लखनऊ। प्रदेश के सबसे ‘खराब’ सूचना आयुक्त की जानकारी के लिए सामाजिक संस्था ऐश्वर्याज सेवा संस्थान ने शनिवार को सर्वे कराया है। सर्वे की रिपोर्ट अगले दो-तीन दिन में आने की उम्मीद है।
आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आए दिन हो रहे हमलों और उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर संस्था ने ये सर्वे हजरतगंज स्थित जीपीओ पर महात्मा गांधी पार्क में शनिवार को कराया। कार्यक्रम की आयोजक सामाजिक कर्मचारी उर्वशी शर्मा बताती हैं, “जनसूचना अधिकारी से लेकर सूचना आयुक्त तक सभी इसी कोशिश में जुटे हैं कि कौन सा गैरकानूनी तरीका अपनाकर सूचना को सार्वजनिक करने से रोका जाए।” उन्होंने बताया कि आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और हत्याओं के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर और यूपी दूसरे नंबर पर है। सूचना आयुक्तों की लचर कार्यशैली को लेकर संस्था ने ये सर्वे कराया है।
उन्होंने बताया कि देश में अब तक 315 से अधिक आरटीआई आवेदकों पर हमले और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हैं। महाराष्ट्र में 63, यूपी में 40, गुजरात में 39, दिल्ली में 23, कर्नाटक में 22, आंध्र प्रदेश में 15, बिहार और हरियाणा में 14 मामले सामने आए हैं। उर्वशी ने बताया कि बीते 11 वर्षों में देश में 50 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई हैं। महाराष्ट्र में 12 तो उत्तर प्रदेश और गुजरात में आठ-आठ आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की गई हैं।
कैंप में आए आरटीआई विशेषज्ञ आरएस यादव ने बताया कि एक्ट की धारा 8 और 9 के प्राविधानों के अलावा यदि किसी का आवेदन वापस किया जाता है तो यह गैरकानूनी है। हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई ने आवेदकों को सूचना अधूरी या मिलने पर कानूनी पहलुओं के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के समन्वयक तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि कैंप का उद्देश्य कार्यकर्ताओं को आरटीआई कानून की बारीकियों के बारे में प्रशिक्षित करना था।
‘आरटीआई के दुरुपयोग से बचने की जरूरत’
लखनऊ। भारत के मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने आरटीआई कानून को देश में आपसी सहभागिता से जनतंत्र को मजबूत करने का महत्वपूर्ण उपकरण बताते हुए इसकी कामयाबी की कामना की है। साथ ही इसके दुरुपयोग से बचने को कहा। माथुर ने ‘फाउण्डेशन फार पीपुल्स राइट टू इन्फार्मेशन’ की दसवें राष्ट्रीय जन सूचना संगोष्ठी में कहा, ‘‘आरटीआई जनतंत्र को सहभागी जनतंत्र के रूप में मजबूती देने का यंत्र है, इसकी कामयाबी जनतंत्र की मजबूती के लिए जरुरी है।’’
उन्होंने इसके दुरुपयोग से बचने की सलाह देते हुए कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग के सामने 35 हजार मामले लंबित हैं, जिनमें से पांच हजार मामले 75 लोगों ने दायर कर रखे हैं। इस तरह की प्रवृत्ति पूरी व्यवस्था को फंसा देती है। इस समस्या से बचना होगा। माथुर ने कहा कि एक आदमी ने अकेले 600 आवेदन दे रखे हैं। कुछ आवेदन जानबूझ कर तंग करने की नीयत से दिये जाते हैं।
महिला कर्मचारी से होता दुर्व्यवहार
आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने आरोप लगाते हुए बताया कि महिला कर्मचारी से कुछ सूचना आयुक्त दुर्व्यवहार करते हैं। मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को इस संबंध में जानकारी भी दी गई लेकिन आज तक सूचना आयोग में यौन उत्पीड़न की जांच के लिए विशाखा समिति का गठन नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा भारत सरकार को पत्र भेजकर सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई आवेदकों के उत्पीड़न की शिकायतों के निस्तारण के लिए अलग नियमावली बनाने की मांग की जाएगी।
इन सूचना आयुक्त के पास है सूचना दिलाने की जिम्मेदारी
मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के अलावा 9 सूचना आयुक्तों की तैनाती जनता को सूचना उपलब्ध कराने के लिए की गई है। इनमें अरविन्द सिंह बिष्ट, गजेन्द्र यादव, खदीजतुल कुबरा, पारस नाथ गुप्ता, हाफिज उस्मान, राजकेश्वर सिंह, विजय शंकर शर्मा, स्वदेश कुमार और हैदर अब्बास रिजवी शामिल हैं।