भोपाल। देश की डेयरी सहकारिताओं को रीयल टाईम सूचना उपलब्ध कराने के मकसद से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से विभिन्न स्तरों पर सूचना प्रणाली स्थापित कर रही है। यह प्रौद्योगिकी छोटी डेयरी मालिकों के जीवन एवं आजीविका में बदलाव ला रही है।
एनडीडीबी अध्यक्ष दिलीप रथ ने बताया, केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया स्वप्न के अनुरूप एनडीडीबी की एकीकृत स्वचालित दूध संकलन प्रणाली (एएमसीएस) सॉफ्टवेयर ने डिजिटल इनोवेशन के माध्यम से सहकारी व्यवसाय को सुदृढ़ बनाया है। वर्तमान में, भोपाल दुग्ध संघ से संबद्ध 48 डेयरी को-आपरेटिव समितियां (डीसीएस) इस एएमसीएस सॉफ्टवेयर का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं।
दिलीप रथ ने बताया, सॉफ्टवेयर को हम को-आपरेटिव समितियों को मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं।
एनडीडीबी अध्यक्ष दिलीप रथ ने कहा कि दुग्ध संचालन में पारदर्शिता की शुरूआत करने के अलावा इस सॉफ्टवेयर से प्रक्रियात्मक दक्षता में सुधार हुआ है। इसमें दूध संकलन की पूरी प्रक्रिया स्वचालित हुई है तथा एक क्लिक से दूध संकलन संचालन सक्रिय होता है। इस स्वचालन से हस्तचालित हस्तक्षेप नहीं होता है और यह दूध परीक्षण उपकरण को जोड़ता है।
दिलीप रथ ने बताया कि प्रत्येक स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह सॉफ्टवेयर दुग्ध उत्पादक किसानों और अन्य हितधारकों को संगत जानकारियां उपलब्ध करता है। प्रत्येक लेनदेन के लिए उन्हें तुरंत एसएमएस प्राप्त होते हैं ताकि पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित हो और आंकड़ों के हेर-फेर से बचा जा सके।
उन्होंने कहा, भोपाल दुग्ध संघ के अलावा इस सॉफ्टवेयर को वर्तमान में उज्जैन एवं इंदौर दुग्ध संघ द्वारा भी उपयोग में लाया जा रहा है। हम झारखंड एवं कर्नाटक में भी इसका क्रियान्वयन करने पर कार्य कर रहे हैं और शीघ्र ही पंजाब एवं राजस्थान सहित देश के विभन्नि राज्यों के दुग्ध संघों में इस सॉफ्टवेयर को शुरू करेंगे।
इसी बीच, मध्यप्रदेश स्टेट कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन की प्रबंध संचालक डॉ. अरूणा गुप्ता ने सीहोर जिले के दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति टिटोरा में भ्रमण पर गई मीडिया को बताया, वर्तमान में भोपाल दुग्ध संघ की 48 दुग्ध सहकारी समितियों में यह सॉफ्टवेयर का क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है और 23 दुग्ध सहकारी समितियों में प्रशक्षिण पूर्ण होकर क्रियान्वयन शीघ्र प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 6,800 दुग्ध समितियां और 3,000 दुग्ध संकलन केन्द्र हैं। इन सभी में भी इस सॉफ्टवेयर को धीरे-धीरे लगाया जाएगा। अरूणा ने बताया कि दुग्ध सहकारी समितियों की दुग्ध संकलन व्यवस्था में पारदर्शिता के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में कंप्यूटर आधारित स्वचालित प्रणाली क्रियान्वति की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह सॉफ्टवेयर जब किसी कंप्यूटर में इनस्टाल किया जाता है, तो वह इससे जुड़े उपकरणों में रखे दूध की मात्रा, गुणवत्ता, फैट, सीएलआर, एसएनएफ के साथ-साथ उस दूध की दर एवं उसकी कुल राशि बताता है, जिससे दुग्ध उत्पादक को उसके द्वारा बेचे गए दूध की रसीद तुरंत अपना दूध बेचते समय ही मिल जाती है। इसके अलावा, इस संबंध में एक संदेश उसके द्वारा पंजीकृत कराए गए मोबाइल में भी आ जाता है। इससे दुग्ध संकलन एवं उसका भुगतान करने में पारदर्शिता आई है।
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इनपुट भाषा
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