“15 या 16 अप्रैल को अरुण मिश्रा (38) को पहली बार बुखार आया था। तब वे मुंबई में थे। दवा चल रही थी। जांच में टाइफाइड निकला था। काम था तो प्रयागराज आ गए। 20 को उनकी तबीयत बिगड़ती है। बोले कि बहुत कमजोरी है। हम उन्हें एक निजी अस्पताल लेकर गए और एडमिट कराया। 21 की रात में ऑक्सीजन लेवल कम हुआ। डॉक्टर ने ऑक्सीजन लगाया, लेकिन 22 की सुबह लगभग 4 बजे उनका ऑक्सीजन लेवल 30 पर आ गया और करीब 5 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली।” दुखी मन से प्रिंस शुक्ला कहते हैं।
अरुण मिश्रा रिश्ते में प्रिंस के बहनोई (बहन के पति) लगते थे। अरुण मुंबई में रहते थे और एक निजी कम्पनी में काम करते थे। काम के सिलसिले में वे अक्सर दूसरे राज्यों का दौरा करते थे। वे लगभग एक हफ्ते से बीमार थे। जांच में टाइफाइड होने की पुष्टि हुई थी।
ये कहानी बस अरुण की नहीं है। देश में इस समय कोरोना के साथ-साथ टाइफाइड बुखार भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं। ऐसे में बीमारी का सही पता नहीं चल पा रहा और फिर कुछ दिनों बाद मरीज की स्थिति बिगड़ जा रही है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किमी दूर जिला भदोही के राजपुरा कॉलोनी में रहने कृष्ण कुमार (48) की तबियत 15 अप्रैल को बिगड़ जाती है। कई दिन बाद जब बुखार नहीं कम होता तब लक्षण के आधार पर डॉक्टर ने विडाल टेस्ट (टाइफाइड टेस्ट) कराने के लिए कहा, जिसमें टाइफाइड की पुष्टि हुई। लगभग 15 दिन दवा खाने के बाद एक मई को अचानक उनकी तबियत बिगड़ती है।
इसके बाद जब उन्होंने सीटी स्कैन कराया तो सीने में संक्रमण निकला। 4 मई को उन्हें कोविड अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहाँ बाद कोविड संक्रमण की पुष्टि हुई। वे पांच दिन अस्पताल में रहे और नौ मई को रिपोर्ट निगेटिव आने बाद घर लौटे।
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वे गांव कनेक्शन को बताते हैं, “पहले तो डॉक्टर ने टाइफाइड बताया था। दवा से कुछ दिन आराम तो रहा लेकिन कमजोरी बढ़ती गयी। फिर अचनाक से जब साँस लेने में दिक्क्त हुई तब लगा कि अब बचना मुश्किल है। शुक्र है कि मैंने थोड़ा समय रहते हुए सीटी स्कैन करा लिया था, इसलिए बच गया। टाइफाइड जिसे भी हो, उसे कोविड टेस्ट जरूर कराना चाहिए।”
मध्य प्रदेश के जिला छिंदवाड़ा में रहने अरुण सरोडे (38) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। “20 अप्रैल से बुखार आ रहा था। 25 को टेस्ट कराया तो डॉक्टर ने बताया कि टाइफाइड है, लेकिन आराम नहीं हुआ तब बेटे के कहने पर आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जिसमें कोविड निकला। रिपोर्ट 6 मई को आयी, लेकिन मैंने दवा शुरू कर दी थी। अभी भी पॉजिटिव हूं, लेकिन अब आराम है।”
इन तीनों मामलों को देखें तो लक्षण सबमें एक ही जैसे थे। यही कारण है कि लोग टाइफाइड और कोविड-19 के लक्षणों में अंतर नहीं समझ पा रहे हैं। इस पर विशेषज्ञ डॉक्टर क्या कहते हैं-
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में रेस्पिरेटी व पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष, कोविड-19 प्रबंधन प्रभारी (KGMU)और नेशनल वाइस चेयरमैन आईएमए, डॉक्टर सूर्यकांत त्रिपाठी ने टाइफाइड और कोविड को लेकर क्या कहा, आप भी पढ़िए –
रिपोर्ट का इंतजार न करें, इलाज शुरू करें
सबसे पहली बात तो ये कि इस समय किसी भी बुखार को हल्के में लेना गलत होगा। टाइफाइड और कोरोना, दोनों के लक्षणों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। ऐसे में रिपोर्ट का इंतजार किये बिना डॉक्टरी सलाह के बाद कोविड की दवा शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि टाइफाइड और कोविड की दवा भी एक जैसी ही होती है। दोनों में एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। इस रोग में जितनी देर से दवा शुरू करेंगे, दिक्क्त उतनी बढ़ सकती है।
ज्यादातर मामलों में अगर उल्टी हो या पेट में दर्द हो तो डॉक्टर विडाल टेस्ट कराने के लिए कहते हैं। यह कराएं, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए कोविड का टेस्ट जरूर कराएं। अगर आप परिवार में हैं तो लक्षण के पहले दिन से ही लोगों से दूर हो जाएं, खुद को आइसोलेट कर लें। यहां गलती क्या हो रही है कि जैसे लोगों को पता चलता है कि उन्हें तो टाइफाइड है तो वे निश्चिन्त हो जाते हैं। लोगों से मिलने-जुलने लगते हैं। ऐसा कतई ना करें।
हमें यह समझना होगा कि टाइफाइड की ज्यादातर रिपोर्ट गलत निकलती है, फिर भी अगर टाइफाइड की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो अपने चेस्ट पर ध्यान दें। सीटी स्कैन कराते रहें, ऐसा ना हो कि आप टाइफाइड के चक्कर में बैठे रहें और पूरा फेफड़ा ही संक्रमित हो जाये।
समय ठीक नहीं चल रहा है। खासकर गांवों में रहने वाले लोगों को और सावधानी बरतनी चाहिए। कोई भी बुखार हो, कोई भी बीमारी हो, अगर ऑक्सीजन लेवल 94 से कम है तो कोरोना हो सकता है। किसी रिपोर्ट का इंतजार मत करिए। रिपोर्ट आती रहेगी, कोविड की दवा शुरू कर दें, क्योंकि एक बार अगर संक्रमण ज्यादा फ़ैल गया तो स्थिति को संभालना मुश्किल होगा। ऐसे में जरुरी है कि समय रहते इलाज शुरू कर दें। बचाव का एक मात्र तरीका यही है।
‘न जांच न रिपोर्ट, कोरोना पर सीधी चोट’
क्या कोरोना और टाइफाइड में कोई कनेक्शन है?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आईएमएस के न्यूरोलॉजिस्ट और सर सुंदरलाल चिकित्सालय के पूर्व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. विजय नाथ मिश्र इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि क्या कोरोना और टाइफाइड वायरस में कोई कनेक्शन है? हमने भी उनसे यही सवाल पूछा, उन्होंने क्या बताया, पढ़िए-
आम तौर पर पेट में दर्द के साथ बुखार आने पर डॉक्टर टाइफाइड की जांच के लिए कहते हैं, लेकिन कोरोना टाइफाइड की आड़ में धोखा दे रहा है। दोनों के लक्षणों में बहुत मामूली अंतर है। हमें इसे शुरुआती दिनों में ही समझना होगा। टाइफाइड में बुखार चढ़ता-उतरता रहता है, लेकिन अगर कोरोना है तो बुखार लगातार चढ़ता है और शाम होते ही और बढ़ जाता है।
हो सकता है कि कोरोना वायरस और टाइफाइड में कोई कॉमन एंटीजन हो, लेकिन इसे लेकर कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। यह शोध का विषय है और चल रहा है। हमारे यहां जब भी किसी को बुखार होता है तो सबसे पहले मलेरिया और टाइफाइड और कोविड टेस्ट कराया जाता है, लेकिन टाइफाइड के मरीजों को कोरोना भी हो रहा है। कहीं न कहीं दोनों बीमारियों में कोई न कोई एंटीजन कॉमन होगा जरूर।
टाइफाइड के लिए कोई अलग से दवा नहीं है। जो एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवा टाइफाइड में चलती है, वही दवाएं कोविड में भी चला सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
ऐसे में सबको मेरी राय यह है कि अगर पहले दिन बुखार है और ठीक हो गया तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर दूसरे दिन बुखार है और दिनभर नहीं उतर रहा तो सबसे पहले कोविड की दवा शुरू कर देनी है। इसमें कोई हर्ज नहीं है और यह पहेली है कि विडाल टेस्ट पॉजिटिव क्यों आ रहा है।
‘एक बात गांठ बांध लें- पहला दिन बुखार वायरल हो सकता है, लेकिन एक दिन से ज्यादा आने वाला बुखार वायरल नहीं हो सकता। टाइफाइड को अनदेखा न करें, समय पर इलाज शुरू करें, अपनी और परिवार की सुरक्षा करें।’