बढऩी (सिद्धार्थनगर)। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके अस्पतालों का निर्माण तो करा दिया लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और संसाधनों के अभाव में ग्रामीण अस्पताल खुद ही बीमार हो गए हैं।
गाँवों में स्थित इन अस्पतालों की सुध लेने वाला कोई नहीं। आम जनता को इनसे कोई लाभ नहीं मिल रहा बल्कि इनके संचालन खर्च से नागरिकों की ही जेब ढीली हो रही है।
क्षेत्र के खजुरिया ग्राम में नये प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण तीन वर्ष पहले हुआ था लेकिन इतने कम समय में ही अस्पताल की स्थिति दयनीय हो गई है। अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं है। कुल पाँच पदों में दो पद रिक्त हैं। गांव कनेक्शन ने जब अस्पताल का जायजा लिया तो यहां सन्नाटा पसरा था। अस्पताल में कोई मरीज दिखाई नही दिया। मौके पर दो कर्मचारी मौजूद मिले। फार्मासिस्ट ने बताया कि हर रोज 50 से 60 मरीजों की ओपीडी होती है। अस्पताल में सामान्य व मौसमी बीमारियों की दवाईयां उपलब्ध नहीं हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया परन्तु बात नही हो सकी।
मासूमों पर मंडरा रहा है डायरिया का खतरा
उमस भरी गर्मी में बच्चों का विशेष ख्याल रखें। जरा सी लापरवाही की तो लाडले की सेहत बिगड़ सकती है। तेज धूप और उमस में डायरिया का प्रकोप बढ़ रहा है। प्रतिदिन सात से 10 डायरिया पीडि़त बच्चे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बढऩी में भर्ती हो रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार 80 प्रतिशत डायरिया वायरल होता है। इलाज कराने में लापरवाही हुई तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
कभी बरसात तो कभी तेज धूप के इस मौसम में पूरे क्षेत्र में डायरिया पैर पसार रहा है। सरकारी चिकित्सा केन्द्र के अलावा दूर-दराज के गाँवों में झोला छाप डाक्टरों के यहां भी मरीजों की भीड़ लगी है।
स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर विशेषज्ञ चिकित्सक जानकारी व बचाव की सलाह देते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ जिला
संयुक्तचिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके सिंह के अनुसार डायरिया में उल्टी और दस्त होने से शरीर का पानी और नमक निकल जाता है। इनकी पूर्ति नहीं हो पाती। सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब बच्चा दस्त करने के साथ उल्टियां करने लगता है। डायरिया में पर्याप्त मात्रा में तरल और अन्य पोषक पदार्थ लेना आवश्यक है।
अस्पताल जाने से पहल करें प्राथमिक उपचार
उल्टी-दस्त होने पर बच्चे को ओआरएस का घोल या नमक पानी का घोल बनाकर लगातार देते रहें। एक लीटर उबले साफ पानी में एक पैकट ओरआरएस मिलाकर इसका घोल तैयार करें। घोल बच्चों को जरूरत के अनुसार देते रहें।
क्यों होता है डायरिया
- बासी भोजन या दूषित पानी पीने से
- वायरल संक्रमण से
- शरीर में पानी की कमी होने से
- पाचन शक्तिकमजोर होने से
डायरिया के लक्षण
- जल्दी-जल्दी दस्त होना
- पेट में तेज दर्द व मरोड़ होना
- उल्टी आना
- बुखार होना
- कमजोरी महसूस होना।