गाय, भैंस पाल रहे हैं तो सरकार दे रही है 5 लाख का पुरस्कार, ये है पाने का तरीका

अगर आप देसी गाय-भैंस की नस्लों का संरक्षण कर रहे हैं और डेयरी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं तो राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2024 के लिए आवेदन कर सकते हैं।
National Gopal Ratna Award

पशुपालन या डेयरी फार्मिंग से जुड़े किसान भाइयों के लिए अच्छी ख़बर है। सरकार ऐसे पशुपालकों को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार देने जा रही है। आप भी आवेदन कर सकते हैं। बस ये ध्यान रखिएगा गाय-भैंस की देसी प्रजातियों वाले पशुपालक ही 5 लाख, 3 लाख और 2 लाख रुपये का ये पुरस्कार पा सकते हैं।

क्यों दिया जाता है ये पुरस्कार

वैज्ञानिक तरीके से दुधारू पशुओं की स्वदेशी नस्लों को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित करने के मकसद से यह पुरस्कार दिया जाता है।

तीन श्रेणियों में मिलने वाले इस पुरस्कार में योग्यता प्रमाण पत्र, एक स्मृति चिन्ह और नकद पुरस्कार शामिल हैं ।

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के प्रभावी विकास के लिए देश में पहली बार दिसंबर 2014 में “राष्ट्रीय गोकुल मिशन” की शुरुआत की गई थी।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को 100 प्रतिशत एआई कवरेज लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।

साल 2024 के लिए भी इन तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार दिया जा रहा है।

1) पंजीकृत स्वदेशी मवेशी/भैंस नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान

2) सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति /दूध उत्पादक कंपनी /डेयरी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)।

3) सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन।

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार में पहली दो श्रेणियों यानी सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान और सर्वश्रेष्ठ डीसीएस/एफपीओ/ में पहले स्थान पर आने वाले को पाँच लाख रुपए, दूसरे स्थान पर आने वाले को तीन लाख रुपए और तीसरे स्थान पर आने वाले को दो लाख का नकद पुरस्कार के साथ प्रमाण पत्र, एक स्मृति चिन्ह दिया जाता है।

सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन श्रेणी के मामले में, तीनों श्रेणियों के लिए पुरस्कार में केवल योग्यता प्रमाणपत्र और एक स्मृति चिन्ह शामिल हैं।

क्या है आवेदन का तरीका

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए रजिस्ट्रेशन 15 जुलाई 2024 से शुरू होकर राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल यानी https://awards.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन जमा किए जाएंगे और नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2024 होगी।

ये पुरस्कार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर, 2024) के मौके पर दिए जाएंगे। पात्रता मानदंड और नामांकन की ऑनलाइन प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट https://awards.gov.in या https://lahd.nic.in पर लॉग इन करें।

गायों की इन नस्लों को दिया जा रहा है बढ़ावा

  • अमृतमहल – कर्नाटक
  • बछौर – बिहार
  • बरगुर – तमिलनाडु
  • डांगी – महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश
  • देवनी – महाराष्ट्र और कर्नाटक
  • गाओलाओ – महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश
  • गिर – गुजरात
  • हल्लीकर – कर्नाटक
  • हरियाना – हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान
  • कंगायम – तमिलनाडु
  • कांकरेज – गुजरात और राजस्थान
  • केनकथा – उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश
  • खीरीगढ – उत्तर प्रदेश
  • खिल्लर – महाराष्ट्र और कर्नाटक
  • कृष्णा घाटी – कर्नाटक
  • मालवी – मध्य प्रदेश
  • मेवाती – राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश
  • नागौरी – राजस्थान
  • निमाड़ी – मध्य प्रदेश
  • ओंगोल – आंध्र प्रदेश
  • पोनवार – उत्तर प्रदेश
  • पुंगनूर – आंध्र प्रदेश
  • राठी – राजस्थान
  • लाल कंधारी – महाराष्ट्र
  • लाल सिंधी – केवल संगठित खेतों पर
  • सहिवाल – पंजाब और राजस्थान
  • सिरि – सिक्किम और पश्चिम बंगाल
  • थारपारकर – राजस्थान
  • छाता – तमिलनाडु
  • वेचुर – केरल
  • मोटू – उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश
  • घुमुसरी – ओडिशा
  • बिंझरपुरी – ओडिशा
  • खारियर – ओडिशा
  • पुलिकुलम – तमिलनाडु
  • कोसली – छत्तीसगढ
  • मलनाड गिद्दा – कर्नाटक
  • बेलाही – हरियाणा और चंडीगढ़
  • गंगातीरी – उत्तर प्रदेश और बिहार
  • बद्री – उत्तराखंड
  • लखिमी – असम
  • लद्दाखी – जम्मू और कश्मीर
  • कोंकण कपिला – महाराष्ट्र और गोवा
  • पोडाथुरपु – तेलंगाना
  • नारी – राजस्थान और गुजरात
  • डगरी – गुजरात
  • थुथो – नागालैंड
  • श्वेता कपिला – गोवा
  • हिमाचली पहाड़ी – हिमाचल प्रदेश
  • पूर्णिया – बिहार
  • कथानी – महाराष्ट्र
  • सांचोरी – राजस्थान
  • मैसिलम – मेघालय

भैंसों की पंजीकृत नस्लें ये हैं

  • भदावरी – उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश
  • जाफराबादी – गुजरात
  • मराठवाड़ी – महाराष्ट्र
  • मेहसाणा – गुजरात
  • मुर्रा – हरियाणा
  • नागपुरी – महाराष्ट्र
  • नीली रवि – पंजाब
  • पंढरपुरी – महाराष्ट्र
  • सुरती – गुजरात
  • टोडा – तमिलनाडु
  • बन्नी – गुजरात
  • चिलका – ओडिशा
  • कालाहांडी – ओडिशा
  • लुइत (दलदल) – असम और मणिपुर
  • बरगुर – तमिलनाडु
  • छत्तीसगढ़ी – छत्तीसगढ
  • गोजरी – पंजाब और हिमाचल प्रदेश
  • धारवाड़ी – कर्नाटक
  • मांडा – ओडिशा
  • पूर्णाथड़ी – महाराष्ट्र

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