स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क/गाँव कनेक्शन
लखनऊ। एक समय ऐसा था जब सीतापुर जिले में बड़े पैमाने पर मूंगफली की खेती होती थी, लेकिन समय के साथ-साथ मूंगफली यहां से खत्म होती गई। लेकिन एक बार फिल से सीतापुर में मूंगफली की खेती के क्षेत्रफल को बढ़ने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं और ये प्रयास सीतापुर के कटिया में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किये जा रहे हैं।
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मूंगफली की खेती कम होने का पीछे का कारण जानने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों उन क्षेत्रों का सर्वे किया जहां पर मूंगफली की खेती होती थी, वैज्ञानिकों ने मूंगफली को बढ़ावा देने के लिए किसानों को फिर से प्रेरित किया।
मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़, के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रामदत्ता (फसल सुरक्षा) व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरए जाट ने किसानों से मिलकर मूंगफली की खेती की जानकारी ली। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, “मूंगफली की खेती के पुनरोत्थान के लिए केवीके और मूंगफली अनुसंधान निदेशालय के प्रयास से मूंगफली की खेती हो रही है।”
रबी सीजन में सीतापुर जिले में बीस एकड़ क्षेत्रफल में मूंगफली की खेती की गई थी, जो खरीफ के सीजन में बढ़कर अस्सी एकड़ तक पहुंच गई है। वैज्ञानिकों ने बिसवां ब्लॉक के समतापुर गाँव में गोष्ठी का भी आयोजन किया, जिसे मूंगफली अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने मूंगफली गाँव घोषित किया। किसानों को सिंचाई, खरपतवार प्रबंधन, पोषक तत्व, कीट प्रबंधन के बारे में बताया गया।
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इस क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र ने मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय के सहयोग से मूंगफली कि खेती को जायद और खरीफ दोनों सीजन में कराने कि परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना के तहत फसल कटने के बाद कृषि विज्ञान केन्द्र उनकी सारी पैदावार को खरीद भी लेगा उन्हें और कहीं नहीं बेचना है।
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