शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए ज़ारी की नई गाइडलाइंस, पढ़िए क्या हैं नए नियम

गाइडलाइंस में कोचिंग संस्थानों से कहा गया है कि छात्र-छात्राओं को एडमिशन से पहले पूरी जानकारी दें, बाद में किसी तरह का कोई बदलाव न किया जाए।
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश में चल रहे कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी है। अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्र-छात्रा का एडमिशन नहीं ले सकता है।

कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन 2024 के लिए तैयार दिशानिर्देश उचित कार्रवाई के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेज दिए गए हैं। जबकि कुछ राज्यों में पहले से ही कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने वाले कानून हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग सेंटरों की बढ़ती संख्या और छात्रों में बढ़ते तनाव के चलते यह गाइड लाइन जारी की गई है।

राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2022 में देश में 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की। इनमें 18 वर्ष से कम उम्र के 10,000 से अधिक आत्महत्या के मामले शामिल हैं, जबकि 2,000 से अधिक छात्रों के लिए, परीक्षा में असफलता आत्महत्या का कारण थी। 2022 में आत्महत्या से होने वाली सभी मौतों में 7.6% छात्र थे।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के 1,123 छात्रों की आत्महत्या का कारण परीक्षा में असफलता थी। इनमें से 578 लड़कियाँ और 575 लड़के थे।

शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन पर गाँव कनेक्शन ने कई कोचिंग संस्थानों से बात की, जिनमें से ज़्यादातर को अभी इस गाइडलाइन के बारे में पता ही नहीं है। लखनऊ के ग्रामीण इलाके सरोजनी नगर में डिवाइन कोचिंग संस्थान चलाने वाले दुष्यंत मिश्रा गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “हमारे यहाँ आठ से दस साल के उम्र के बच्चे पढ़ने आते हैं, जिन्हें हम सैनिक स्कूल में एडमिशन की तैयारी कराते हैं। इस उम्र में बच्चों को कुछ पता ही नहीं होता है, उनके जीवन के सारे फैसले उनके माता-पिता ही लेते हैं।”

वो आगे कहते हैं, “रही बात कोचिंग सेंटर्स गाइडलाइंस 2024 की तो अगर स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती तो बच्चो को कोचिंग सेंटर ना आना पड़ता।”

मंत्रालय की गाइडलाइंस में ये भी कहा गया है कि कोचिंग सेंटर टेस्ट से पहले स्टूडेंट्स को उस टेस्ट के मुश्किलों के बारे में बताएँ। उन्हें दूसरे विकल्प के बारे में भी बताया जाए। मानसिक स्वास्थ्य के लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए, साथ दिव्यांग छात्र-छात्राओं की मदद के लिए उनके हिसाब से सुविधाएँ उपलब्ध कराईं जाएँ।

पढ़िए गाइडलाइंस के हिसाब से क्या हैं नियम

कोचिंग सेंटर में ग्रेजुएशन से कम क्वालिफिकेशन के ट‍्यूटर नहीं रखें जाएँगे।

कोचिंग सेंटर्स अभिभावकों और बच्चों को एडमिशन के नाम पर भ्रामक वादे, बढ़िया रैंक या फिर अच्छे नंबर लाने की गारंटी नहीं देंगे।

16 वर्ष से कम की उम्र के छात्र-छात्राओं का एडमिशन नहीं लेंगे। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद एडमिशन लिया जाएगा।

हर एक कोर्स के फीस फिक्स होगी, बीच में फीस नहीं बढ़ाई जाएगी, साथ ही इसकी रसीद देनी होगी।

तय समय से पहले कोर्स छोड़ने पर 10 दिन में बची फीस वापस करनी होगी।

अगर स्टूडेंट्स हॉस्टल में रह रहे हैं, तो हॉस्टल फीस और मेस फीस भी लौटानी होगी।

कोचिंग की वेबसाइट पर फैकल्टी की योग्यता और कोर्स पूरा होने की अवधि बतानी होगी।

हॉस्टल की सुविधा (अगर है तो), फीस और मेस की पूरी जानकारी भी देनी होगी।

बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। साथ ही उनके ऊपर अच्छा परफॉर्म करने का दबाव नहीं बनाया जाएगा।

स्टूडेंट्स अगर किसी परेशानी में हो, तो उसकी मदद के लिए आगे आना होगा।

कोचिंग सेंटर्स में साइकोलॉजिकल काउंसलिंग के लिए प्रॉपर चैनल हो। मनोवैज्ञानिक और काउंसलर की जानकारी अभिभावकों को भी देनी होगी।

ट्यूटर भी स्टूडेंट्स को गाइडेंस देने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ट्रेनिंग ले सकते हैं।

इन सब के अलावा शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस का पालन ना करने पर कोचिंग सेंटर्स पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाने का प्रावधान है।

अगर कोचिंग वाले स्टूडेंट्स से ज्यादा फीस वसूलते हैं, तो कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।

जिन कोचिंग सेंटर्स की अलग-अलग ब्रांच हैं, उनको हर ब्रांच के लिए अलग से रजिस्टर करना होगा। यानी कि हर सेंटर एक अलग कोचिंग सेंटर की तरह माना जाएगा। सरकार रजिस्ट्रेशन के लिए वेब पोर्टल बनाएगी।

पूरी गाइडलाइंस पढ़ें

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