विपक्ष की बात मानता तो ‘आधार कानून’ बेकार हो जाता: वित्त मंत्री

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नई दिल्ली (भाषा)। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आधार विधेयक पर राज्यसभा में पारित संशोधनों को लोकसभा में खारिज किये जाने की बात को सही ठहराया है। वित्त मंत्री ने कहा कि कि उच्च सदन में विपक्ष की पहल पर जो संशोधन शामिल किये गये थे, उससे इस कानून के असंवैधानिकता के दायरे में आने का खतरा था।

सरकार ने आधार विधेयक को लोकसभा में धन विधेयक के रूप में पेश किया था। लोकसभा में पारित किये जाने के बाद विधेयक जब राज्यसभा में पहुंचा तो कांग्रेस के नेता जयराम रमेश समेत पार्टी के कुछ अन्य सदस्यों ने उसमें संशोधन सुझाये जिन्हें मत विभाजन में पारित कर दिया गया। सदन में एनडीए बहुमत में नहीं है, लेकिन उसी दिन लोकसभा ने उन संशोधनों को खारिज कर विधेयक को मूल रूप में पारित कर दिया। जेटली ने कहा कि उन संशोधनों को स्वीकार करने पर निजता के अधिकार में और अधिक अतिक्रमण का जोखिम था। वित्त मंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर लिखे एक लेख में कहा, ‘ये खामी होने पर आधार कानून असंवैधानिकता के दायरे में चला जाता। जाहिर है लोकसभा उससे सहमत नहीं हुई और मेरी राय में उसने सही किया।’ आधार विधेयक को लोकसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन पारित किया गया।

जेटली ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य सरकारी सहायता को सही मायनों में ज़रूरतमंद तक पहुंचाना है और इस काम में आधार संख्या का उपयोग अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि पारित विधेयक में निजी सूचनाओं की हिफाजत के लिये प्रक्रिया और विस्तार की दृष्टि से कड़े प्रावधान किये गये हैं। अरुण जेटली ने कहा कि विधेयक में प्रावधान है कि सक्षम अधिकारी केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता के आधार पर ही संबंधित व्यक्ति के आधार कार्ड के साथ डिजिटल रिकार्ड के रूप में दर्ज बायोमिट्रिक सूचना आंख एवं उंगलियों के निशान को किसी दूसरे को दे सकते हैं। लेकिन राज्यसभा में लाये गये संशोधनों की मंशा उसकी जगह सार्वजनिक आपातकाल या जन सुरक्षा जैसी शर्तों को लागू करने की थी जो पारिभाषिक दृष्टि से अस्पष्ट और लचीली शर्तें हैं।

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