सरयू को बेहाल किया नगर पालिका ने

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घाटों पर नगर पालिका ने डाल दिया है कूड़ा, गंदगी से जीना मुहाल

रिपोर्टर – नित्यम श्रीवास्तव

बहराइच। जिला मुख्यालय से लगभग एक किमी दूर नानपारा-रुपैडिय़ा मार्ग पर स्थित झिंगहाघाट की स्थिति देखने से लगता है कि भारत सरकार के स्वच्छता अभियान व प्रदूषण विहीन नदियों का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।

केंद्र सरकार एक ओर गंगा को स्वच्छ करने के साथ देश की विभिन्न नदियों की सफाई पर बल दिए हुए है, वहीं बहराइच में गंदगी से लोगों का स्वच्छ वातावरण से भरोसा ही उठता जा रहा है। सरयू तट पर स्थित जि़ले का प्रथम अखाड़ा है। तट के निकट एकत्रित हो रहे इस कूड़ा घर पर चिंता जताते हुए अखाड़े के अध्यक्ष जग्गा यादव ने बताया, ”कूड़ा-करकट हिंदू सभ्यता के लिए एक बड़ी बीमारी है। एक समय था सरयू में रामलीला और नाव नेवरियों के कार्यक्रम का मंचन बड़े जोर-शोर से किया जाता था लेकिन अब नदी गंदगी से पूरी तरह पट चुकी है जिससे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बाधा आने लगी है।”

सरयू नदी के एक घाट झंगहाघाट के पास चारों ओर नगर पालिका द्वारा व्याप्त कचरे का ढेर लगा हुआ है। कचरे की दुर्गंध से आसपास के लोगों का जीना मुहाल है। यहीं पर नदी के निकट स्थित घाट पर श्री टाट बाबा उदासीन पंचमुखी आश्रम भी है। मंदिर की बड़ी खासियत यह भी है कि यहां मौजूद पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा पूरे प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतिमा है जिसके ऊंचाई 38 फुट है।

आश्रम के महंत वीर भद्रदास जी (69 वर्ष) बताते हैं, ”सरयू तट पर गणेश पूजा व नवरात्र में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता था पर अब यह एक नाले में तब्दील हो चुका है। आज से कुछ वर्ष पहले इस घाट पर जिले के लोग टहलने आया करते थे परन्तु आज लोग यहां से निकलते वक्त मुंह पर रुमाल का सहारा लेकर निकल रहे हैं।”

श्री दुर्गा पूजन महासमिति के उपाध्यक्ष आत्माराम यादव बताते हैं, ”नगर पालिका को पूर्ण रूप से सफाई अभियान चलाना चाहिए जिससे मूर्ति विसर्जन एक नाले में न होकर सामान्य रूप से हो और नदी एक बार फिर प्रवाहित हो सके और हिन्दू संस्कृति के साथ साथ वातावरण में व्याप्त संकट खत्म हो सके।”

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