लखनऊ। अब स्कूलों के निरीक्षण के दौरान दीवार और ब्लैक बोर्ड की हालत नहीं, शिक्षा की गुणवत्ता जांची जाएगी। छात्र कितना पढ़ पा रहा, कितना नहीं?
गाँव कनेक्शन से विशेष साक्षात्कार में मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा, ”अब जितने भी निरीक्षण किए जाएंगे, उनमें शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर होगा। स्थानीय स्तर पर परीक्षाएं फिर से शुरू करा रहे हैं। इसमें पास या फेल नहीं करेंगे। लेकिन अभिभावकों को पता चले कि कहां कमी है। साथ ही, अध्यापकों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।”
देश भर के स्कूलों पर नज़र रखने वाली संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली की रिपोर्ट 2013-14 के अनुसार उत्तर प्रदेश में देशभर में सबसे अधिक 2.58 करोड़ छात्र प्राइमरी स्कूलों में पंजीकृत हैं। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सबसे अधिक, 2.16 लाख प्राइमरी स्कूल उत्तर प्रदेश में हैं।
प्रदेश के किसानों पर आई विपदा के बारे में मुख्य सचिव ने कहा, ”प्रदेश सरकार ने 11,500 करोड़ रुपये राहत राशि बांटी है, भारत सरकार से 7,500 करोड़ रुपये मांगे थे, हमें वहां से 28,00 करोड़ रुपये ही मिले। राज्य ने अपने संसाधनों से इतनी धनराशि बांटी है, जो भेजा वह बंट भी गया। क्योंकि लोगों का नुकसान ज्यादा हुआ है। इसलिए लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ज्यादा मिलेगा। केन्द्र से कम आया इसलिए कई लोग इससे छूट गए।”
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश को लेकर बने सकारात्मक माहौल से काफी उत्साहित मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा, ”यूपी में निवेश का एक वातावरण बन गया है, मुख्यमंत्री जी भी इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। कई इन्वेस्टमेंट बैठकें उन्होंने खुद जाकर संबोधित की हैं। निवेशकों को सिंगल विंडो सिस्टम उपलब्ध कराया है।” उन्होंने आगे कहा, ”हर स्तर पर मॉनिटरिंग हो रही है कि उद्योगपतियों के साथ अच्छा व्यवहार रहे और निवेशकों को हम आकर्षित करें। प्रदेश सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी ध्यान दे रही है, एक्सप्रेस-वे, बिजली ट्रांसमिशन और चार लेन की सड़कें बनाई जा रही हैं।”
प्रदेश में वर्षा जल संचयन के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान के तहत खोदे जाने वाले तालाबों की खुदाई में कमी पाई जाती है तो इसका निरीक्षण करके पूरा कराया जाएगा। ”मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए कुछ जिलों में शुरू की गई जीआईएस मैपिंग को बड़े स्तर पर शुरू किया जाएगा।” मुख्य सचिव ने कहा।
चुनावी मौसम में दैनिक कार्यों से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगने से कृषि व इससे संबंधित अन्य कार्यों में देरी होने के बारे में मुख्य सचिव ने कहा, ”चुनाव होना भी शासन की प्राथमिकता होती है, सुचारू और प्रभावी तरीके से सम्पन्न कराया जाए। जिलाधिकारी के सामने और कोई चारा नहीं होता कि जिले के अधिकारियों की ही ड्यूटी लगाई जाए। मजबूरी में लगानी पड़ती है।”
पंचायत चुनावों में अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगने से यूपी में दलहन की खेती का कार्यक्रम रुक गया है। साथ ही, पशु चिकित्साधिकारियों की ड्यूटी लगने से खतरनाक बीमारी खुरपका-मुंहपका की बीमारी का टीकाकरण रुकने से प्रदेश में 1.5 करोड़ पशुओं को टीका नहीं लग पाया है।
गाँवों में भूमि विवादों के निपटारे के लिए सरकार काफी प्रयासरत है। ”भूमि विवादों को चिन्हित करके पुलिस और राजस्व के अधिकारी साथ-साथ जाएंगे। कई जिलों में इस पर बहुत अच्छा काम हुआ है। फिर भी विवादों को जल्द निपटाया जाना ज़रूरी है।” आलोक रंजन ने कहा।