टमाटर की खेती के लिए मशहूर है औरैया का ये गाँव 

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गेहूं, धान की खेती करने वाले किसानों का मन साग-सब्जी में टमाटर की तरफ क्या परिवर्तित हुआ गाँव की पहचान भी इसी से होने लगी। अब किसान धान करने के बाद अपने खेतों में टमाटर लगा रहे है। किसान बताते है गेहूं से अच्छा मुनाफा टमाटर में तब हो जाता है जब बिल्कुल सस्ता बिक जाये। नहीं तो प्रत्येक बीघा में एक से डेढ़ लाख की आय हो जाती है।

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जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर पश्चिम दिशा में बसे गाँव नरोत्तमपुर में किसान कभी गेहूं और धान बहुतायात में करते थे। किसानों को गेहूं की फसल में अच्छी बचत न होने पर टमाटर की खेती करनी शुरू कर दी। टमाटर का ऐसा गाँव के लोगों को चस्का लगा कि पूरा गाँव आज अपने खेतों में बस यही फसल करता है। यहां टमाटर सिर्फ औरैया मंडी में नहीं बल्कि इटावा, कानपुर, झांसी की मंडी में जाता है।

मार्च में आने वाले टमाटर हेमसोना और क्रांति किसानों ने लगा रखा है, जिसमें दो सप्ताह के अंदर फूल आने शुरू हो जाएंगे। हालांकि एक खेत के कुछ पौधों में फूल आना शुरू हो गये है और कुछ में बांकी है। गेहूं से अच्छी मुनाफा होने पर गाँव के सभी किसानों ने टमाटर की खेती अपना ली है। एक बीघा खेत में अमूमन 80 हजार से एक लाख रुपए तब बच जाते हैं जब टमाटर का भाव 50 रुपए कैरेट तक गिर जाये। नहीं तो डढे से दो लाख रुपए प्रति बीघा की बचत होती है। मार्च में आने वाला टमाटर किसान लगा चुके है जब कि जून में आने वाले टमाटर की किसानों ने नर्सरी डालनी शुरू कर दी है।

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गेहूं से अच्छी बचत टमाटर में

नरोत्तमपुर निवासी वेद प्रकाश (60 वर्ष) का कहना है, ”मैं अपनी जवानी से लेकर अभी तक गेहूं की धान फसल करता आ रहा। लेकिन अचानक टमाटर की खेती करने का मन हुआ। एक बीघा में डेढ से दो लाख रुपए गेहूं से अच्छी बचत होने पर मैंने टमाटर की ही खेती करनी शुरू कर दी है।”

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सरकारी सहयोग मिले तो और हो बचत

नरोत्तमपुर निवासी मनोज अग्निहोत्री (55 वर्ष) ने बताया, ”टमाटर की खेती हम लोग प्राईवेट कंपनी का बीज लेकर करते है। सरकारी कोई सहयोग नहीं मिलता है अगर मिले तो और बचत होने लगे। गाँव के हर किसान के खेत में अब टमाटर की खेती है। अब तो हमारे गाँव की पहचान भी टमाटर से हो गई है।”

नरोत्तमपुर निवासी श्याम बाबू बढई (65 वर्ष) ने बताया, ”सब फसलों से अच्छी बचत हमें टमाटर से है। मेरी पूरी खेती नहर और माइनर के बीच में है। इसलिए अच्छा पानी मिल जाता है। पहले छह माह में एक फसल ही करते थे टमाटर की लेकिन अब हेमसोना, क्रांति मार्च में फल देता है जब कि सक्षम जून में फल देता है। इसलिए अब अलग-अलग खेत में अलग-अलग किस्म का टमाटर लगाते है।”

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50 रुपए बिकने पर भी होता लाभ

नरोत्तमपुर निवासी किसान राजेंद्र पाल (60 वर्ष) ने बताया, ”टमाटर जब बहुत सस्ता बिके 50 रुपए ट्रे तब भी फायदा होता है। हम लोगों को अन्य फसलों में नुकसान झेलना पड़ता है जब कि टमाटर में नहीं। एक बीघा में होती है डेढ से दो लाख रुपए की आय।”

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प्राईवेट से बीज खुद खरीदते किसान

जिला उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार का कहना है, ”नरोत्तमपुर गाँव के किसान टमाटर अधिक करते है लेकिन सभी किसान विभाग से बीज लेने नहीं आते है। कुछ किसान आते है उन्हें दिया जाता है प्राईवेट पर खुद किसान जाते है उस पर अधिक भरोसा करते है। अगर किसान विभाग में आयेंगे तो उनका पूरा सहयोग किया जाएगा।”

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