कई राज्यों में मनाई जाने वाली हरतालिका तीज पूजा का इस बार ये है मुहूर्त
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2023, 12:09 IST
पश्चिम और मध्य पूर्व राज्यों में मनाई जाने वाली हरतालिका तीज पूजा का मुहूर्त इस बार अलग है। 18 सितंबर को मनाये जाने वाले इस त्यौहार के लिए शहर और गाँवों में पूजा की तैयारी शुरू हो गई है।
भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरतालिका तीज की शुरुआत इस बार 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर होगी और इसका समापन दोपहर में 12 बजकर 39 मिनट पर 18 तारीख को होगा। उदया तिथि की मान्यता के मुताबिक इसका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। हरतालिका तीज की पूजा सुबह 6 बजे से रात को 8 बजकर 24 मिनट तक होगी। शाम को प्रदोष काल में औरतें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करेंगी।
इस दिन महिलाएँ निर्जला (बिना पानी) व्रत करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने के बाद ही माता पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में मिले थे।
इस दिन, भगवान शिव और देवी पार्वती की रेत से अस्थायी मूर्तियाँ बनाई जाती हैं और वैवाहिक सुख और संतान के लिए उनकी पूजा की जाती है।
हरतालिका तीज को पौराणिक कथा के कारण इसे इसी नाम से जाना जाता है। हरतालिका शब्द हरत और आलिका से मिलकर बना है जिसका अर्थ छुपाना और सखी होता है। हरतालिका तीज की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती की सखी उन्हें घने जंगल में ले गईं ताकि उनके पिता उनकी इच्छा के खिलाफ उनकी शादी भगवान विष्णु से न कर सकें।
हरतालिका पूजा करने के लिए सुबह का समय अच्छा माना जाता है। अगर किसी कारण से सुबह की पूजा संभव नहीं है तो प्रदोष का समय भी शिव-पार्वती पूजा के लिए अच्छा माना जाता है। तीज की पूजा जल्दी स्नान करके और अच्छे कपड़े पहनकर करनी चाहिए। रेत से बने भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए और पूजा के दौरान हरतालिका की कथा सुनानी चाहिए।
हरतालिका व्रत को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है और यह देवी गौरी का आशीर्वाद पाने का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। गौरी हब्बा के दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए देवी गौरी का आशीर्वाद पाने के लिए स्वर्ण गौरी व्रत रखती हैं।
तीज उत्सव उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में महिलाओं द्वारा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। सावन और भाद्रपद महीनों के दौरान आम तौर पर तीन तीजें प्रमुख है। जिनमें हरियाली तीज,कजरी तीज और हरतालिका तीज शामिल हैं। आखा तीज जिसे अक्षय तृतीया और गणगौर तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, वो इन तीन तीजों का हिस्सा नहीं है।
हरितालिका तीज भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। हरतालिका तीज हरियाली तीज के एक महीने बाद आती है और ज्यादातर गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाई जाती है। हरतालिका तीज के दौरान महिलाएं मिट्टी से बने भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं।
Also Read: प्रकृति पूजा का पर्व- हरितालिका तीज या तीजा
इस दिन महिलाएँ निर्जला (बिना पानी) व्रत करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने के बाद ही माता पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में मिले थे।
इस दिन, भगवान शिव और देवी पार्वती की रेत से अस्थायी मूर्तियाँ बनाई जाती हैं और वैवाहिक सुख और संतान के लिए उनकी पूजा की जाती है।
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हरतालिका तीज को पौराणिक कथा के कारण इसे इसी नाम से जाना जाता है। हरतालिका शब्द हरत और आलिका से मिलकर बना है जिसका अर्थ छुपाना और सखी होता है। हरतालिका तीज की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती की सखी उन्हें घने जंगल में ले गईं ताकि उनके पिता उनकी इच्छा के खिलाफ उनकी शादी भगवान विष्णु से न कर सकें।
हरतालिका पूजा करने के लिए सुबह का समय अच्छा माना जाता है। अगर किसी कारण से सुबह की पूजा संभव नहीं है तो प्रदोष का समय भी शिव-पार्वती पूजा के लिए अच्छा माना जाता है। तीज की पूजा जल्दी स्नान करके और अच्छे कपड़े पहनकर करनी चाहिए। रेत से बने भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए और पूजा के दौरान हरतालिका की कथा सुनानी चाहिए।
हरतालिका व्रत को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है और यह देवी गौरी का आशीर्वाद पाने का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। गौरी हब्बा के दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए देवी गौरी का आशीर्वाद पाने के लिए स्वर्ण गौरी व्रत रखती हैं।
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तीज उत्सव उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में महिलाओं द्वारा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। सावन और भाद्रपद महीनों के दौरान आम तौर पर तीन तीजें प्रमुख है। जिनमें हरियाली तीज,कजरी तीज और हरतालिका तीज शामिल हैं। आखा तीज जिसे अक्षय तृतीया और गणगौर तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, वो इन तीन तीजों का हिस्सा नहीं है।
हरितालिका तीज भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। हरतालिका तीज हरियाली तीज के एक महीने बाद आती है और ज्यादातर गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाई जाती है। हरतालिका तीज के दौरान महिलाएं मिट्टी से बने भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं।
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