डींगर मांजरा (हरियाणा)। संगीता सिंह के पास पांच गाय हैं जिनका दूध पहले वो डेयरी में बेच देती थी, लेकिन अब वह उस दूध को बेचने की बजाय उससे पनीर, रसगुल्ला, कलाकंद समेत कई चीजों को बनाकर बाजार में बेच रही हैं।
संगीता का यह शुरुआती दौर है लेकिन वह इस व्यवसाय को और आगे बढ़ाना चाहती हैं। करनाल जिले से करीब 30 कि.मी. दूर डींगर मांजरा गाँव में रहने वाली संगीता लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। इस पूरे काम में उनकी मदद राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के वैज्ञानिकों ने की।
संगीता ‘गाँव कनेक्शन’ से बताती हैं, “एनडीआरआई ने हमारे समूह को गाँव में ही दूध से पनीर, लस्सी, गुलाबजामुन, कलाकंद और नारियल की मिठाई बनाने का प्रशिक्षण दिया। उसके बाद हमने यह काम शुरू किया। पहले पांच महिलाएं थी आज 10 महिलाएं इस काम लगी हैं।”
किसानों के फायदे के लिए पूरे देश में दूध से उत्पादों बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने नाबार्ड और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के बने समूह की महिलाओं को दूध से उत्पादों का प्रशिक्षण देना शुरू किया है ताकि महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बन सके।
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पशुपालन का काम और कारोबार सीधे तौर पर महिलाओं से जुड़ा हुआ हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर महिलाएं ही चारा-पानी से लेकर दूध निकालने का काम करती हैं।
डेयरी उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण दे रही राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में जूनियर रिसर्च फेलो प्रिया शर्मा बताती हैं, “हम महिलाओं के सशक्तिकरण पर काम कर रहे है। नाबार्ड और आजीविका मिशन के बने स्वयं सहायता समूह की मीटिंग करके उनको उत्पादों के बारे में समझाते हैं उसके बाद घर में ही जाकर उनको प्रशिक्षण देते हैं।”
“इस प्रशिक्षण में हम उन्हें पनीर, मसाला पनीर, लस्सी गुलाबजामुन कलाकंद और नारियल की मिठाई बनाना सिखाते है और जब तक वह पूरी तरह से सींख नहीं जाती तब तक प्रशिक्षण चलाता है,” प्रिया आगे बताती हैं।
अपनी बात को जारी रखते हुए प्रिया बताती हैं, “अभी संस्थान ने तीन जिलों (करनाल, सोनीपत और पानीपत) में महिलाओं के समूह को प्रशिक्षण दिया है। प्रशिक्षण के बाद महिलाओं ने घर पर ही उत्पादों को बनाना शुरू किया है। जिन महिलाओं को इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए लोन की जरूरत होती है उसको भी दिलवाते हैं।”
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भारत समेत दुनिया के कई देशों में दूध की कीमतों को लेकर किसान परेशान हैं। कई डेयरी किसान ने इस व्यवसाय से मुंह मोड़ लिया तो कई किसान दूध में वैल्यू एडिशन करके उससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। एनडीआरआई की इस पहल से महिलाओं को जहां एक दिशा मिली है वहीं उन्हें कमाई का एक जरिया भी मिला।
डींगर मांजरा की लक्ष्मी ने भी दूध के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लिया है। वह कहती हैं, “पहले हम दूध से पनीर तो बनाते है लेकिन उसमें स्वाद नहीं था लेकिन ट्रेनिंग लेने के बाद इसमें अच्छा स्वाद भी आता है। पनीर के अलावा घर पर ही मिठाई रसगुल्ला बनाने की ट्रेनिंग ली है। घर में बनाने से त्योहारों में बाजार से मिठाई नहीं खरीदनी पड़ती है।”
दूध के बने मिलावटी उत्पादों से छुटकारा
देश में मिलावटी दूध और उससे बने उत्पादों का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में घर पर बनाए गए दूध के उत्पाद से सेहत को भी फायदा होगा। संगीता बताती हैं, “आजकल बाजार में बहुत मिलावट है, त्योहारों में ज्यादातर लोग मिठाई और खोया में पता नहीं क्या-क्या मिलावट करते हैं, जो हम लोग बनाते हैं उसमें संतुष्टि रहती है कि वह शुद्ध है और ज्यादातर घर पर ही मिठाई बनाते हैं।”
पनीर का पानी पशु और इंसान दोनों के लिए फ़ायदेमंद
जूनियर रिसर्च फेलो प्रिया शर्मा ने ‘गाँव कनेक्शन’ को बताया, “कई बार महिलाएं घर में पनीर बनाती हैं और पानी फेंक देती हैं। पर ऐसा नहीं करना चाहिए यह न्यूट्रीशियस होता है।
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इसको ठंडा करके अनानास और नींबू का रस डालकर शरबत बनाकर बच्चों को पिला सकते हैं या फिर पशुओं के फीड में मिलाकर उसको दे सकते हैं।”
कोई भी महिला ले सकती है प्रशिक्षण
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम कर रहा है। संस्थान में महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण की प्रकिया के बारे में प्रिया शर्मा बताती हैं, “कोई भी महिला या समूह डेयरी उत्पाद को बनाने का प्रशिक्षण एनडीआरआई से ले सकती हैं। हम महिलाओं को उनके घर जाकर भी प्रशिक्षण देते हैं और वह संस्थान भी आ सकती हैं।”