कोरोना की महामारी के बीच राशन कार्ड धारकों के लिए राहत की खबर है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना PMGKY के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थी कार्ड धारकों (अंत्योदय और पात्र गृहस्थी) के लोगों को नवंबर 2021 तक 5 किलो अनाज प्रति यूनिट मुफ्त मिलेगा। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के चौथे चरण (Free Ration card 2021) को मंजूरी दी गई है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का राशन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मिलने वाले राशन से अलग है और मुफ्त है। यानी आपको पहले से जो राशन मिलता आ रहा है वह मिलता रहेगा लेकिन उसके लिए कितने पैसे देने होंगे ये राज्य सरकार पर निर्भर करता है। कई राज्यों ने पूरी तरह मुफ्त कर दिया है, जबकि कई राज्यों एनएफएसए के तहत निर्धारित पैसे लेते रहेंगे।
सबसे पहले जान लीजिए कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत दो तरह से राशन मिलता है।
पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारक: इस तरह के कार्ड धारक को 5 किलो राशन प्रति यूनिट मिलता है। जिसमें चावल, गेहूं दोनों या फिर एक हो सकते हैं। चावल के लिए राशन कार्ड धारक 3 रुपए प्रति किलो है जबकि गेहूं के लिए 2 रुपए का रेट कोटेदार (सरकारी राशन कार्ड दुकानदार) को देने होते हैं।
अंत्योदय कार्ड धारक: इस तरह के कार्डधारक लाभार्थी परिवार को 35 किलो राशन मिलता है। परिवार में लोग कितने हैं इससे फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे कार्ड धारकों को गेहूं 1 रुपए किलो के रेट पर मिलता है। Antyodaya Anna Yojana के तहत भी गेहूं का रेट 2 रुपए किलो और चावल का रेट 3 रुपए निर्धारित है। उदाहरण के लिए सामान्य दिनों में उत्तर प्रदेश में अंत्योदय कार्ड धारक को 15 किलो चावल (रेट 3 रुपए) और 20 किलो गेहूं (2 रुपए किलो) 85 रुपए में मिलता है, लेकिन राजस्थान में सिर्फ गेहूं मिलता है जिसके लिए उसे सिर्फ 35 रुपए देने होते हैं।
5 किलो राशन प्रति यूनिट मिलने के बाद कितना राशन मिलेगा और कितने पैसे देने होंगे?
नई व्यवस्था के तहत नवंबर तक दोनों तरह के राशन कार्ड धारकों को पहले मिल रहे राशन के अलावा प्रति यूनिट 5 किलो राशन अतिरिक्त मिलेगा। राजस्थान के उदयपुर जिले की जिला रसद अधिकारी ज्योति ककवानी (आरएएस) गांव कनेक्शन को बताती हैं, “अगर एक घर में पात्र गृहस्थी के 4 लोग हैं तो उन्हें 20 किलो राशन पहले से मिलता आ रहा है। लेकिन अब उन्हें प्रति यूनिट 5 किलो के हिसाब से 20 किलो राशन ज्यादा मिलेगा लेकिन राशन डीलर को पैसे सिर्फ पहले वाले 20 किलो के (2 रुपए किलो गेहूं, 3 रुपए किलो चावल) देने होंगे।”
वो आगे जोड़ती हैं, “अंत्योदय फैमिली में एक ही राशन कार्ड होता है जिस पर 35 किलो राशन मिलता है। चाहे सदस्य कितने भी हों लेकिन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत इस कार्ड धारक के परिवार में जितने सदस्य होंगे उन्हें प्रति सदस्य 5 किलो अतिरिक्त राशन मिलेगा। अगर किसी कार्ड धारक के परिवार में 5 सदस्य हैं तो उसे 35 किलो के अतिरिक्त 25 किलो राशन मिलेगा, जो पूरी तरह मुफ्त होगा।
हालांकि ये गेहूं (2 रुपए किलो) और चावल (3 रुपए किलो) का पैसा भी राज्य सरकार पर निर्भर करता है। जैसे की उत्तर प्रदेश में तीन महीने के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाएगा लेकिन राजस्थान में जहां सिर्फ गेहूं मिलता है वहां पहले की तरह पात्र गृहस्थी को गेहूं 2 रुपए किलो जबकि अंत्योदय वालों को 1 रुपए किलो गेहूं मिलेगा।
ज्योति कलवानी बताती हैं, “एनएफएसए के तहत राशन का जो पैसा राशन डीलर लेता है वह राज्य सरकार पर निर्भर करता है। वे चाहें तो मुफ्त कर सकते हैं या कम कर दें।”
यूपी में 3 महीने तक पूरी तरह मुफ्त राशन, चीनी भी 18 रुपए किलो
उत्तर प्रदेश खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट के अनुसार प्रदेश में 3.60 करोड़ कार्ड धारकों के जरिए 14.82 करोड़ लाभार्थियों तक राशन का लाभ पहुंचाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में खाद्य एवं रसद विभाग में अपर खाद्य आयुक्त अनिल कुमार दुबे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “उत्तर प्रदेश करीब 15 करोड़ लोगों कोरोना काल में राशन दिया जा रहा है। सरकार ने जून-जुलाई और अगस्त के लिए जो गेहूं (2/किलो) और चावल (3 /किलो) भी मुफ्त कर दिया है। इसके अलावा इन अंत्योदय कार्ड धारकों को जून में 3 किलो चीनी 18 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दी जा रही है।”
अपर खाद्य आयुक्त दुबे आगे बताते हैं, “अभी अगस्त तक मुफ्त आगे भी सरकार लोगों के हित में फैसला लेगी। मुफ्त राशन का बहुत बड़ा फायदा होगा। इससे पहले जो लोगों को मुफ्त राशन मिला था उसका फीडबैक बहुत खास रहा था। अब तो कई क्षेत्रों में कोरोना का असर रहा है। आजीविका प्रभावित हुई है। कम से कम लोगों को खाने की राहत रहेगी वो बाहर निकलने का कम जोखिम लेंगे।”
राशन योजना का दायरा बढ़ाने जाने की मांग
पिछले साल कोरोना के दौरान नवंबर तक मुफ्त राशन (5 किलो) दिया गया था। जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता इसे फिर शुरू करने की मांग कर रहे थे। इसके साथ उनकी मांग ये भी एनएफएएस से निकलकर राशन कार्ड वितरण का दायरा भी बढ़ाया जाए।
राइट टू फूड (भोजन का अधिकार Right to food ) के कार्यकर्ता और मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे नवंबर तक मुफ्त राशन देने की पहल का स्वागत करते हैं लेकिन इसके दायरे को बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हैं।
“मुफ्त राशन ने बहुत लोगों कोविड में जान बचाई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत जो अनाज दिया जा रहा है वो सामान्य समय की बात है, लेकिन अब कोरोना और लॉकडाउन के चलते महीने में 10000-12000 रुपए कमाने वाली एक बड़ी आबादी की कमाई बंद हो गई है। वो सड़क पर हैं ये राशन के लाभार्थी नहीं हैं, लेकिन इन्हें अब इसकी जरूरत है।” निखिल डे कहते हैं। डे आगे कहते हैं, “पिछले साल की तरह हमने उन्हें सड़कों पर नहीं देखा क्योंकि यातायात के साधन चालू थे, लेकिन इनकी आर्थिक स्थिति बदतर है। इनकी रोजी-रोटी की बड़ी समस्या है।”
निखिल डे राष्ट्रीय खाद्य सुऱक्षा अधिनियम (NFSA) के नियमावलि पर सवाल उठाकर उसमें सुधार राशन कार्ड धारकों का दायरा बढ़ाने की मांग करते हैं। डे कहते हैं, “मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं कि कैसे एनएफएसए योजना में भी दिक्कत हैं। राजस्थान में 4 लाख परिवार (अति गरीब) ऐसे हैं जिन्हें सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पेंशन मिलती है। लेकिन इन्हें राशन नहीं मिलता। इसी तरह 8 लाख बुजुर्ग हैं जिन्हें सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पेंशन मिलती है लेकिन कार्ड नहीं है, जबकि ये लोग पहले से आत्मनिर्भर नहीं है।”
वे आखिर में कहते हैं कि हमारी सरकार कहती है, हमारे पास अगर 100 मिलियन टन अनाज का भंडार है तो उसे सड़ाने से अच्छा है इस मुश्किल वक्त में सबको एक समान 5 किलो के हिसाब से बांट दिया जाना चाहिए। ये लोगों की जान बचाने का एक साधन है।”
पिछले साल गेहूं-चावल के साथ मिली थी दाल, इस बार योजना में नहीं
पिछले साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना यानि मुफ्त राशन कार्ड योजना के तहत दाल का भी वितरण किया गया था, लेकिन इस साल मई-जून के तहत लोगों को सिर्फ दाल नहीं मिल रही है। निखिल डे कहते हैं, “सिर्फ रोटी चावल से पेट नहीं भरता है। कम से कम दाल और तेल देना चाहिए।”
पीएम मोदी ने कहा था गरीबों के साथ खड़ी है सरकार
7 जून को देश वासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राशन वितरण नवंबर 2021 तक बढ़ाए जाने की बात की थी। पीएम ने उस दौरान कहा था, “पिछले वर्ष जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगाना पड़ा था तब प्रधानमंत्री गरीब अन्य योजना तक 8 महीने तक 80 करोड़ से ज्यादा देशवासियों के लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था देश ने की थी। इस वर्ष भी दूसरी वेब के कारण मई-जून के लिए इस योजना का विस्तार किया गया था। सरकार ने फैसला लिया है अब गरीब कल्याण योजना को दीपावली तक बढ़ाया जाएगा। महामारी के इस दौर में सरकार गरीबों के साथ इसके साथ खड़ी है।”
मुफ्त राशन योजना के लिए सरकार खर्च (सब्सिडी)
जुलाई से नवंबर तक पांच महीने में प्रति यूनिट पांच किलो राशन देने की योजना से सरकार के मुताबिक करीब 81.5 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। इस अतिरिक्त खाद्यान्न मंजूरी से करीब 64,031 करोड़ रुपए अनुमानित खाद्य सब्सिडी की जरूरत होगी।
केंद्र सरकार इस योजना के लिए राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के बिना किसी भी योगदान के पूरे खर्च को वहन कर रही है, भारत सरकार द्वारा परिवहन एवं हैंडलिंग और एफपीएस डीलरों के मार्जिन आदि के लिए लगभग 3,234.85 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च किया जाएगा। इस प्रकार, भारत सरकार द्वारा करीब 67,266.44 करोड़ खर्च वहन किया जाएगा। इस दौरान करीब 204 लाख मीट्रिक टन अनाज का वितरण हो सकता है।