बरसात में ठहर जाती है दर्जन भर गाँवों के लोगों की जिंदगी, हर वर्ष ग्रामीण अपने पैसे से बनाते हैं नदी पर अस्थाई पुल
रिपोर्टर – अमित कुमार मौर्य
कबेली (जौनपुर)। जौनपुर में बाढ़ बड़ा नुकसान भले न करती हो लेकिन जैसे-जैसे पीली नदी का जलस्तर बढ़ता है, दर्जनभर गांवों के लोग ख़ौफ में भर जाते हैं। कबेली के पास नदी में पुल न होने से बरसात के कई महीने करीब 10 हजार लोग का सफर मुश्किलों भर हो जाता है।
जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर पश्चिम दिशा में बदलापुर तहसील के कबेली गांव में पिछले कई दशकों से लोग जान हथेली पर लेकर नदी पार करने को मजबूर हैं। गर्मियों के दिनों में लोग बांस-बल्ली की मदद से अस्थाई पुल बना लेते हैं, लेकिन बरसात में उन्हें कुछ मीटर की नदी पार करने के लिए छह किलोमीटर से ज्यादा का चक्कर लगाना पड़ता है।
कबेली गाँव के श्रीपत (46 वर्ष) बताते हैं, ”नदी के उस पार हमारे खेत हैं, रिश्तेदारियां हैं, कॉलेज और अस्पताल सब हैं लेकिन पुल के बिना सब बहुत दूर हो जाते हैं।” वो आगे बताते हैं, ”अब इन दिनों नदी में पानी बढ़ जाता है तो कच्चे पुल से नदी पार करना खतरनाक है। सीमेंट के पाइप और मिट्टी के पुल से साइकिल और मोटर साइकिल किसी तरह निकल जाती है, लेकिन बड़ी गाडियों को चक्कर लगाना पड़ता है।”
कबेली गांव के साथ ही सराय, सेतापुर सिरकिया, करनपुर, बुहर समेत एक दर्जन गांवों के दस हजार लोग इस पुल के न बनने से परेशान हैं।बहुरगांव निवासी राकेश तिवारी(43 वर्ष) बताते हैं, ”नदी के उस पार एक किलोमीटर दूर सिंगरामऊ में बड़ा सरकारी अस्पताल है लेकिन नदी हम लोगों के बीच में बाधा बन जाती है। रात-बिरात इसे इस रास्ते से गुजरना मुश्किल होता है।”
राकेश तिवारी बताते हैं, ”चार साल पहले गांव की एक महिला की एका-एक तबियत खराब हो गई। अस्पताल ले जाने में वक्त लग गया और रास्ते में ही मौत हो गई। अगर पुल होता तो शायद उनकी जान बच जाती।”
कबेली गाँव के प्रधान कमलेश कुमार यादव (48 वर्ष) बताते हैं, ”अगर ये पुल बन जाए तो कई हम लोगों की कई मुश्किलें कम हो जाएं। मैंने गाँव वालों की मदद से पुलिया लगाकर कर मिट्टी डाल दी है, जिससे कुछ मदद मिली है। लेकिन ये कब तक चलेगा।”
कमलेश कुमार यादव आगे बताते हैं, ”गांव के लोगों ने कई बार विधायक और डीएम को अपनी समस्या बताई लेकिन सिर्फ भरोसा ही मिला।”
नदी पर बनाए जाने वाले अस्थाई पुल को भी आसपास के गांवों के लोग अपने पैसे और श्रमदान से बनता है। करनपुर के निवासी राजेंद्र मौर्या (33 वर्ष) बताते हैं, ”हर जगह पुल और सड़कें बन रही हैं बस इधर ही कोई ध्यान नहीं दे रहा।”