लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को जल्द राहत पहुंचाने के लिए 75 में से 50 ज़िलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। हालाँकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों की सूखे में जल्दी राहत पहुंचाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ‘सूखे जैसी परिस्थितियां’ होने के बाद भी उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखण्ड जैसे राज्यों ने केंद्र से किसी राहत राशि की मांग नहीं की है।
नवम्बर 18 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सूखे की घोषणा करते हुए 31 मार्च, 2016 तक किसानों के अवशेष मुख्य राजस्व देयों की वसूली स्थगित कर दी है। इस दौरान कृषि ऋण से सम्बन्धित देयों की वसूली के लिए किसानों के खिलाफ कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसी दिन केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा, “बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और झारखंड में सूखे जैसी परिस्थितियाँ (सूखा की घोषणा अनिवार्य नहीं) होने के बावजूद, इन राज्यों ने केंद्र को अभी तक कोई सूचना नहीं दी है”। मंत्रालय ने कहा कि कर्नाटक ने समय ज़ाया न करते हुए केंद्र को सूचना दे दी थी, जिसपर प्रतिक्रिया में बिना किसी देरी के कर्नाटक को 1541 करोड़ रुपये कि राहत राशि उपलब्ध करा दी गयी।
भारतीय मौसम विभाग के वर्षा के आंकड़ों के अनुसार पूरे प्रदेश में जून से लेकर 30 सितम्बर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण 53.50 प्रतिशत वर्षा हुई है। 33 जनपदों में 40 से 60 प्रतिशत तथा 16 जनपदों में 40 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई है। भारत सरकार के सूखे के सम्बन्ध में जारी गाइड लाइन के मुताबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून की सम्पूर्ण अवधि में सामान्य के सापेक्ष 75 प्रतिशत से कम वर्षा होने पर सूखाग्रस्त घोषित किए जाने पर सरकारें विचार कर सकती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की विज्ञप्ति के अनुसार सूखाग्रस्त घोषित होने वाले जिलों में जिलाधिकारियों द्वारा सूखे से निपटने के लिए बनाई गई कार्य योजना के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। इसमें राजस्व, सिंचाई, पंचायतीराज, ऊर्जा, ग्राम्य विकास, कृषि, खाद्य एवं रसद, समाज कल्याण, संस्थागत वित्त, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, पशुधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, नगर विकास, जल निगम, मत्स्य एवं उद्यान विभाग पूरी ताकत से जुटेंगे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश ने भी सूखे से निपटने के लिए केंद्र की मदद मांगी, जिसके बाद इन राज्यों में केंद्र कि ओर से जायज़ा लेने के लिए टीम भेजी गयी थी। मंत्रालय के अनुसार देश के 300 से ज्यादा ज़िले व 18 राज्य सूखा जैसी स्थितियों से घिरे हैं।
यूपी के इन 50 ज़िलों को घोषित किया गया सूखाग्रस्त
संत रविदास नगर, सोनभद्र, सुलतानपुर, मिर्जापुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, शाहजहांपुर, बांदा, प्रतापगढ़, चन्दौली, इटावा, बस्ती, बागपत, जौनपुर, फैजाबाद, गोण्डा, कन्नौज, बाराबंकी, संतकबीरनगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, फर्रूखाबाद, मऊ, उन्नाव, रामपुर, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकूट, कानपुर नगर, लखनऊ, देवरिया, मैनपुरी, महराजगंज, आगरा, औरैया, पीलीभीत, अमेठी, महोबा, रायबरेली, कुशीनगर, कानपुर देहात, कौशाम्बी, फतेहपुर, अम्बेडकरनगर तथा बलरामपुर।