मोहित शुक्ला और प्रत्यक्ष श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी/लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)। कोरोना के खौफ के बीच हो रहे उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में 29 अप्रैल को चौथे और अंतिम चरण के लिए मतदान जारी हैं। दो मई को पूरे प्रदेश में एक साथ मतगणना होनी है। जिसके लिए एक बार फिर शिक्षक और चुनाव कर्मियों के प्रशिक्षण चल रहे हैं। इसी बीच कई शिक्षकों और उनके एक संगठन ने मतगणना में ड्यूटी करने का बहिष्कार किया है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राज्य स्तरीय शाखा ने चुनाव ड्यूटी के बायकॉट करने की घोषणा की है। संगठन का कहना है कि अकेले लखीमपुर खीरी में ही संगठन से जुड़े 1,500 से अधिक सदस्यों (शिक्षकों) ने 2 मई को होने वाली मतगणना के लिए होने वाले अभ्यास सत्र का बहिष्कार करने की भी चेतावनी दी है।
शिक्षक संघ का आरोप है कि अकेले लखीमपुर खीरी जिले में ही कम से कम 32 शिक्षकों की मौत पंचायत चुनावों में उनकी ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई है। संघ का यह भी आरोप है कि राज्य में कुल 135 शिक्षकों की मौत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना से हुई। पूरे प्रदेश में 135 शिक्षकों की मौत को लेकर हंगामा जारी है, मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की लखीमपुर इकाई के जिलाध्यक्ष संतोष मौर्य ने कहा, “अभी तक हमारी जानकारी में चुनाव ड्यूटी में लगे 32 शिक्षकों की मौत कोरोना की वजह से हुई है।”
लखीमपुर खीरी में शिक्षक और शिक्षक संघ की सदस्य अर्चना शर्मा ने गाँव कनेक्शन को बताया कि जिन शिक्षकों को चुनाव कराने का काम सौंपा गया था, उनमें से अधिकांश में कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
अर्चना शर्मा (42) आगे बताती हैं, “19 अप्रैल को पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के बाद हालात ज्यादा बिगड़ गए हैं। लगभग 80 फीसदी शिक्षक, जो अपने घर को लौटे वो बीमार पड़ गए। चुनाव बूथों पर आने वाले लोगों का कोई परीक्षण या स्क्रीनिंग नहीं की जा रही है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग भी नहीं देखी गई। जो शिक्षक बीमार थे, उन्हें भी अधिकारियों द्वारा किसी तरह की छूट नहीं दी गई और उन्हें ड्यूटी करने को कहा गया था। मुझे आश्चर्य है कि सरकार या अधिकारी इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं।”
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों की ग्राम पंचायतों के प्रधान, पंच, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्यों के लिए त्रिस्तरीय चुनाव हो रहे हैं। प्रदेश में जिस वक्त चुनाव का ऐलान हुआ, देश कोरोना की दूसरी लहर के चपेट में था। शिक्षक और दूसरे विभागों के मतदान कर्मी, जो इन चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं, वो कोरोना के खौफ के बीच चुनाव डालने की अपील कर रहे थे। एक मतदान कर्मी को प्रशिक्षण से लेकर मतगणना वाले दिन तक कई बार ट्रेनिंग और फिर मतदान और मतगणना के लिए जाना होता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध राज्य स्तरीय शिक्षक संघ ने 26 अप्रैल को लिखे अपने पत्र में उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव आयोग को पंचायत चुनावों की वोटों की गिनती को स्थगित करने की अपील की थी। मौर्य की ओर से चुनाव आयोग को लिखे लेटर के मुताबिक, “मतदान केंद्रों पर भारी भीड़ जमा होने, जरूरी उपायों और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण कोरोना मामलों की संख्या बढ़ी है। जिन शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी सौंपी गई थी, उनमें से कई संक्रमित हैं और कई की मौत भी हो चुकी है। इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए और सार्वजनिक स्वास्थ्य को महत्व देते हुए हम आपसे दो मई को मतगणना स्थगित करने का आग्रह करते हैं।”
राज्य चुनाव आयोग द्वारा 26 अप्रैल को जारी एक आदेश में एक सहायक शिक्षक रवि प्रकाश के नाम का उल्लेख है, जो अमरोहा के मूल निवासी थे और लखीमपुर खीरी में तैनात थे। जब गाँव कनेक्शन ने आदेश में उल्लेखित 40 वर्षीय प्रकाश के फोन नंबर को डायल किया, तो उनके बहनोई अमित वशिष्ठ ने बताया कि 16 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी के लिए प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के बाद उनका निधन हो गया।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले वह लखीमपुर में चुनावी ड्यूटी के प्रशिक्षण के लिए गए थे, जहां उन्हें अचानक तेज बुखार आ गया। उनकी सेहत बिगड़ने लगी और मैं उनके साथ लखीमपुर के कई अस्पतालों में गया, लेकिन 16 अप्रैल की सुबह उनकी मौत हो गई। अमित वशिष्ठ ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मुझे नहीं पता कि प्रकाश की मृत्यु कोरोना से हुई या किसी अन्य कारण से। क्योंकि उनका कोरोना टेस्ट नहीं कराया गया था।”
पहले से लेकर चौथे चरण तक कई शिक्षक अपनी ड्यूटी कटवाने के लिए लगातार अधिकारियों से चक्कर लगाते रहे, सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाते रहे, उनका आरोप है कि सुनवाई नहीं हुई।
कोरोना की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश में रोजाना मामलों में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। 29 अप्रैल को प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 29,751 नए मामले और 265 मौतें दर्ज की हैं। राज्य में अब तक वायरस से 12,208 लोगों की मौत हो चुकी है।
राज्य सरकार का दावा है कि वह पंचायत चुनाव नहीं कराना चाहती थी, लेकिन कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ऐसा करना पड़ा। सरकार ने 26 अप्रैल को प्रेस को जारी एक बयान में कहा, “इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश ने राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए मजबूर किया।”
योगी आदित्यनाथ सरकार के एक बयान के मुताबिक,”हाई कोर्ट के आदेश पर पंचायत चुनाव कराने के निर्णय को योगी सरकार का निर्णय बताकर इसका गलत प्रचार किया गया।”
इस बीच चुनाव ड्यूटी में लगाए गए 135 शिक्षकों, शिक्षा मित्र और जांचकर्ताओं की मौत को लेकर एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए 27 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने और इसके उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।
पिछले तीन चरणों के बाद मतदान कर्मियों के बीच से लगातार आईं शिकायतों को लेकर मतदान कर्मी चौथे चरण का मतदान और मतगणना टालने की अपील कर रहे हैं। सुनवाई न होने पर कई शिक्षकों ने ड्यूटी के बहिष्कार का ऐलान किया है।
संतोष मौर्य ने कहते है सरकारी तंत्र की उदासीनता और लापरवाही इतनी है कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों को भी चौथे चरण में चुनाव ड्यूटी सौंपी गई है।
मौर्य ने गाँव कनेक्शन को बताया कि शैक्षिक संघ पूरी तरह से शिक्षकों के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित है। उन्होंने कहा, हमारी मांगे नहीं मानी गई तो हम प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने आगे कहा, “हम (भाजपा और शिक्षक संघ) की समान वैचारिक पृष्ठभूमि हो सकती है, लेकिन हम सरकार के स्वामित्व में नहीं हैं। कोरोना और हजारों शिक्षकों के जीवन से समझौता करने वाले इस निर्णय का हम विरोध करते हैं।”
गाँव कनेक्शन ने इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी से उनकी टिप्पणी के लिए संपर्क किया है। उनकी प्रतिक्रिया मिलते ही इस स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा।