दिवेन्द्र सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
इलाहाबाद। भिंडी की अगेती फसल लगाकर किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं। भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है। फरवरी से मार्च तक अगेती किस्म की भिंडी बो सकते हैं।
इलाहाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर सोरांव ब्लॉक के किसान बड़ी मात्रा में सब्जियों की खेती करते हैं। वहां के किसान रामअवतार पटेल (45 वर्ष) कहते हैं, “इस समय भिंडी की अच्छी पैदावार होती है। गर्मियों में इसका दाम अच्छा मिल जाता है, हम लोग शिवगढ़ और मुंडेरा मंडी में अपनी सब्जियां बेचने जाते हैं। तीन-चार महीने में भिंडी से अच्छी आमदनी हो जाती है।” खाद्य विभाग के शाक-भाजी विभाग के संयुक्त निदेशक आरके यादव भिंडी की खेती के बारे में बताते हैं, “ये मौसम भिंडी की फसल के लिए सही होता है, किसान सब्जियों के बीज अपने जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय से खरीद सकते हैं। वहां से भिंडी की उन्नत किस्म के बीज मिल जाते हैं।”
खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
खेत की तैयारी
भिंडी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है। भिंडी की खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जुताई कर भुरभुरा कर और पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए।
उन्नत किस्में
अर्का अभय, अर्का अनामिका, परभनी क्रांति, वर्षा उपहार भिंडी की प्रमुख किस्में हैं।
निराई-गुड़ाई
नियमित गुड़ाई कर खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए। बोने के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना जरूरी रहता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक का भी प्रयोग किया जा सकता है।
बीज एवं बीजोपचार
ग्रीष्मकालीन फसल के लिए 18-20 किग्रा बीज एक हेक्टेयर बुवाई के लिए पर्याप्त होता है। ग्रीष्मकालीन भिंडी के बीजों को बुवाई के पहले 12-24 घंटे तक पानी में डुबाकर रखने से अच्छा अंकुरण होता है। बुवाई से पहले भिंडी के बीजों को तीन ग्राम थायरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीजदर से उपचारित करना चाहिए।
बुवाई
ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में की जाती है। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार दूरी 25-30 सेमी और कतार में पौधे की बीच की दूरी 15-20 सेमी रखनी चाहिए।
जलप्रबंधन
यदि खेत में पर्याप्त नमी न हो तो बुवाई के पहले एक सिंचाई करनी चाहिए। गर्मी के मौसम में प्रत्येक पांच से सात दिन के अंतराल पर सिंचाई आवश्यक होती है।
तोड़ाई और उपज
किस्म की गुणता के अनुसार 45-60 दिनों में फलों की तुड़ाई शुरू की जाती है और चार से पांच दिनों के अंतराल पर नियमित तुड़ाई की जानी चाहिए। ग्रीष्मकालीन भिंडी फसल में उत्पादन 60-70 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होता है।
रोग नियंत्रण
इसमें सबसे अधिक येलो मोजेक जिसे पीला रोग भी कहते हैं, यह रोग वायरस द्वारा फैलता है, जिससे फल, पत्तियां और पौधा पीला पड़ जाता है, इसके नियंत्रण के लिए रोग रहित प्रजातियों का प्रयोग करना चाहिए या एक लीटर मेलाथियान को 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहना चाहिए, जिससे यह पीला रोग उत्पन्न ही नहीं होता है।
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।