लखनऊ। हर साल भारत में बांग्लादेश की सीमावर्ती क्षेत्र पश्चिम बंगाल में गेहूं के खेतों में व्हीट ब्लास्ट की बीमारी फैलती थी, जिससे हजारों एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो जाती थी। मगर अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
भारतीय वैज्ञानिकों ने दिया प्रशिक्षण
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने भारत को व्हीट ब्लास्ट रोग मुक्त बनाने की प्रक्रिया शुरू दी है। इसी साल बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने बांग्लादेश के कृषि वैज्ञानिकों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन करके व्हीट ब्लास्ट बीमारी से कैसे गेहूं का बचाया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी।
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सुविधा और प्रशिक्षण का अभाव था
इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिक डॉ. डीपी सिंह, जो भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे थे, ने बताया, ”बांग्लादेश में व्हीट ब्लास्ट से गेहूं को बचाने की सुविधा और प्रशिक्षण का अभाव था, जिसे भारतीय वैज्ञानिकों ने पूरा किया है। भारत ने वहां के किसानों से व्हाइट ब्लास्ट रोधी गेहूं की बुवाई करने का भी निर्देश दिया।”
व्हीट ब्लास्ट ‘मैगनापोर्टे ओरिजे’ नाम की फफूंद से होता है। धान में राइस ब्लास्ट भी इसी से होती है। गर्म और नमी वाली जलवायु में यह फफूंद तेजी से पनपता और फैलता है।
रतन तिवारी, प्रधान वैज्ञानिक, गेहूं अनुंसधान संस्थान
बीज को आने पर लगा दी रोक
भारत में किसी भी तरह से व्हीट ब्लास्ट का रोग न फैले, इसलिए बांग्लादेश से किसी भी प्रकार के गेहूं के बीज को आने पर रोक लगा दी गई है। गेहूं अनुंसधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक रतन तिवारी ने बताया, ”व्हीट ब्लास्ट ‘मैगनापोर्टे ओरिजे’ नाम की फफूंद से होता है। धान में राइस ब्लास्ट भी इसी से होती है। गर्म और नमी वाली जलवायु में यह फफूंद तेजी से पनपता और फैलता है।”
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ब्राजील और दक्षिण अमेरिकी देशों में भेजे बीज
रतन तिवारी आगे बताते हैं, “भारत ने इस समय व्हीट ब्लास्ट को बेअसर करने वाली गेहूं की करीब 35 प्रजातियां को ब्राजील और दक्षिण अमेरिकी देशों में भेजा है। माना जा रहा है कि यह बीमारी वहीं से पनपी है। व्हीट ब्लास्ट का पहली बार 1985 में ब्राजील में पता चला था और वहां से यह बोलीविया और पैराग्वे में पहुंच गई।“
तब जला दी गई थी हजारों हेक्टेयर फसल
व्हीट ब्लास्ट कितना खतरनाक है, यह पिछले साल देखने को मिला, जब बांग्लादेश में इसकी वजह से 15 हजार हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल को जलाना पड़ा था। भारत में पश्चिम बंगाल के बांग्लादेश से सटे नादिया और मुर्शिदाबाद जिले में भी इस बीमारी से सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो गई थी।
गेहूं की पैदावार घटी तो बिगड़ सकता है अनुपात
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान ने देश में गेहूं की पैदावार पर असर डाल रही बीमारियों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें बताया गया है कि देश में रहने वाले हर एक शख्स को हर महीने औसतन 4 किलोग्राम गेहूं से बने उत्पाद की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर गेहूं की पैदावार घटी तो यह अनुपात बिगड़ सकता है। ऐसे में गेहूं की फसल को बचाने के लिए ‘सीड ट्रीटमेंट आफ व्हीट’’ नाम से प्रोग्राम चलाया जा रहा है। जिमसें इस साल गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से 7144 गेहूं बीज का सैंपल एकत्रित करके जांच की गई है। 1681 सैंपल संक्रमित पाए गए हैं। जिसको देखते हुए किसानों को इसको लेकर जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की बात कही गई है।