किसानों की आमदनी बढ़ाएंगी गन्ने की नई किस्में, नहीं होगा रेड रॉट रोग से फसल को नुकसान
गाँव कनेक्शन | Oct 24, 2020, 05:03 IST
गन्ने की इस नई किस्म में लाल सड़न (रेड रॉट) रोग से लड़ने की क्षमता बहुत ज्यादा है और बेधक कीट भी कम नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही इस किस्म का गन्ना बिलकुल सीधा खड़ा रहता है, जिससे इसको बंधाई की कम जरूरत पड़ती है।
लखनऊ। पिछले कुछ सालों में गन्ना किसानों के लिए गन्ने का रेड रॉट रोग और छुट्टा जानवर समस्या बने हुए हैं, ऐसे में गन्ने की ऐसी किस्म विकसित की गई है, जिस पर इनका असर नहीं होगा।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ व उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने गन्ने की नई किस्म सीओएलके-14201 (CoLk-14201) जो जल्दी तैयार हो जाती है और सामान्य किस्म सीओएस-14233 (CoS-14233) जारी की है।
गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के निदेशक डॉ. ज्योत्सेंद्र सिंह बताते हैं, "परीक्षण आंकड़ों पर गहन चर्चा के बाद यह पाया गया, कि इस शीघ्र गन्ना किस्म में प्रचलित किस्म 'को. 0238' से ज्यादा उपज क्षमता के साथ-साथ ज्यादा चीनी परता भी मिला है। आज जब गन्ने की 'को. 0238' किस्म में बृहद स्तर पर लाल सड़न रोग की समस्या बढ़ रही है। वही किसानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में को. 0238 पर रोक लगाने की संभावना अधिक बढ़ रही है। वही इसको को. 0238 को परिवर्तित कर के 'को.लख. 14201' को बढ़ावा देने की बहुत ही आवश्यकता बढ़ रही है।"
वो आगे कहते हैं, "किस्म'को.लख. 14201' में परीक्षण के दौरान 900-1000 कुंतल प्रति हेक्टेयर की उपज हुई। वहीं औसतन 13.0% पोल इन केन भी प्राप्त हुआ जो 'को. 0238' से ज्यादा था। वहीं इस किस्म का गन्ना बिलकुल सीधा खड़ा रहता है, और इसको बंधाई की कम आवश्यकता पड़ती है। साथ ही इसका गुड़ सुनहरे रंग और उत्तम गुणवत्ता का होता है। जो ऑर्गैनिक गुड़ उत्पादन के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।। 'को.लख. 14201' और को.शा. 14233 में लाल सड़न रोग से लड़ने की क्षमता बहुत ज़्यादा है, और 'को.लख. 14201 पर बेधक कीटों का भी बेहद कम आक्रमण होता है। किसानों के लिए काफ़ी फायदेमंद है यह क़िस्म।"
डॉ सिंह ने बताया, "को 0238 का रकबा प्रदेश में बहुत बड़ा है। तो इसलिये इतना आसान नही हैं। को 0238 को परिवर्तित करना। वहीं वर्ष चयनित किसानों और चीनी मिलों के माध्यम से को.लख.14201 का बीज तैयार कराया जा रहा है। अगले वर्ष किसानों को इसका बीज आसानी मिल सकेगा। अगले वर्ष 50 फ़ीसद तक किसानों के पास को.लख 14201 का बीज तैयार खड़ा होगा।ल्द
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार साह बताते हैं, "जल्द ही उत्तरी राज्यों के लिए गन्ने की चार किस्में CoLk14204, Co15023, CoPb14185 व CoSe 11453 और दक्षिणी राज्यों के लिए तीन किस्में MS13081, VSI 12121 और Co13013 को संबंधित कृषि जलवायु क्षेत्रों में खेती के लिए जारी की जाएंगी। इन क़िस्मों की खेती किसानों और चीनी उद्योग की आमदनी बढ़ाने में मिल का पत्थर साबित होगा। आने वाले समय में और गन्ना क़िस्मों के विकास के लिए साठ गन्ना किस्मों/क्लोन को देश के विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षण के लिए पहचान की गई।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ व उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने गन्ने की नई किस्म सीओएलके-14201 (CoLk-14201) जो जल्दी तैयार हो जाती है और सामान्य किस्म सीओएस-14233 (CoS-14233) जारी की है।
गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के निदेशक डॉ. ज्योत्सेंद्र सिंह बताते हैं, "परीक्षण आंकड़ों पर गहन चर्चा के बाद यह पाया गया, कि इस शीघ्र गन्ना किस्म में प्रचलित किस्म 'को. 0238' से ज्यादा उपज क्षमता के साथ-साथ ज्यादा चीनी परता भी मिला है। आज जब गन्ने की 'को. 0238' किस्म में बृहद स्तर पर लाल सड़न रोग की समस्या बढ़ रही है। वही किसानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में को. 0238 पर रोक लगाने की संभावना अधिक बढ़ रही है। वही इसको को. 0238 को परिवर्तित कर के 'को.लख. 14201' को बढ़ावा देने की बहुत ही आवश्यकता बढ़ रही है।"
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वो आगे कहते हैं, "किस्म'को.लख. 14201' में परीक्षण के दौरान 900-1000 कुंतल प्रति हेक्टेयर की उपज हुई। वहीं औसतन 13.0% पोल इन केन भी प्राप्त हुआ जो 'को. 0238' से ज्यादा था। वहीं इस किस्म का गन्ना बिलकुल सीधा खड़ा रहता है, और इसको बंधाई की कम आवश्यकता पड़ती है। साथ ही इसका गुड़ सुनहरे रंग और उत्तम गुणवत्ता का होता है। जो ऑर्गैनिक गुड़ उत्पादन के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।। 'को.लख. 14201' और को.शा. 14233 में लाल सड़न रोग से लड़ने की क्षमता बहुत ज़्यादा है, और 'को.लख. 14201 पर बेधक कीटों का भी बेहद कम आक्रमण होता है। किसानों के लिए काफ़ी फायदेमंद है यह क़िस्म।"