पीने के पानी के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण

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पिछले 10 वर्षों में जलस्तर घटकर 100-110 फुट पहुंचा, मैनपुरी जि़ला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बरनाहाल ब्लॉक का दर्द

विनीत बाजपेई

प्रह्लादपुर (मैनपुरी)। ”गाँव में करीब 10-12 सरकारी नल लगे हैं लेकिन पानी किसी में नहीं आता है। पीने के लिए पानी 400 मीटर दूर लगे सरकारी ट्यूबवेल से लाना पड़ता है।” प्रह्लादपुर गाँव के अशोक कुमार अपने दर्द को बयां करते हुए कहते हैं।

अशोक कुमार (50 वर्ष) मैनपुरी जि़ला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बरनाहाल ब्लॉक के प्रह्लादपुर गाँव के रहने वाले हैं। बरनाहाल ब्लॉक अति सूखाग्रस्त क्षेत्र में आता है, इसे वर्ष 2006 में अति सूखाग्रस्त ब्लॉक घोषित कर दिया गया था।

अशोक कुमार बताते हैं, ”जिन नलों में पानी थोड़ा बहुत आता भी है तो उसको घंटों चलाओ तब जा के कही एक बाल्टी पानी निकलता है।”
यहां के ग्रामीण करीब 18 वर्षों से इस समस्या का सामना कर रहे हैं। हालांकि पहले समस्या इतनी ज़्यादा नहीं थी लेकिन पिछले करीब 10 वर्षों से पानी की समस्या बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है। पानी का स्तर घटकर करीब 100-110 फुट पर पहुंच गया है।

पास में ही बैठे उसी गाँव के राघवेन्द्र सिंह (35 वर्ष) कहते हैं, ”नलों की तो छोड़ो अब तो इंजन भी ज़मीन से पानी नहीं खींच पाते हैं पानी इतना नीचे चला गया है। सिंचाई करने के लिए भी सबमर्सिबल लगवाना पड़ा है।”

यहां ज़्यादातर लोगों के घरों में सबमर्सिबल लगे हुए हैं, पर बहुत लोग ऐसे भी हैं जिनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो सबमर्सिबल लगवा सके, उन्हें सबसे ज़्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वे या तो दूसरों के घरों से पानी लेते हैं या फिर सरकारी ट्यूबवेल से पानी लेते हैं।

बरनाहाल ब्लॉक के खण्ड विकास अधिकारी डीपी वर्मा के अनुसार बरनाहाल ब्लाक का करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र अति सूखाग्रस्त क्षेत्र में आता है। डीपी वर्मा बताते हैं, ”यहां नहरें नहीं हैं इसलिए सारा पानी ज़मीन से ही निकाला जाता है, चाहे सिंचाई के लिए हो या पीने के लिए, शायद इसीलिए यहां पानी का स्तर इतना नीचे चला गया है।”

उत्तर प्रदेश भू-गर्भ जल विभाग के अनुसार प्रदेश में सिंचाई के लिए 70 प्रतिशत पानी भूमिगत जल का प्रयोग होता है। पेयजल के लिए 80 प्रतिशत और उद्योग क्षेत्र की ज़रूरत का 85 प्रतिशत भूमिगत जल से पूरा किया जाता है।

उत्तर प्रदेश भू-जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्षों में प्रदेश के कुल 820 ब्लॉक में से 630 ब्लॉक में भू-जल स्तर गिरा है।

यदि हम पूरे प्रदेश के स्थिति पर नज़र डालें तो प्रदेश में हो रहे अंधाधुंध भू-जल के दोहन से जलस्तर बहुत तेजी से गिर रहा है। प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर देशभर में भू-जल का आकलन करने वाली संस्था, ‘केन्द्रीय भू-जल आकलन समिति’ के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2011 के बीच उत्तर प्रदेश में अतिदोहित/संकटपूर्ण ब्लॉक नौ गुना बढ़े हैं। वर्ष 2000 में जहां प्रदेश में 20 ब्लॉक अतिदोहित/संकटपूर्ण स्थिति में थे, वहीं वर्ष 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 179 हो गई थी।

मैनपुरी जि़ले में हुई वर्षा के आंकड़ों को अगर देखें तो पता चलता है कि वर्ष 2009 से 2013 तक औसत वर्षा का स्तर जोरों से घटा है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जहां सितम्बर 2009 में औसत से करीब 18 प्रतिशत वर्षा कम हुई थी तो वहीं सितम्बर 2013 में औसत वर्षा का स्तर घटकर 69 प्रतिशत पहुंच गया था। मैनपुरी जि़ले का वर्ष 2013 के बाद से अब तक का आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं हो पाया है।

इस मॉनसून सत्र में प्रदेश में हुई बारिश को देखें तो पता चलता है कि इस बार पूरे प्रदेश में अब तक औसत से करीब 56 प्रतिशत वर्षा कम हुई है।

”बरनाहाल ब्लॉक फिरोजाबाद के बार्डर पर ऊंचाई पर है। उस क्षेत्र में बड़े तालाब नहीं हैं। सिर्फ एक तालाब है जो एक एकड़ का है।” मैनपुरी जि़ले के लघु सिंचाई विभाग के सहायह अभियंता आरएन यादव बताते हैं, ”यहां के जलस्तर को बांध बना कर और तालाब खोद कर बढ़ाया जा सकता है। मनरेगा के माध्यम से तालाब खुदवाये जा रहे हैं, एक नहर खुदवाई जा रही है।”

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