किसानों को खेतों में लगे कीटपतंगों को खत्म करने के लिए अब उर्वरक या कीटनाशकों की जरूरत नहीं पडे़गी, क्योंकि अब नैनो पेस्टीसाइड से भी खेत की मिट्टी उर्वरा और कीट रहित हो जाएगी। चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स इसका तरीका खोज निकाला है, जिसमें सिल्वर और जिंक से ऐसा लिक्विड नैनो पेस्टीसाइड तैयार किया गया है। जिसके स्प्रे करने से जहां एक और मिट्टी की सेहत सुधर जाएगी, वहीं कीट पतंग भी फसल को बर्बाद नहीं कर सकेंगे।
मिट्टी हो रही बंजर
शोधार्थी व विभागीय टीचर का मानना है की अगले माह तक यह नैनो पेस्टीसाइड मार्केट में किसानों को मिलने लगेगा। वो भी कीटनाशकों को बहुत सस्ती दरों पर। यूपी सहित अन्य प्रदेशों के किसान भी कम जमीन से अधिक उत्पादन पाने के लिए रसायनिक खाद्य और कीटनाशकों का जमकर प्रयोग कर रहे हैं। इन रसायनों के अधिक प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जमीन के 40 फीसदी तक पोषक तत्व बिल्कुल नष्ट हो गए हैं। साथ ही जिस खेत में ज्यादा कीटनाशक डाला जा रहा है वह जमीन तो तीन चार से चार साल में बंजर सी हो गई है। साथ ही इन खेतों में उपजा गेहूं, दाल, चावल आदि खाकर लोग बीमार भी हो रहे हैं। इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विवि के दो स्टूडेंट्स ने सिल्वर और जिंक से ऐसा लिक्विड तैयार किया है। जिससे जमीन तो मजबूत होगी ही, साथ ही कीट पतंग भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे।
शोध के बाद किया गया प्रयोग
अनुवांशिकी और पादक विभाग के शोध छात्र अमरदीप सिंह बताते हैं, उन्होंने साथी छात्रा ज्ञानिका शुक्ला के साथ मिलकर विभागीय प्रयोगशाला में जिंक और सिल्वर आधारित नैनो पेस्टीसाइड तैयार किया है। तैयार नैनो पेस्टीसाइड का इस्तेमाल विवि स्थित जमीन पर आलू और गेहूं की फसल पर किया गया। साथ ही गन्ने पर लगने वाले कीडे़ पर भी किया गया। सभी जगह नैनोपेस्टीसाइड से सफलता हाथ लगी। इसके बाद दो अलग-अलग खेतों में कीटनाशक और नैनोपेस्टीसाइड डाला गया। इसमें भी नैनो पेस्टीसाइड के नतीजे ज्यादा बेहतर आए।
नैनो पेस्टीसाइड उर्वरक और कीटनाशक एक अच्छा और सस्ता विकल्प है, इसे बहुत जल्द बाजार में उतारा जाएगा। इसके लाभा से किसानों को कीटनाशकों से छुटकारा मिलने के साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढेगी। जिससे किसानों को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा।
डा, एसएस गौरव, एचओडी जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रींडिंग
फसल के विकास में भी लाभदायक
ज्ञानिका शुक्ला बताती हैं, जिंक और सिल्वर की बायोसिंथेसिस करके नैनो पेस्टीसाइड तैयार किया है। यह नैनोपेस्टीसाइड छह माह पहले बनकर तैयार हो गया था, लेकिन पिछले छह माह से इसका इस्तेमाल कर लाभ व हानी का पता लगाया जा रहा था। सिल्वर और जिंक आधारित नैनो पेस्टीसाइड हर स्तर पर सफल रहा। जिससे किसानों को कम कीमत पर अच्छा लाभ मिल सकता है। इसे डालने से जहां गेहूं का विकास रिकार्ड हुुआ। वहीं गन्ने पर लगने वाले व्हाइट गर्भ नामक कीडे़ भी नष्ट हो गए।
ऐसे बनाया लिक्विड
विश्वविद्यालय स्थित विभागीय लैब में शोदार्थियों ने सिल्वर नाइट्रेट से जिंक और सिल्वर लेकर उपयोगी फंगस के साथ बायोसिथेंसाइट किया। पूरे एक साल में यह अलग-अलग स्टेज पर सिल्वर नैनोपार्टिकल का इस्तेमाल करके नैनो पेस्टीसाइड तैयार किया गया। शोध छात्र अमरदीप ने बताया कि नैनोपेस्टीसाइड उर्वरक और कीटनाशक दोनों का विकल्प साबित हुआ है। लिक्विड होने की वजह से इसका स्प्रे सीधे पत्तियों पर किया जा सकता है। बीज बोने से लेकर फसल के बडे़ होने तक तीन बार इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आल इंडिया एसोसिएशन आफ यूनिवर्सिटी में इस प्रोजेक्ट को चुना गया है।