लखनऊ। स्मार्ट सिटी का सपना देखने वाले लखनऊ शहर की बड़ी चुनौती कूड़े का निस्तारण और इस वजह इसके इर्दगिर्द घूम रहे आवारा पशु बन गए हैं। मुश्किल यह भी है कि जिन गौशालाओं में आवारा पशुओं को रखा जाता है, उनमें जगह ही नहीं बची है।
शहर के किसी भी नुक्कड़ या चौराहे पर पड़े कूड़े के आसपास आवारा पशुओं का झुंड दिखना बड़ा आम है। इन पशुओं से आए दिन एक्सीडेंट भी होते रहते हैं।
अलीगंज में रहने वाले शिव सिंह (46 वर्ष) कहते हैं, “केंद्रीय विद्यालय के पास बने कूड़ाघर में ज्यादातर लोग कूड़ा फेंकते हैं, पर यहां से कूड़ा चार दिन में एक बार उठता है। इसके लिए आवारा पशु इसके इर्द-गिर्द खड़े रहते हैं। सुबह और रात में इनकी संख्या बढ़ जाती है।”
लखनऊ शहर के लोग रोज घरों से लगभग 1400 मीट्रिक टन कूड़ा निकालते हैं। इसमें से लगभग 10 से 15 प्रतिशत (140 मीट्रिक टन) प्लास्टिक होता है, जिसे खाकर पशुओं की मौत भी हो जाती है।
शहर में छुट्टा घूम रहे इन आवारा पशुओं को हटाना लखनऊ नगर निगम के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। लखनऊ के नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव कहते हैं, “शहर में आवारा जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इन्हें हटाने के लिए हमारे पास पर्याप्त कर्मचारी भी नहीं हैं। शहर के बाहर लोग जानवरों को खुला छोड़ देते हैं।” आगे कहते हैं, “आवारा पशुओं को रखने के लिए कांहा उपवन है, जो पूरा भर चुका है। विभाग की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन शहर की जनता ही सहयोग नहीं कर रही है।”
शहर में गंदगी और दुर्घटना का कारण बनने वाले इन पशुओं के बढ़ने का एक कारण सड़कों के किनारे खुला पड़ा रहने वाला कूड़ा भी है। “खदरा के सभासद के घर के सामने ही वाले खराब सब्जी कूड़ाघर में डालते हैं, और कई लोग कूड़ा डालते हैं, जिससे कूड़े का ढेर लगा रहता है। पूरा दिन गायों का झुंड इसी कूड़े में चरता रहता है और गंदगी भी फैलाता है।” खदरा में रहने वाले हरिशंकर अवस्थी बताते हैं।
शहर में बढ़ रहे आवारा पशुओं के पीछे का कारण नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव समझाते हैं, “आधे से ज्यादा आबादी कूड़ेवाले को कूड़ा नहीं देती। जनसंख्या और क्षेत्रफल ज्यादा है, और हमारे पास संसाधनों की कमी है, इसलिए कुछ क्षेत्रों में समस्या बढ़ रही है। शहर की आधी आबादी ही कूड़ेवाले को घर का कूड़ा देती है।”
लखनऊ में सात कांजी हाउस हैं, जिनमें से दो में काम चल रहा है। इन कांजी हाउस में 150 से अधिक पशु बंद हैं। “लोग गायों का दूध निकाल कर उन्हें खुला छोड़ देते हैं, और वह दिन भर कूड़ा-कचरा खाती हैं। इसके लिए रोज अभियान चलाते हैं फिर भी समस्या बनी है। पिछले साल दस लाख रुपए का जुर्माना किया गया था और इस बार दो लाख रुपए का जुर्माना कर चुके हैं। इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।” लखनऊ के मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद राव ने बताया।