन्नौज में सरकारी खरीद शुरू नहीं, आढ़तों पर रेट कम
त्यौहार पर रुपए की जरुरत थी इसलिए कम रेट में धान बिक्री करना पड़ा। सरकारी खरीद इस बार देर से शुरू हो रही है।
लखनऊ में एक धान मिल के बाहर खड़ी धान से लदी ट्रालियां। फोटो- विनय गुप्ता
त्यौहार के लिए कम कीमत पर बेचने पड़ रहे बहराइच के किसानों को धान
जिले14 विकास खंडों मे धान खरीद के लिए पीसीएफ, खाद्य विभाग,एफसीआई, यूपी एग्रो और एनसीसीएफ को क्रय एजेंसी नामित किया गया है, जिन्हे 69 क्रय केंद्र स्थापित किए जाने को जिलाधिकारी ने अनुमति प्रदान कर दी है। इन क्रय केंद्रों के माध्यम से 80 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जहां एक नवंबर से धान खरीद शुरू की जाएगी। बलहा ब्लाक के भवनियापुर गांव के सुमई ने बताया कि त्यौहार के कारण हम सरकारी खरीद का इन्तजार नहीं कर सकते हम खर्चे के लिये अपना धान बाजार मे बेच लेंगे। इस संबंध मे गल्ला मन्डी समिति सहायक फैसल कबीर खान ने बताया हमे एक नवंबर से खरीद करने के आदेश मिले है और सभी एजेंसियों को भी यही आदेश दिया गया है, जिससे खरीदारी एक नवंबर से ही शुरू होगी।
सिद्धार्थनगर में 300-400 नुकसान पर बेचने को मजबूर किसान
मंत्री ही नहीं अफसर बोलते नहीं
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).