लखनऊ। जो पुलिस के जवान दिन-रात लोगों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं, उनके खुद के परिवार डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
लखनऊ पुलिस लाइन में 28 दिसंबर को पुलिस के जवान अनिल अवस्थी की रेलिंग गिरने से मौत हो गई थी। उनके घर का छज्जा इतना कमजोर था कि टेक लेने भर से गिर गया।
प्रदेश के पुलिस के जवान व उनका परिवार किन हालातों में बसर करता है यह जानने के लिए ‘गाँव कनेक्शन’ ने जब सात जिलों
(मैनपुरी, उन्नाव, इटावा, कन्नौज, एटा, इलाहाबाद और लखनऊ) की पुलिस कॉलोनियों की पड़ताल की तो सभी बदहाल मिलीं। कहीं खिड़कियों को बैनर से बंद किया गया है, तो कहीं दरवाजे ही गायब मिले।
लखनऊ पुलिस लाइन कॉलोनी में रहने वाली इटलेश बताती हैं, ”हम सात वर्षों से यहां रह रहे हैं। एक बार भी घर की मरम्मत नहीं कराई गई, जबकि कई बार प्रार्थना-पत्र भी दिया गया। अपने ही पैसे से मरम्मत कराते हैं।” आगे बताती हैं, ”किचन में छत का प्लास्टर झड़ता है, कई बार खाना फेंकना भी पड़ता है। छत में अखबार चिपकाया है।”
प्रदेश में 3.68 लाख पुलिस जवानों की भर्ती स्वीकृत है, लेकिन सिर्फ 1.69 लाख कार्यरत हैं। ये मुश्किलों में जीते हैं।
”दरवाजे टूटे हैं, पर्दा डालना पड़ता है। अधिकारियों के पास भी जाते हैं, लेकिन सुनता कौन है। बड़े अधिकारियों के पास तक ही सुविधाएं सिमटकर रह गई है।” मैनपुरी पुलिस लाइन कॉलोनी में रहने वाली पूनम कुमारी कहती हैं।
उन्नाव पुलिस लाइन कॉलोनी में छज्जों के सहारे के लिए अलग से पिलर लगाए गए हैं। यहां गंदगी भी बहुत है। वहीं इस बारे में उन्नाव के पुलिस अधीक्षक ने कहा, ”मैंने पुलिस लाइन का निरीक्षण किया है। ऐसी कोई कॉलोनी नहीं मिली, जो पूरी तरह से जर्जर हो। कुछ में मरम्मत होनी है। कई में टॉयलेट शीट और दरवाजे टूटे मिले हैं। मरम्मत के निर्देश दे दिए गए हैं।”
पुलिस जवानों के रहने के लिए कॉलोनियों की हालत सुधारने के लिए उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी जावीद अहमद चिंतित हैं। ”पुलिस लाइन कॉलोनियों के सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।” जावीद अहमद, डीजीपी, यूपी ने कहा।
लखनऊ पुलिस लाइन में रहने वाले अनिल पटेल बताते हैं, ”कुछ वर्ष पहले मेरा दोस्त अजय छज्जे पर खड़ा था। अचानक छज्जा गिर पड़ा और उसके रीढ़ की हड्डी टूट गई। यहां अगर छज्जे का कुछ हिस्सा टूटा है तो निर्माण उतना ही होगा, बाकी का छज्जा वैसे ही रहेगा। हादसे के बाद एक तरफ अगर सही किया जाता है, तो दूसरी तरफ का टूट जाता है।”
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) देबाशीष पांडा ने बताया, “पुलिसकर्मियों के लिए आवासीय एवं शहरी विकास निगम (हुडको) से लोन लेकर पांच सौ करोड़ रुपए की लागत से पहले चरण में 25 जिलों में दो हजार आवास बनाए जाएंगे। इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, सिपाही के लिए अलग-अलग आवासीय मकानों का निर्माण होगा।”