देशभर में किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीक की जानकारी देने के लिए 680 कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं, ऐसे में कृषि विज्ञान कोटा इन सभी केवीके के बीच मॉडल कृषि विज्ञान केन्द्र बन गया है, जहां पर देशभर के वैज्ञानिक देखने और समझने आते हैं।
सब्जियों व फलों की खेती करने वाले किसानों को कई बार नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि कई बार अधिक उत्पादन होने पर सही दाम नहीं मिल पाता, ऐसे में बेहतर है कि वो उसका उत्पाद बनाकर बेचे, जिससे उन्हें बेहतर आमदनी हो सके।
कृषि विज्ञान केन्द्र, कोटा, राजस्थान में अब पांच सौ भी अधिक लोगों को फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग दिया जा चुका है। कृषि विज्ञान केन्द्र की पूर्व प्रभारी डॉ. ममता तिवारी बताती हैं, “हमारे यहां सोयाबीन, संतरा, लहसुन व टमाटर का अच्छा उत्पादन होता है, लेकिन कई बार ज्यादा उत्पादन होने पर सही दाम नहीं मिल पाता है। ऐसे में हमने फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग शुरू की, जिसका अच्छा परिणाम देखने को मिला।”
कृषि विज्ञान केन्द्र में अब कोटा ही नहीं पूरे राजस्थान के पांच सौ अधिक लोगों को यहां पर ट्रेनिंग दी जा चुकी है, जिसमें से कई लोगों ने अपना कारोबार भी शुरू कर दिया है। ममता तिवारी बताती हैं, “सब्जियों और फलों से हम दस तरह के उत्पाद बनाना सिखाते हैं, जिससे किसानों की बेहतर आमदनी हो सके। यहां पर गिलोय जैसी औषधियों का जूस बनाने की भी ट्रेनिंग दी गई है।”
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मॉडल कृषि विज्ञान के रूप में किया गया विकसित
कृषि विज्ञान केन्द्र, कोटा जल्द ही देश भर के केवीके के वैज्ञानिकों के लिए मिसाल बनने वाला है, देश भर के वैज्ञानिक यहां पर प्रशिक्षण लेने जाएंगे। देश के 680 कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक इस मॉडल कृषि विज्ञान केन्द्र को देखने और समझने जाएंगे।
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केन्द्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह बताते हैं, “कृषि विज्ञान केन्द्र पर अलग-अलग यूनिट्स लगाई गई हैं, जो हमें दूसरे कृषि विज्ञान केन्द्रों से अलग करती हैं। हमारे यहां खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, दलहन सीड हब, वर्मी कम्पोस्ट, मधुमक्खी पालन जैसे कई इकाईयां संचालित हो रहीं हैं।”
आईसीएआर के उपमहानिदेशक एके सिंह ने कहा है कि कृषि विज्ञान केन्द्र में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी लेने के लिए देश के 680 केवीके के कृषि वैज्ञानिकों यहां पर भेजा जाएगा, ताकि यहां की परियोजनाओं की जानकारी लेकर अपने केवीके में ऐसी इकाईयां बेहतर ढंग से चला सकें।
सोयाबीन से बना रहे हैं दूध, कमा रहे 70 हजार से एक लाख प्रति महीने
कृषि विज्ञान केन्द्र में प्रशिक्षण लेकर 27 लोगों से सोयाबीन से दूध, पनीर जैसे उत्पाद बनाने का प्लांट लगा लिया है। डॉ. आरती तिवारी बताती हैं, “हमारे यहां अभी तक जितने लोगों ने भी प्रशिक्षण लिया है उसमें से 20 फीसदी लोगों ने अपना प्लांट लगा लिया है। उनमें से 27 लोगों ने सोयाबीन से पनीर बनाने का प्लांट लगा लिया है, इस पनीर को टोफू कहते हैं, ये लोग हर महीने सत्तर हजार से एक लाख रुपए कमा रहे हैं।