इंटरव्यू- कृषि कानूनों को मोदी सरकार ने नाक का सवाल बनाया, बीजेपी को होगा 80 से ज्यादा सीटों का नुकसानः हनुमान बेनीवाल

कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। बेनीवाल ने किसान महापंचायतों पर भी सवाल उठाए हैं। गांव कनेक्शन ने कृषि कानून, किसान आंदोलन, बीजेपी-कांग्रेस के खिलाफ रणनीति और आगामी चुनावों को लेकर हनुमान बेनीवाल से बात की, पढ़िए उसे प्रमुख अंश
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जयपुर (राजस्थान)। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर लोकसभा सीट से सांसद हनुमान बेनीवाल एक किसान नेता के तौर जाने जाते हैं। केन्द्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में बेनीवाल ने एनडीए गठबंधन से भी नाता तोड़ लिया। संसद की जिन तीन समितियों में शामिल थे, उनसे भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बेनीवाल शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार आंदोलन से डरी हुई है, लेकिन बिल वापसी को इन्होंने अपने ईगो (प्रतिष्ठा) का सवाल बना लिया है।

बेनीवाल का मानना है कि अगर नरेंद्र मोदी  (Narendra Modi)  सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो उन्हें अगले लोकसभा चुनाव  में 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान झेलना पड़ेगा। उनका यह भी कहना है कि मोदी सरकार की जिद के कारण भारत (india) के लोकतंत्र की साख दुनिया में गिरी है। बेनीवाल ने राजस्थान (Rajasthan) की कांग्रेस सरकार पर भी किसानों को धोखा देने का आरोप लगाया है। 

सवालः एनडीए से अलग होने और संसद की समितियों से इस्तीफे के बाद आपकी अब योजना क्या है?

हनुमान बेनीवालः हम अपने मुख्य एजेंडे किसानों की कर्ज माफी, तीनों बिल वापसी, मुफ्त बिजली, टोल मुक्त राजस्थान और बेरोजगारी भत्ते को लेकर एक बड़े आंदोलन की तैयारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) कर रही है। राजस्थान विधानसभा में हमारे तीनों विधायक और संसद में मैं किसानों की आवाज को बुलंद करने का काम कर रहे हैं। राजस्थान में चार सीटों पर होने वाले उपचुनावों में भी इन्हीं मुद्दों को लेकर पार्टी चुनाव में खड़ी होगी। गठबंधन छोड़ने के बाद से ही हम शाहजहांपुर बॉर्डर पर बैठे हुए हैं।

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राजस्थान में नागौर लोकसभा सीट से अपनी ही पार्टी RLP से सांसद हैं हनुमान बेनीवाल। फोटो RLP फेसबुक पेज

सवालः लेकिन सरकार कृषि कानूनों को लेकर झुकती नज़र नहीं आ रही।

हनुमान बेनीवालः ये दिल्ली की सरकार का घमंड और अभिमान है। इन बिलों से किसानों का भला नहीं होने वाला। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा कि बिल स्वैच्छिक हैं जो राज्य चाहें न लागू करें। इसका मतलब यही है कि सरकार थोड़ा झुकी है, लेकिन बिना बिल वापसी के ये आंदोलन भी खत्म नहीं होने वाला है। लेकिन सरकार में ईगो की समस्या है।

सवालः किसान पूरे देश में सभाएं कर रहे हैं। 3 मार्च को आपके संसदीय क्षेत्र नागौर में राकेश टिकैत की रैली हुई, लेकिन बेनीवाल बिलों के विरोध में सभाएं क्यों नहीं कर रहे?

हनुमान बेनीवालः राजस्थान में कम्युनिस्ट पार्टियों से जुड़े लोग बाहर के लोगों को लाकर रैलियां करवा रहे हैं, लेकिन ये लोग राजस्थान को नहीं समझते। इन सभाओं रैलियों को लोगों का समर्थन हासिल नहीं हो रहा है। मैं चाहता हूं कि ऐसी छोटी रैलियों से किसान आंदोलन कमजोर ना हो। मेरी कोशिश 5 लाख लोगों को इकठ्ठा कर मोदी सरकार को किसानों की ताकत महसूस कराने की है।

सवालः तो क्या आप किसान नेताओं की सभाओं से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं?

हनुमान बेनीवालः बिलकुल नहीं। बल्कि वे मुझसे इनसिक्योर महसूस कर रहे हैं। ये जितनी रैली-सभाएं चल रही हैं उनमें दम नहीं है। कम्यूनिस्ट पार्टी का राजस्थान में वजूद नहीं है। दूसरे लोगों को सीएम अशोक गहलोत ने शाहजहांपुर बॉर्डर पर बिठाया है। हजार लोगों की भीड़ लेकर ये लोग किसान आंदोलन को कमजोर कर रहे हैं। हां, एक लाख लोग सभा में लाइए तो सरकार पर दवाब बनेगा।

सवालः क्या आप कहना चाहते हैं कि किसान आंदोलन टूल बन रहा है?

हनुमान बेनीवालः बिलकुल। राजस्थान में कांग्रेस इस आंदोलन का फायदा उठाना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हां, हरियाणा और यूपी में किसानों की बड़ी सभाएं हुई हैं, लेकिन बाकी जगह कांग्रेस के लोग ही किसान रैली आयोजित करा रहे हैं।

सवालः राजस्थान में देश में सबसे ज्यादा बाजरा उगाया जाता है, लेकिन किसानों को 1200 रुपए का भाव मिल रहा है।

हनुमान बेनीवालः इसमें राज्य सरकार की लापरवाही रही है। एमएसपी में शामिल होने के बाद राज्य सरकार की ओर से एक पत्र जारी होना था। उसे गहलोत सरकार भेजना ही भूल गई। इसका खामियाजा राज्य के किसानों को झेलना पड़ रहा है। हमारी मांग है कि इसका जल्द ही समाधान किया जाए।

सवालः किसानी में करीब 40% योगदान महिलाओं का है, लेकिन आपके पूरे विरोध में महिलाएं कहीं दिखाई नहीं दे रहीं। ऐसा क्यों?

हनुमान बेनीवालः आजादी से लेकर जितने भी आंदोलन हुए उनमें पुरुषों का वर्चस्व रहा है। इसीलिए यह बात एक हद तक ठीक है। लेकिन हम नहीं चाहते कि शाहजहांपुर बॉर्डर पर ले जाकर उन्हें तकलीफ दी जाए। अगर महिलाओं की आवश्यकता लगेगी तो महिला किसानों का सहयोग भी हम लेंगे। अभी हम इसकी जरूरत नहीं समझ रहे।

सवालः राजस्थान में किसान और मध्यम वर्ग बिजली के बढ़े हुए दामों से परेशान है। तीन विधायकों के होते हुए आपको कभी इसका विरोध करते हुए नहीं देखा गया?

हनुमान बेनीवालः हमारे विधायकों ने विधानसभा में गलत तरीके से आ रहे बिजली के बिल और बढ़ती कीमतों पर बोला है। मैंने भी संसद में इसके बारे में बोला है। लेकिन हम एक-दो दिन में महंगी बिजली के विरोध में धरना-प्रदर्शन करेंगे।

सवालः बीज बिल-2019 जैसे कई कृषि संबंधी और भी बिल आने वाले हैं। कई समूह इनका विरोध भी कर रहे हैं। आपका स्टेंड क्या है?

हनुमान बेनीवालः जो भी बिल आए, अगर वो किसान, आम नागरिक, मजदूर के हित में नहीं है तो आरएलपी उसका कड़ा विरोध करेगी।

सवालः कांग्रेस बिलों के विरोध और बीजेपी समर्थन में रैलियां कर रही है। ऐसे में आरएलपी पीछे छूटती हुई क्यों दिख रही है?

हनुमान बेनीवालः ऐसा नहीं है। हमारी नई पार्टी है। रैली मुझे ही करनी है। काफी तैयारी करनी होती है। इसीलिए मैं चाहता हूं कि कम से कम 5 लाख लोगों की रैली हो। ताकि सरकार पर दवाब बने। अभी चार सीटों पर उपचुनाव भी लड़ने हैं। उसकी तैयारी भी करनी है। हमारा एक दर्जन से ज्यादा रैलियां करने का विचार है। इसके प्लान पर काम चल रहा है।

सवालः गठबंधन छोड़ते वक्त आपकी सरकार से क्या बात हुई थी?

हनुमान बेनीवालः जब मैंने दिल्ली के लिए पहला कूच किया तब गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के कई फोन मेरे पास आए। उन्होंने बिलों के संबंध में सुधार की बात की और कूच टालने के लिए कहा। मैंने उनके कहने पर सात दिन के लिए अपना विरोध टाला भी। दूसरी बार जब उनसे बात हुई तो मुझे लगा कि सरकार इन कानूनों को लेकर टाल-मटोल वाले रवैये में है। तब मैंने अमित शाह से गठबंधन छोड़ने की बात कही। इसका मुझे कोई जवाब नहीं दिया गया। तब जाकर मैंने गठबंधन छोड़ने का फैसला लिया।

हनुमान बेनीवाल के मुताबिक उनका अगला लक्ष्य राजस्थान विधानसभा के उपचुनावों में जीत दर्द करना है। फोटो- अरेंजमेंट

सवालः क्या आपको लगता है कि गठबंधन छोड़कर आपने जल्दबाजी या गलती कर दी?

हनुमान बेनीवालः मेरा मुख्य मकसद 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में दोंनो पार्टियों को घर बिठाने का है। मुझे दिल्ली में पार्टी विलय के बाद मंत्री पद का ऑफर दिया गए, लेकिन मुझे पद या सत्ता का लालच नहीं है। इसीलिए गठबंधन छोड़ने का कोई मलाल नहीं है।

सवालः अंदरखाने आपकी बीजेपी से कुछ बातचीत चल रही है। सच्चाई क्या है?

हनुमान बेनीवालः सवाल ही नहीं है। ये संभव भी नहीं है। हां, अगर कृषि कानूनों को मोदी सरकार वापस लेती है तो इसकी संभावना बन सकती है।

सवालः बीजेपी को वोट के हिसाब से इस आंदोलन से नुकसान नहीं होता दिख रहा। क्या आप इस बात से सहमत हैं?

हनुमान बेनीवालः ऐसा नहीं है। राजस्थान में अगले चुनाव में बीजेपी 6 लोकसभा सीट से ज्यादा नहीं जीतेगी। दिल्ली की सरकारों को हमेशा दिल्ली के आस-पास के राज्यों के आंदोलनों से नुकसान हुआ है। हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब सूबों ने दिल्ली की गद्दी कई बार हिलाई है। हवा इन्हीं जगहों से बनती है। चौधरी चरण सिंह, चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत इसका उदाहरण हैं। किसान आंदोलन का अगर कोई हल मोदी सरकार नहीं निकालती तो इन्हें 2024 में 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान होगा।

सवालः तो आपको कोई हल निकलता दिख रहा है?

हनुमान बेनीवालः सरकार अपनी जिद छोड़ देगी तो हल 2 मिनट में निकल जाएगा। आम आदमी को भी अब परेशानी होने लगी है। फिर भी किसानों ने बहुत संयमित तरीके से अपने आंदोलन को चला रखा है। 200 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है फिर भी किसान शांति से बैठे हैं। 26 जनवरी को एक साजिश की गई, लेकिन वो साजिश नाकामयाब हो गई।

सवालः भारत के किसान आंदोलन की दुनियाभर में चर्चा है, इसे कैसे देखते हैं आप?

हनुमान बेनीवालः निश्चित रूप से भारत के लोकतंत्र की साख गिरी है। भारत जैसे देश में जहां महात्मा गांधी सहित अनेक लोगों ने लंबे-लंबे आंदोलन चलाए। वहां एक आंदोलन तीन महीने से चल रहा है और सरकार के जूं तक नहीं रेंग रही है। जिन किसानों ने सरकार बनाई उन्हें ही सरकार खालिस्तानी, पाकिस्तानी जैसे नाम देकर अलग-थलग कर रही है। इससे लोकतंत्र का खात्मा होगा। इस व्यवहार से आने वाले समय में हिटलरशाही बढ़ेगी।

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