14 दिनों में गन्ने का भुगतान न करने वाली शुगर मिलों के खिलाफ शासन ने आंखे तरेर ली हैं। शासन ने मिल प्रबंधन को नोटिस भेजते हुए सभी जिलाधिकारियों से एस्क्रो खाते मांगे हैं। ताकि गन्ने की खोई व बगास से तैयार होने वाली बिजली से किसानों का पैसा सीधे उनके खाते में भेज सकें। विभागीय जानकारी के मुताबिक पूरे प्रदेश की शुगर मिलों का पावर ग्रिड पर लगभग 800 करोड़ रुपए बकाया है। जिसे सरकार हर जनपद के डीएम के माध्यम से किसानों के खाते में भुतान के रूप में भेजने की तैयारी कर रही है। ताकि किसानों को भुगतान के लिए परेशान न होना पड़े।
1000 मेगावाट बिजली करती है उत्पादन
यूपी में संचालित लगभग 62 शुगर मिल गन्ने की खोई व बगास से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पाद पांच माह में करती है। इस बिजली को वह यूपी पावर कार्पोरेशन को बेचती है। आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त शुगर मिलों का पावर कार्पोशन का लगभग 800 करोड़ रूपया बकाया है। जिसमें 200 करोड़ अकेले मेरठ मंडल का है। लगातार पैमेंट न मिलने की शिकायत पर शासन ने बड़ा फैंसला लिया है। मेरठ जोन के गन्ना उपायुक्त हरपाल सिंह बताते हैं कि शासन सभी जिलाधिकारियों के एस्क्रो एकाउंट मांगे गए हैं। जिसके माध्यम से बिजली का पैसा जिलाधिकारी के मांध्यम से किसानों के खाते में भेजने का प्लान है। यदि इसके बाद भी किसानों का पैसा रह जाता है, तो फिर अन्य तरीकों से पैसा निकलवाया जाएगा।
मिलों द्वारा भुगतान न देने पर को-जनरेशन का पैसा एक्क्रो अकाउंट में भेजने का निर्णय लिया गया है। सभी जिलों से एकाउंट मांगे गए हैं। बाकी बचा पैसा भी जल्द ही दिलाया जाएगा।
संजय आर भुसरेडडी, गन्ना आयुक्त यूपी
पिछले साल का भी नहीं मिला पैसा
वहीं शुगर मिल मालिकों का कहना है कि सरकार मिलों पर तो पैमेंट का दबाव बनाती रहती है, लेकिन उन्ही के विभाग पावर ग्रिड ने अभी पिछले साल का पैमेंट भी नहीं किया है। यदि ये पैसा समय रहते मिल जाए तो काफी हद तक किसानों को पैमेंट दिया जा सकता था। मेरठ मंडल की मवाना, दौराला, सिंभावली, किनौनी, नंगलामल, मलकपुर साबितगढ आदि मिल को-जनरेशन कर बिजली उत्पादन करती हैं। गन्ना उपायुक्त हरपाल सिंह बताते हैं कि इन सभी मिलों का 200 करोड़ रूपया पावर ग्रिड पर है। इसे मिल मालिकों न देकर एस्क्रो खाते में भेजा जा रहा है। ताकि इस पैसे से किसानों का भुगतान हो सके।
3000 करोड़ रुपया बकाया
विभागीय जानकारी के मुताबिक इस वक्त यूपी की मिलों पर किसानों का लगभग 3000 करोड़ रूपया बकाया है। अकेले मेरठ जोन की मिलों पर 1600 करोड़ रूपए 25 मार्च तक बकाया है। जिसके चलते किसान अपना कोई भी काम नहीं कर पा रहा है। पैमेंट ने मिलने से किसानों में हाहाकार मचा है। किसान अपने बच्चों तक फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं। को-जनरेशन के पैसे 800 करोड़ का भुगतान होने के बाद भी 1200 करोड़ रूपए किसानों का शुगर उद्योग पर शेष रह जाएगा।