उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार, महिलाओं के सबसे बद्तर राज्य हैं। यह जानकारी सामाजिक संकेतकों और भारतीय राज्यों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।
इन राज्यों में, महिलाओं की बच्चों के रूप में गर्भपात होने की संभावना सबसे अधिक है। इसके साथ ही इन राज्यों में महिलाओं की सबसे कम साक्षरता दर, जल्दी विवाह होना, गर्भावस्था के दौरान अधिक मृत्यु होना, अधिक बच्चों को धारण करना, महिलाओं के खिलाफ अधिक अपराध होना और सबसे कम काम करने की संभावना है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में कम से कम 37.6 करोड़ लोग रहते हैं जोकि अमेरिका और ब्रिटेन की संयुक्त आबादी से अधिक है। यहां सात संकेतक, हमने नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण-2014, जून 2016 में जारी किया गया था।
2011 की जनगणना और राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो से लिया है। व्यक्तिगत रूप से तीनों राज्य सभी संकेतकों में बद्तर प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं लेकिन संयुक्त रूप से इन राज्यों का नाम बद्तर राज्यों में शामिल है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ कम से कम 38467 मामले दर्ज किए गए हैं। हरेक 15 मिनट में एक मामला – दूसरे और तीसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल (38,299) और राजस्थान (31151) का स्थान रहा है। उत्तर प्रदेश का अपराध दर 38.4 है जबकि बिहार का दर 31.3 है, यह दरें कम प्रतीत होती हैं क्योंकि संभवत: यहां मामलों की रिपोर्टिंग कम होती है। भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 26 अपराधिक मामले दर्ज होते हैं या हर दो मिनट पर एक शिकायत दर्ज की जाती है।
साक्षरता दर
भारत में महिलाओं की सबसे कम साक्षरता दर बिहार में है। 2011 की जनगणना के अनुसार, 51 फीसदी बिहार की महिलाएं अशिक्षित हैं। इस संबंध में दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर राजस्थान (52.1 फीसदी), झारखंड (55.4 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (56.4 फीसदी) हैं।
परिवार का औसत आकार, छह या उससे अधिक लोगों के घरों का प्रतिशत
उत्तर प्रदेश में परिवार का आकार सबसे बड़ा है, औसत रूप से परिवार में 5-6 लोग रहते हैं जो कि किसी अन्य राज्य की तुलना में उत्तर प्रदेश की महिलाओं का सबसे अधिक बच्चे धारण करने का संकेत है। इसका अर्थ यह भी है कि इनके कंधों पर घर के कामकाज का बोझ सबसे अधिक है। परिवार के बड़े आकार के संबंध में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा एवं तीसरा स्थान राजस्थान (5.5) और झारखंड (5) का है।
महिला श्रम
शक्ति की भागीदारी दर: बिहार में सबसे महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर सबसे कम है। राज्य में प्रति 1000 महिलाओं पर 90 महिलाएं कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश का महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर 253 है जबकि राजस्थान का 453 जोकि उत्तर प्रदेश, बिहार और 331 के राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है।
शादी के लिए महिलाओं की औसत आयु
पश्चिम बंगाल में महिलाओं की शादी सबसे कम उम्र में होती है, (19.3 वर्ष)। उसके बाद उत्तर प्रदेश और राजस्थान (दोनों के लिए 19.4 वर्ष) दोनों का स्थान है। भारत में, 10 से 19 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक विवाह (0.21 करोड़) उत्तर प्रदेश में हुआ है। इस संबंध में, दूसरा और तीसरा स्थान पश्चिम बंगाल (0.13 करोड़) और बिहार (0.125 करोड़) का स्थान है। राजस्थान में, चार में से एक लड़की की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले होती है।
फ्रांस्स्वा जेवियर बगनाउड सेंटर फॉर हेल्थ एंड ह्यूमन राइट्स, हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा 2013 में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि शिक्षित होने से लड़कियों को जल्दी शादी का विरोध करने में सहायता मिलती है। शिक्षा का संबंध कम और स्वस्थ बच्चे और स्वस्थ माताओं से भी है।
मातृ मृत्यु दर (एमएमआर)
यह महिलाओं की संख्या है जिनकी प्रति 100 जीवित जन्मों पर गर्भवस्था के दौरान या गर्भावस्था समाप्त होने के 42 दिनों के भीतर,गर्भावस्था संबंधी कारणों से मृत्यु होती है। सभी भारतीय राज्यों में, 27.8 पर , उत्तर प्रदेश का एमएमआर सबसे अधिक है। इसके बाद राजस्थान (23.9) और बिहार / झारखंड (21.4) का स्थान रहा है। जून 2016 में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना की शुरुआत की थी जो कि जननी सुरक्षा योजना और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के समानांतर चलेंगे।
इसका उदेश्य, हर महीने की नौ तारीख को एक विशेषज्ञ द्वारा 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व देखभाल उपलब्ध कराना है। जहां सरकारी डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, वहां इस प्रयास से निजी डॉक्टर मिलेंगे।
प्रजनन काल
भारत में, उत्तर प्रदेश की महिलाओं की प्रजनन अवधि सबसे अधिक है, 10 वर्ष। जैसा कि, उच्च प्रजनन अवधि उच्च प्रजनन दर के साथ सहसंबंधित है, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, किसी भी अन्य राज्य की तुलना में, उत्तर प्रदेश की महिलाएं सबसे अधिक बच्चे, 4 धारण करती हैं। उत्तर प्रदेश की महिलाओं की प्रजनन अवधि के बाद दूसरा एवं तीसरा स्थान राजस्थान (9.2 वर्ष) और बिहार (9.1 वर्ष) का रहा है, और यह सभी 6.6 वर्ष के औसत भारतीय प्रजनन अवधि से अधिक हैं। शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ औसत जन्मों में गिरावट आई है। भारत की महिलाएं जो स्नातक या अधिक पढ़ी हैं, उनके लिए औसत जन्म 1.9 है जबकि अशिक्षित महिलाओं के लिए यही आंकड़े 3.8 है।
लेखक – उदेवानिक साहा