लखनऊ| उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से कृषि विकास के कई काम सिर्फ इसलिए अटके हैं क्योंकि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत केंद्र और राज्य के बीच फण्ड के 50-50 प्रतिशत बटवारे पर, उत्तर प्रदेश सरकार राजी नहीं थी| लेकिन अब प्रदेश के मुख्य सचिव अलोक रंजन ने राज्य के हिस्से का 50 प्रतिशत फंड जारी कर योजनाओं को समय पर पूरा कराने का आदेश दिया है|
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 19वीं राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति (एसएलएससी) बैठक की अध्यक्षता कर रहे रंजन ने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुपालन में राज्य स्तर से राज्यांश की 50 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था अतिशीघ्र करायी जाये, जिससे योजना का लाभ किसानों को मिल सके। रंजन ने प्रमुख सचिव वित्त को निर्देश दिये कि दो नवम्बर को बैठक कर प्रदेश के किसानों के हित में राज्यांश की धनराशि तुरंत जारी करने के लिए ज़रूरी कार्यवाही पूरी कर लें।
राष्ट्रीय कृषी विकास योजना का उद्देश्य खेती-किसानी, उसके विपणन से लेकर, पशुपालन जैसे कार्यों को उन्नत बनाकर समस्त कृषि अर्थव्यवस्था का विकास है| वित्तीय वर्ष 2015-16 में भारत सरकार द्वारा इस योजना को 50-50 प्रतिशत के फण्डिंग पैटर्न पर चलाने के लिये निर्देश दिये गये हैं।
भारत सरकार स्तर से योजना के लिए उत्तर प्रदेश को 347.94 करोड़ रुपये अब तक जारी किये जा चुके हैं, जो अब तक इसलिए निष्क्रिय पड़े थे क्योंकि प्रदेश द्वारा इसके सापेक्ष 50 प्रतिशत राज्यांश नहीं जारी किया गया था| हालांकि बैठक में मुख्य सचिव ने आदेश दिया कि केंद्र के इस फण्ड के साथ शत-प्रतिशत परियोजनायें दिसम्बर, 2015 तक अनुमोदित करा ली जायें।
मुख्य सचिव ने नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक सभी लम्बित वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत कराकर परियोजना के कार्यों में गति लाने के आदेश दिया| साथ ही उन्होंने परियोजना के तहत लगभग 86 करोड़ रुपये लागत की कृषि एवं संवर्गीय विभागों की सात परियोजनायें स्वीकृत करते हुये, इन्हें जल्दी पुरा कराने को कहा|
सहकारिता विभाग के गोदामों का किसान कर सकें प्रयोग
मुख्य सचिव अलोक रंजन ने सहकारिता विभाग द्वारा 476 गोदामों के हस्तानान्तरण में बाधक शर्तों को हटाने का आदेश देते हुए कहा कि इन गोदामों की भण्डारण क्षमता का उपयोग जल्दी जल्दी से किसानों के हित के लिए किया जाये| इन निर्मित गोदामों में से प्रत्येक गोदाम की भण्डारण क्षमता 100 मीट्रिक टन है|