लखनऊ। सड़क पर सुरक्षित चलने के लिये हमें ट्रैफिक नियमों के बारे में पता होना बहुत ही जरूरी है। जानकारी होने से हम बिना किसी दुर्घटना के आराम से अपने सफर को कर सकते हैं।
आपने सड़क पर ट्रैफिक सिग्नल देखा होगा। उसमें तीन रंग की लाइट होती है। जिसमें लाल, पीला और हरा रंग होता है। लाल रंग होने पर आप गाड़ी रोक देते है, पीला होने पर होने पर आप तैयार हो जाते है और हरा होते ही आप चल देते है। लेकिन ट्रैफिक लाइट में इन्हीं रंगों का उपयोग क्यों किया गया इसके बारे में जानते है आप ? तो हम बताते है इन रंगों के बारे में…
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लाल रंग
अन्य रंगों की अपेक्षा लाल रंग बहुत ही गाढ़ा होता है। ये हमारी आँखों रेटिना पर सबसे पहले प्रभाव छोड़ता है। ये बहुत दूर से ही दिखने लगता है। इसके अलावा लाल रंग का प्रयोग इस बात का भी संकेत देता है कि आगे खतरा है।
पीला रंग
पीला रंग ऊर्जा और सूर्य का प्रतीक है। ये रंग आपको बताता है कि वापस अपनी ऊर्जा को समेट कर तैयार हो जायें। ट्रैफिक सिग्नल पर पीले लाइट का मतलब है कि आप अपने वाहन के इंजन को स्टार्ट कर लें।
हरा रंग
हरा रंग प्रकृति और शांति का प्रतीक है। हरा रंग आँखों को सुकून पहुंचाता है। ये रंग खतरे के बिल्कुल विपरीत होता है। इसीलिये इसे वाहनों को आगे बढ़ाने के लिये किया जाता है।
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क्या है ट्रैफिक लाइट
दुनिया में सबसे पहला ट्रेफिक लाइट 10 दिसंबर 1868 को लंदन के ब्रिटिश हाउस ऑफ पार्लियामेंट के सामने लगाया गया था। इस लाइट को रेलवे के अभियंता जेके नाईट ने लगाया था। रात में दिखने के लिये इसमें गैस का प्रयोग किया जाता था। खास बात ये है कि उस समय सिर्फ दो ही रंगों का प्रयोग किया जाता था लाल और हरा। तब से दुनिया भर में सड़कों पर इस लाइट का प्रयोग किया जा रहा है।
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