किसानों को राहत देंगी गेहूं की नई प्रजातियां

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इलाहाबाद। मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेहूं की नई प्रजातियों से राहत मिलेगी क्योंकि कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कुछ नई प्रजातियां ईजाद की हैं, जिसकी असमय बुवाई करने पर भी अच्छा उत्पादन होगा। यही नहीं, बेहद कम खाद और सिंचाई से भी बुवाई की जा सकती है। इन प्रजातियों की बुवाई के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने भी हरी झंडी दिखा दी है। गेहूं की इन नई प्रजातियों में अप्रैल में पड़ने वाली 40 डिग्री के तापमान को बर्दाश्त करने की क्षमता है।

इलाहाबाद के नैनी में स्थित सैम हिग्गिनबॉटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर (शियाट्स) के गेहूं ब्रीडर प्रोफेसर महाबलराम ने अपने शोध छात्रों के सहयोग से गेहूं की नई प्रजातियों को ईजाद किया है। वह बताते हैं, ”उनके शोध संस्थान ने कुछ वर्षों में गेहूं की 12 नई प्रजातियां ईजाद की, जिनमें छह पर कृषि विभाग की निगरानी में परीक्षण का काम चल रहा है जबकि छह को उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने मान्यता दे दी है। इसमें शियाट्स-4, शियाट्स-6, शियाट्स-7, शियाट्स-8, शियाट्स-9, शियाट्स-10 शामिल हैं। यही नहीं शियाट्स-6 की बुवाई के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईएआरआई) ने भी नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इन नई प्रजातियों को उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के किसानों का दर्द देखते हुए ईजाद किया गया है। 

प्रो. महाबल बताते हैं, ”नवंबर माह में कई बार मौसम गेहूं की बुवाई के अनुरूप नहीं रहता है। ऐसे में किसान देरी से बुवाई करते थे। इस कारण कटाई में भी देरी होने लगती है। आमतौर पर किसान को अधिकतम 30 मार्च तक गेहूं की कटाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद तापमान गेहूं को खराब करने लगते हैं और उत्पादन में भारी कमी हो जाती है। यूपी, बिहार और बंगाल में यह स्थिति अमूमन रहती है। लेकिन नई प्रतियों की बुआई दिसंबर के अंतिम तक करने पर भी उत्पादन में कोई कमी नहीं आएगी। इन गेहूं की कटाई अप्रैल तक की जा सकती है। मतलब साफ है, गेहूं की इन नई प्रजातियों में अप्रैल में पड़ने वाली 40 डिग्री के तापमान को बर्दाश्त करने की क्षमता है।

ये हैं प्रजातियां

शियाट्स-4, शियाट्स-6, शियाट्स-7, शियाट्स-8, शियाट्स-9, शियाट्स-10 

कम खाद-पानी में भी बुवाई 

गेहूं की इन नई प्रजाति की बुवाई के लिए अधिक खाद और पानी की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रोफेसर महाबल का दावा है कि इन प्रजातियों में कम खाद और पानी में भी अच्छे उत्पाद करने की क्षमता है। जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र ने भी स्वीकार किया है।

नहीं होगा नुकसान

गेहूं की नई प्रजातियों में जलभराव की स्थिति से भी निपटने की क्षमता है। प्रो. महाबलराम बताते हैं, ”खेत में पानी भरने की स्थिति में यह प्रजाति एक सप्ताह तक उसे बर्दाश्त कर सकती है। जबकि आमतौर पर तीन से चार दिनों में अन्य प्रजातियां खराब हो जाती हैं। अधिक बारिश होने की स्थिति में भी फसलों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

   

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