आज भी सामान्य बोलचाल की भाषा में ज्यादातर हिंदी और उर्दू शब्दों का मिला-जुला प्रयोग होता है। ऐसे में पुलिस और राजस्व विभाग की शब्दावली हमेशा से लोगों के लिए रोचक विषय रहा है क्योंकि इनसे जुड़े सैकड़ों शब्द ज्यादातर आम आदमी की समझ के बाहर हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ग्राम अकड़रिया कलां के 91 वर्षीय सेवानिवृत शिक्षक सुशील कुमार मिश्रा ‘गाँव कनेक्शन’ से बातचीत में बताते हैं, “देश में अंग्रेजों के शासनकाल के पहले मुग़ल काल के शासन के दौरान राजस्व में चलने वाली शब्दावली आज भी हमारे देश में चलन में है, राजस्व ही नहीं पुलिस विभाग में भी आज तक उर्दू शब्दावली चल रही है।”
आगे बताते हैं, “पहले के प्रधान उर्दू पढ़ना जानते थे, क्योंकि अस्सी के दशक तक अधिकतर सरकारी दस्तावेज उर्दू में ही आते थे।” वहीं लखनऊ के बड़ागांव के लेखपाल संगम लाल बताते हैं, “अभिलेखों में अभी भी उर्दू के शब्दों का प्रयोग होता है, हालांकि अब पहले की अपेक्षा इसमें कुछ कमी जरूर आई है।”
आज भी किसानों के लिए राजस्व विभाग की शब्दावली किसी पहेली से कम नहीं है। जमीन की नपाई के लिए ‘पैमाइश’ शब्द का उपयोग किया जाता है, ये शब्द हमारे जिन्दगी से कहीं न कहीं जुड़ें हैं, ऐसे में जरूरी है कि इन शब्दों के मायने हमें पता हो। आइए आपको बताते हैं राजस्व में प्रयोग होने वालो उर्दू शब्दों का क्या होता है अर्थ…
- मौजा बेचिराग – बिना आबादी का गांव
- फकुल रहन – गिरवी रखी भूमि को छुड़ा लेना
- तबादला – भूमि के बदले भूमि लेना
- बैय – जमीन बेच देना
- पड़त सरकार – राजस्व रिकॉर्ड में रखी जाने वाली प्रति
- मुसन्ना – असल रिकॉर्ड के स्थान पर बनाया जाने वाला रिकॉर्ड
- फर्द – नक़ल
- फर्द बदर – राजस्व रिकॉर्ड में होने वाली गलती को ठीक करना
- मिन – भाग
- गिरदावरी – खेतों का फसलवार निरीक्षण
- साम्बिक – भूतपूर्व
- पुख्ता औसत झाड़ – पैदावार के अनुसार पक्की फसल
- खराबा – प्राकृतिक आपदा से खराब हुई फसल
- फसल रबी – आसाढ़ की फसल
- फसल खरीफ – सावनी की फसल
- जिंसवार- फसलवार जींस का जोड़
- जलसाआम – जनसभा
- बशनाखत – की पहचान पर
- वल्दियत – पिता का नाम बतलाना
- हमशीरा – बहन
- हद – सीमा
- हदूद – सीमाएं
- सिहद्दा – तीन गांवों को एक स्थान पर मिलाने वाला सीमा पत्थर
- बनाम – के नाम
- मिन जानिब – की ओर से
- बिला हिस्सा – जिसमें भाग न हो
- नीलाम – खुली बोली द्वारा बेचना
- दस्तक – मांग का अधिकार
- तकावी – फसल ऋण
- कुर्की – किसी वस्तु को सरकारी अधिकार में लेना
- बदस्तूर – हमेशा की तरह या पूर्ववत
- हाल – वर्तमान
- खाका – प्रारूप
- कारगुजारी – प्रगति रिपोर्ट
- झलार – नदी नाले से पानी देने का साधन
- जमा – भूमिकर
- तरमीम – बदल देना
- मालगुजारी – भूमिकर
- जदीद – नया
- खुर्द – छोटा
- कलां – बड़ा
- खुश हैसियत – अच्छी हालत
- इकरारनामा – आपसी फैसला
- गोरा देह भूमि – गांव के साथ लगी भूमि
- दो फसली – वर्ष में दो फसलें उत्पन्न करने वाली भूमि
- सकूनत – निवास स्थान
- शजरा परचा – कपड़े पर बना खेतों का नक्शा
- शजरा किस्तवार – ट्रेसिंग पेपर पर बना हुआ खेतों का नक्शा
- मुसावी – मोटे कागज पर खेतों की सीमाएं दर्शाने वाला नक्शा
- पैमाना पीतल – मसावी बनाने के पीतल का बना हुआ इंच
- फरेरा – दूर झंडी देखने के लिए बांस पर बंधा तिकोना रंग-बिरंगा कपड़ा
- झंडी – लाइन को सीधा रखने के लिए 12 फीट का बांस
- क्रम – 66 इंच लम्बा जरीब का दसवां भाग
- गट्ठा – 57.157 इंच, जरीब का दसवां भाग
- अड्डा – जरीब की पड़ताल करने के लिए भूमि पर बनाया गया माप
- गज – भूमि नापने का पैमाना
- पैमाइश – भूमि का नापना
- शजरा नसब – भूमिदारों की वंशावली
- लाल किताब – गांव की भूमि से सम्बंधित पूर्ण जानकारी देने वाली पुस्तक
- मिसल हकियत – बंदोबस्त के समय विस्तार साथ तैयार की गई जमाबंदी
- जमाबंदी – भूमि की मिल्कियत और फसल बोने के अधिकारों की पुस्तक
- इंतकाल – मिल्कियत को बदलने का आदेश
- खसरा गिरदावरी – खातेदार मिल्कियत
- हदबस्त – तहसीलवार गावों के नम्बर
- मिनजुमला – मिला-जुला भाग
- नवैयत – भू उपयोग