न गन्ने का बकाया मिला, न हो रही धान की खरीद

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मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों पर चौतरफा मार पड़ रही है। हजारों किसानों को पिछले वर्ष का बकाया गन्ने का अब तक पैसा नहीं मिला है तो इस बार का अब तक रेट तक नहीं तय किया गया है। गन्ने से ऊब कर धान लगाने वाले किसानों का धान तक नहीं बिक पा रहा है।

”सरकार ते (तो) लखनऊ बैठी है, यहां किसान मरर्र (मर) रहा है। कोई देख्खन वाला नहीं है। न नेता झांकने आवे हैं न मंतरी।” सुकरमपाल (50 वर्ष), निवासी भूपगढ़ी, गन्ना किसानों की समस्या पूछने पर बरस पड़ते हैं।

मेरठ जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में बागपत रोड पर 27 किलोमीटर आगे भूपगढ़ी तौल केंद्र पर ट्राली में गन्ना लेकर आए इसी गाँव के आदित्य तेवतिया (40 वर्ष) बताते हैं, ”गन्ने की मिट्टी पलीत है। साल भर हो गए हैं चीनी मिल पर बकाया एक लाख रुपया नहीं मिला। हमारे पास 50 बीघा जमीन है। पहले पूरी जमीन पर गन्ना बोते थे। इस बार सिर्फ  30 बीघे बोया था। बाकी धान लगाए थे। लेकिन पूरे मेरठ में कोई धान खरीद केंद्र नहीं है।” आदित्य तेवतिया की तरह मेरठ के सैकड़ों गाँवों के गन्ना किसान हताश हैं। इसी तौल केंद्र पर घटतौली को लेकर कांटा इंचार्ज से उलझते मिले बृजपाल तेवतिया (59 वर्ष) बताते हैं, ”120 बीघे जमीन है। 25 पर्चियां जा चुकी हैं। न पिछले साल का पैसा मिला है न सरकार ने इस बार रेट खोला है। अब खेत खाली करना है तो गन्ना कटवाना ही है। लेकिन ऐसे कुछ चल नहीं पाएगा।”

जिला गन्ना विभाग के मुताबिक मेरठ में इस बार करीब एक लाख हेक्टेयर गन्ने का रकबा है। छह चीनी मिलों वाले इस जिले में गन्ना किसान सरकार, विभाग और चीनी मिलों से बहुत नाराज हैं। गाँवों में गन्ने के खेतों के बीच आलू, हरी सब्जियां और गेहूं फसलें नजर आने लगी हैं। हालांकि जिला गन्ना विभाग का कहना है रकबा कम नहीं हुआ है।

जिला गन्ना अधिकारी आनंद शुक्ला बताते हैं, ”पिछले वर्ष भी करीब एक लाख हेक्टेयर गन्ना बोया गया था, इस बार भी उतना है। हां ये सही है पैसा न मिलने से किसान परेशान हैं, लेकिन अब अधिकांश पैसा दिया जा चुका है। एक मिल पर नौ करोड़, एक पर 36 जबकि सिर्फ  मवाना चीनी मिल पर 164 करोड़ बाकी है। उसे भी जल्द से जल्द दिलाने की कोशिश की जा रही है।”

भूपगढ़ी तौलकेंद्र पर बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड किनौनी चीनी मिल के क्षेत्रीय इंचार्ज विनोद नरेश बताते हैं, ”चीनी मिलें बहुत घाटे में हैं, गन्ने और चीनी के रेट में बहुत अंतर है। मिलें कहां से भारपाई करें इसीलिए पैसा मिलने में देरी होती है। हालांकि इस बार रिकवरी में थोड़ा सुधार है। पिछली बार एक कुंटल गन्ने से करीब 9.13 किलो चीनी निकलती थी इस बार 9.45 है। लेकिन ये नाकाफी है।”

मेरठ के पास पेपला गाँव के हरीश चंद्र शर्मा (55 वर्ष) पिछले की वर्षों से गाजर की खेती कर रहे हैं। वो बताते हैं, ”पहले गन्ने से एक मुश्त पैसा मिलता था इसलिए किसान इसी पर निर्भर हो गया था, लेकिन अब से मजबूरी बन गया है। हम गन्ने के साथ बाकी जमीन पर गाजर बोते हैं, गाजर खोद के गेहूं। इससे दो फसलें मिल जाती हैं।”

पूरे जि़ले में धान खरीद केंद्र नहीं

मेरठ जिले में इस बार बड़े पैमाने पर धान लगाया गया था। गन्ने से मायूस किसानों ने धान लगाए थे लेकिन अब उनकी बिक्री नहीं हो पा रही है। भूपगढ़ी गांव के सुकरमपाल (50 वर्ष) बताते हैं, ”20 बीघे में धान लगाया था। करीब 100 कुंटल धान हुआ था, लेकिन अब बेचने कहां जाएं, पूरे जिले में कोई खरीद केंद्र नहीं है। मजबूरी में हरियाणा ले गए थे, लेकिन वहां भी औने-पौने दाम मिले। अब बोले क्या करें।”

  • पिछले बार यहां के किसानों को करीब 280 रुपये का रेट दिया गया था 
  • छह चीनी मिलों वाले इस जिले के किसान गन्ने की खेती से मोड़ रहे हैं मुंह
  • मेरठ में नहीं हो रही है धान की खरीद, हरियाणा में यूपी के किसानों से नाइंसाफी

रिपोर्टिंग: अरविन्द शुक्ला/सुनील तनेजा

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