करें रेन गन से फसलों की सिंचाई, ऐसे उठा सकते हैं इस योजना का लाभ

सिंचाई व्यवस्था

कन्नौज। इत्रनगरी के नाम से मशहूर कन्नौज में फसलों की सिंचाई के लिए किसानों ने रेन गन का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इसमें सब्सिडी भी खूब दी जा रही है। जिले के 24 किसानों को इसका लाभ दिया जा चुका है।

जिला उद्यान अधिकारी मनोज कुमार चतुर्वेदी बताते हैं, ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को रेन गन दी जा रही है। तीन इंच मोटाई वाले 20-20 फिट के 25 पाइप, पांच फिट का स्टैंड और रैन गन दी जाती है। खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए नई तकनीक है।’’

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जिला उद्यान अधिकारी आगे बताते हैं कि ‘‘इसकी लागत 46,880 रूपए है। किसान को सिर्फ 11,000 ही देना पड़ता है। 35,621 रूपए का अनुदान इस पर मिलता है। लाभ डीबीटी के तहत मिलता है।’’

यह हैं इसके फायदे

जिला उद्यान अधिकारी का कहना है कि ‘‘रैन गन से 25-30 मीटर तक बारिश कराई जा सकती है। यह चारो तरफ भी बारिश करती है अगर कोई एक तरफ चाहे तो भी लगाई जा सकती है। कन्नौज में पहली बार यह लाभ दिया जा रहा है। अब तक 24 किसानों को रैन गन मिल चुकी है। इस विधि से पानी की बचत भी होगी। साथ ही सदुपयोग भी किया जा सकेगा।’’

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ऐसे करें नि:शुल्क पंजीकरण

विकास भवन में किसानों के लिए जिला उद्यान विभाग की ओर से कार्यालय में नि:शुल्क पंजीकरण किए जा रहे हैं। पंजीकरण ऑनलाइन हो रहे हैं। तीन जनवरी को डीएचओ मनोज कुमार और बीएसए कृशि उपेंद्र नाथ ने 12 किसानों को लाभ दिया है।

किसानों को रेन गन देते डीएचओ

मक्का और गन्ने के लिए लाभदायक

डीएचओ मनोज कुमार बताते हैं कि ‘‘रैनगन मक्का और गन्ना की फसल के लिए काफी अच्छी है। षुरूआती दौर में पौधे जब छोटे हों तो बागवानी में भी काम करेगी। पांच फिट के पाइप को बीच में लगाकर चारो ओर बारिश कराई जाती है। करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में फायदा होता है।’’ वह आगे बताते हैं, ‘‘सर्दी में आलू की फसल में पानी की जरूरत होती है। नमी कम होने से रैनगन से बारिश कराई जा सकती है। जब किसान पलेवा करते हैं तो आठ दिन तक फुर्सत हो जाते हैं, लेकिन इसमें ऐसा नहीं होता और जुताई की जा सकती है। इससे पानी की करीब 60 फीसदी बचत भी होती है।’’

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‘‘कोई भी किसान किसी भी वर्ग का हो रैनगन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। यह सभी के लिए है।’

मनोज कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी- कन्नौज

जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 28 किमी दूर उमर्दा के 30 वर्षीय किसान देवेंद्र कुमार बताते हैं, ‘‘जो खेत खाली टाइप के होते हैं उनमें पानी भरने से फसल नष्ट हो जाती है। पौधे कभी-कभी सड़ जाते हैं, लेकिन रैनगन जरूरत के हिसाब से प्रयोग की जाती है। मैंने टमाटर में रैनगन लगाई है। इसी से सिंचाई करते हैं।’’

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देवेंद्र आगे बताते हैं कि ‘‘इससे किसान अपने खेतों की अच्छी तरह से तो सिंचाई कर सकता है लेकिन दूसरे के लिए नहीं। एक महीना पहले ही हमने इसे लगवाया है। इसके पाइप बहुत मजबूत हैं जो नंबर एक के हैं। पाइप से भी सिंचाई हो जाती हैं। जहां आवष्यकता होती है वहां रैनगन से सिंचाई करते हैं।’’

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