सरसों के तेल में काफी पोषक तत्व होते हैं, जिसकी वजह से खाने में सरसों के तेल का ही इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
खाने के अलावा सरसों का तेल स्किन और बालों पर लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों के तेल में भी पीली सरसों का तेल सबसे फायदेमंद होता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने फायदों के बाद भी सरसों का तेल कुछ देशों में बैन है। सरसों के तेल पर अमेरिका में बैन लगा हुआ है। वहीं यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में भी सरसों के तेल पर बैन है। यहाँ खाने में सरसों के तेल के प्रयोग की सलाह नहीं दी जाती है।
अमेरिका और यूके में सरसों का तेल बिकता तो है, लेकिन इसे सिर्फ ‘फॉर एक्सटर्नल यूज़ ओनली’ के मार्क के साथ बेचा जाता है। इसका मतलब है कि सरसों के तेल को खाया नहीं जा सकता है, बल्कि स्किन आदि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रतिबंध की ये बताया वजह
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (एफडीए) ने सरसों के तेल पर बैन इरुसिक एसिड की वजह से लगाया है। दावा किया जा रहा है कि सरसों के तेल में ये एसिड होता है, जिससे इस पर बैन लगाया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी तक इंसानों पर इसकी रिसर्च नहीं की गई है और चूहों पर होने वाले असर को लेकर ये फैसला लिया गया है। दावा है कि इरुसिक एसिड एक प्रकार का फैटी एसिड है, जिसका अधिशेष मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है। मेटाबॉलिज्म सही ढंग से नहीं हो पाता और यह वसा का संचय बढ़ा सकता है। इसके अलावा इस एसिड को मानसिक विकारों और स्मृति हानि से भी जोड़ा जा रहा है।
अब बात करते हैं भारत और उसके वैज्ञानिकों की। भारतीय विशेषज्ञों की राय अमेरिका के एक्सपर्ट से अलग है। उनका मानना है कि सरसों का तेल रामबाण औषधि है। इसका उपयोग खाने के अलावा शरीर और बालों पर लगाने और दवाओं में भी किया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे यहाँ सरसों का तेल लगभग हर घर में इस्तेमाल किया जाता है। यह न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि गुणकारी भी है। यह कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी अपना अहम योगदान देता है। उनका कहना है कि सरसों के तेल का इस्तेमाल कुकिंग के लिए रोज़ाना किया जाए तो भी कोई दिक्कत नहीं है।
भारतीय विशेषज्ञों का क्या कहना है?
सरसों के तेल के सेवन से सेहत को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि मौज़ूदा समय में ज़्यादा से ज़्यादा लोग सरसों के तेल के विकल्प को बेहतर मानते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि रोज़ सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे पकाने के लिए सुरक्षित माना जाता है। इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है और इसमें कई तरह के स्वास्थ्य लाभ भी मौज़ूद हैं। हालाँकि सरसों के तेल से कुकिंग करते वक्त उसके स्मोकिंग पॉइंट और पौष्टिक लाभ का ध्यान रखें। स्मोकिंग पॉइंट यानी आप किस तापमान में सरसों के तेल का कुकिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। हालाँकि कई अन्य तेलों की तुलना में सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट कम होता है।
सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट पाया जाता है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा सरसों के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी पाया जाता है। यह हेल्थ पर पॉजिटिव असर डालता है। सरसों के तेल में विटामिन-ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। यह शरीर में आई सूजन को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने में अपना योगदान देते हैं।
खाना पकाने के लिए सरसों के तेल के साथ तिल का तेल, जैतून का तेल और नारियल का तेल भी उपयोग कर सकते हैं। हालांकि दिल के लिए सरसों का तेल सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों के तेल में तमाम औषधीय गुण होते हैं। यह एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल होता है। यह शरीर को टॉक्सिन से छुटकारा दिलाता है। दर्द और सूजन कम करता है। अगर किसी को जोड़ों में दर्द हो तो कपूर के साथ गर्म कर सरसों का तेल लगाने पर दर्द तेजी से दूर हो जाता है।
सरसों का तेल हेल्दी बालों और स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है, इसलिए इसे सबसे सुरक्षित माना जाता है। गाँव हो या शहर, लोग इसके इस्तेमाल की ही सलाह देते हैं। डॉक्टर भी ज़्यादातर सरसों के तेल का उपयोग करने के लिए कहते हैं। यही वजह है कि भारत के लगभग हर घर में यह तेल खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होता है।
भारत में क्यों ख़ास है ये तेल?
सरसों का तेल हज़ारों सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके कारण इसकी प्रासंगिकता आज भी बरकरार है।
विशेषज्ञों का दावा है कि कुछ देशों में सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगाना एक साजिश का हिस्सा है। ये देश भारत के सरसों के तेल की लोकप्रियता को पचा नहीं पाते। भारत में भी कई बार सरसों के तेल को बैन करने के मामले सामने आए, जो बाद में विदेशी षड्यंत्रों का नतीजा निकले।
असल में यह सारी कहानी बाज़ार की लड़ाई है। विदेशी कंपनियां सरसों के तेल की जगह रिफाइंड और राइस ब्रान को देना चाहती हैं, जो कि बहुत आसान नहीं है। सरसों का तेल भारत में लोगों के जीवन का हिस्सा है। यह खाने के साथ दवाओं में भी प्रयोग किया जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि निश्चिंत होकर सरसों के तेल का प्रयोग करें। यह हर लिहाज़ से लाभकारी है। अगर इसमें भी पीली सरसों का तेल प्रयोग करेंगे तो सोने पर सुहागा होगा। पीली सरसों का तेल दिल, दिमाग और शरीर के लिए औषधि का काम करता है।