इस नई विधि से आप भी घर में उगा सकते हैं मशरूम

बिहार के राजेश कुमार सिंह मशरूम उत्पादन की ऐसी विधि विकसित की है, जिससे आसानी से कोई भी अपने घर में मशरूम की खेती कर सकता है।
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पिछले कुछ साल में मशरूम का बाज़ार तेजी से बढ़ा है और किसानों को इससे फायदा भी हो रहा है। अगर आपसे कहा जाए कि आप अपने घर में ताज़ा मशरूम उगा सकते हैं, तो शायद यकीन हो, लेकिन बिहार के किसान राजेश कुमार सिंह ने एक ऐसा तरीका इजाद किया है, जिसे कोई भी अपने घर में आसानी से मशरूम उगा सकता है।

बिहार के गया जिले के गुरुआ ब्लॉक के इटहरी गाँव के रहने वाले राजेश कुमार सिंह पिछले आठ साल से मशरूम का व्यवसाय करते आ रहे हैं, उनके यहाँ बिहार ही नहीं दूसरे प्रदेशों से भी किसान मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेने आते हैं।

बकेट मशरूम की इस विधि के बारे में राजेश कुमार सिंह गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “मैं पिछले कई साल से मशरूम की खेती आ रहा हूँ, ज़्यादातर लोगों को सिर्फ बटन मशरूम के पता है लोग इसकी खेती करना चाहते हैं और बाजार में भी यही मशरूम मिलता है। जबकि ऑयस्टर मशरूम की अपनी अलग ख़ासियतें होती हैं।”

वो आगे कहते हैं, “मुझे लगा कि कोई ऐसा तरीका सोचना चाहिए, जिससे लोगों को अपने घर भी ताज़े मशरूम मिल जाएँ। अभी तक लोग ऑयस्टर मशरूम पॉलिथीन बैग में उगाते हैं, लेकिन अगर ये किसी को देता हूँ तो उसे कई सारे इंतजाम करने होंगे। इसलिए मेरे दिमाग में बकेट में मशरूम उगाने का आइडिया आया।”

प्लास्टिक की इस बाल्टी की कीमत लगभग 500 रुपए आती है और एक बाल्टी से एक बार में छह से आठ किलो तक मशरूम का उत्पादन हो जाता है। पाँच सौ रुपए की लागत में 1500 से 2000 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है।

राजेश सिंह बताते हैं, “अब तक 100 से ज़्यादा लोग बकेट ले जा चुके हैं, बिहार ही नहीं दूसरे प्रदेशों से भी लोग इसे मँगा रहे हैं। हमने स्वयं सहायता की महिलाओं को भी दिए हैं। अब इसे पूरी तरह से तैयार करके देते हैं, सिर्फ इसमें नमी बरकरार रखने के लिए समय-समय पर पानी छिड़कना होता है, एक बार उत्पादन होने के बाद इसे दोबारा रीफिल कर देते हैं, जिससे उत्पादन मिलता रहे।”

मशरूम की खेती से सालाना दो करोड़ की कमाई


मशरूम की खेती करने से पहले राजेश सिंह मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करते थे। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने 100 बैग से मशरूम की खेती शुरू की और आज 100 टन तक मशरूम का उत्पादन करते हैं, जिससे उनका सालाना टर्न ओवर दो करोड़ है।

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राजेश फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी और स्वयं सहायता समूह को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण भी देते हैं। इनके इकाई का मशरूम आज पूरे जिले के साथ बिहार, झारखंड, दिल्ली, तक भेजी जा रही है।

तीन तरह के मशरूम की होती है खेती


बटन मशरूम
ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम)
दूधिया मशरूम (मिल्की)

आयस्टर मशरुम मशरूम उगाने की पूरी जानकारी


ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है। इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग है। इसीलिए पिछले कुछ वर्षों में इसके उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है। तमिलनाडु और उड़ीसा में तो यह गाँव-गाँव में बिकता है। कर्नाटक राज्य में भी इसकी खपत काफी है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ऑयस्टरमशरूम की कृषि लोकप्रिय हो रही है।

पंद्रह दिनों में मिलने लगेगा ऑयस्टर


स्पॉन लगाने के बाद पंद्रह दिनों में इसमें ऑयस्टर की सफेद-सफेद खूटियां निकलने लगती हैं, ये मशरूम बैग में चारों तरफ निकलने लगता है। इस मशरूम में सबसे अच्छी बात होती है इसे किसान सुखाकर भी बेच सकते हैं, इसका स्वाद भी तीनों मशरूम में सबसे बेहतर होता है।

मशरूम की तुड़ाई करते समय इन बातों का रखें ध्यान

मशरूम तोड़ते समय हमें इस बात का ध्यान रखना होता है कि मशरूम को आसानी से तोड़ना चाहिए। कई बार किसान भाई एक साथ मशरूम तोड़ते जाते हैं बाद उसमें नीचे का हिस्सा काटते हैं, ऐसे में मशरूम गंदा हो जाता है। इसलिए मशरूम तोड़ते समय ही किसी तेज चाकू से नीचे का हिस्सा हटाते जाएं।

मशरूम को तोड़ने के बाद हम पौटेशियम मेटा बाई सल्फेट 1 पीपीएम प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बना लेते हैं। हम दो पानी का घोल बनाते हैं, पहले एक घोल में मशरूम डालेंगे फिर दोबारा दूसरे घोल में मशरूम डालकर अच्छी तरह से साफ कर लेंगे।

धुलाई करने के बाद इसे 15-20 मिनट तक सूखने के लिए रख देते हैं, इसके बाद इसे पैक करके गत्ते में रखना चाहिए कभी भी इसे बोरे में नहीं रखना चाहिए। मशरूम तोड़ने के बाद कभी भी इसे लंबे समय तक नहीं रखना चाहिए, इसे जल्द से जल्द बाजार पहुंचा देना चाहिए।

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